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भारत का मुद्रा-स्फीति से सामना-चिदंबरम

वाशिंगटन में आईएमएफसी व विकास समिति की बैठक

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 15 October 2013 10:22:27 AM

वाशिंगटन। भारत के वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था को निरंतर विकास के पथ पर बनाए रखने के लिए कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सप्लाई बाधा को कम करने तथा निवेश के माहौल को सुधारने की दिशा में कदम उठाए हैं, पिछले कुछ महीनों में 64 बिलियन डॉलर की परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। वित्तमंत्री ने कहा कि वित्तीय घाटा तथा चालू खाता घाटे को नियंत्रित करने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए गए हैं। चिदंबरम यहां आईएमएफसी की बैठक में बोल रहे थे।
वित्तमंत्री ने कहा कि भारत सरकार वित्तीय मजबूती की राह पर चलने के लिए प्रतिबद्ध है और सरकार ने यह निश्चय किया है कि जरूरत होने पर वह कठोर निर्णय करने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा है कि सरकार 2016-17 तक वित्तीय घाटा 3 प्रतिशत तक कम करने के लिए प्रतिबद्ध है, भारतीय अर्थव्यवस्था मुद्रा-स्फीति की चुनौती का सामना कर रही है और मुद्रा-स्फीति की दर को कम करने के लिए मांग और आपूर्ति दोनों पक्षों की नीतियों का सहारा लिया जाएगा।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा-कोष के विकास संभावना अनुमान की भी चर्चा की और कहा कि डब्ल्यूईओ ने अपने जुलाई अपडेट में भारत की विकास दर 5.6 प्रतिशत (बाजार दर पर) तय की थी, लेकिन इसे अब कम करके 3.8 प्रतिशत कर दिया है। वित्तमंत्री ने पूछा कि जुलाई और सितंबर के बीच वैसी कौन सी सूचना मुद्रा-कोष ने हासिल की है, जो हमारी पास नहीं है और विकास अनुमान में इस तरह का बदलाव करने के लिए मुद्रा-कोष बाध्य हुआ है। चिदंबरम ने कहा कि भारत इस निराशावादी अनुमान को साझा नहीं करता है, विकास अनुमान तय करने संबंधी तौर-तरीकों की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।
वित्त मंत्री ने कल वाशिंगटन डीसी में विश्व बैंक की विकास समिति की बैठक में भी मौखिक हस्तक्षेप करते हुए अपना पक्ष रखा। चिदंबरम ने कहा कि पिछले वर्ष भारत ने 2030 तक घोर गरीबी को समाप्त करने और साझा समृद्धि को प्रोत्साहन देने के दो लक्ष्यों का समर्थन किया था, हमें अब इन लक्ष्यों को हासिल करने के प्रस्तावित मार्ग का परीक्षण करने का अवसर मिला है, मेरी नज़र में प्रस्ताविकत रणनीति भली-भांति सोच विचार के बाद तैयार की गई है, यह व्यापक एवं सही दिशा में जाने वाली है, इस रणनीति के अनेक पहलू ऐसे हैं, जो आकर्षक हैं और उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, जिनमें इन दोनों लक्ष्यों को हासिल करने में सभी गतिविधियों के साथ तालमेल बिठाना, विकास प्रभाव को अधिकतम करने के लिए तुलनात्मक लाभ हासिल करना और एक विश्व बैंक समूह के रूप में कार्य करना तथा समाधान बैंक बनना शामिल हैं।
चिंदबरम ने इस बात पर खुशी प्रकट की कि विश्व बैंक समूह आखिरकार अपने मिशन एवं अपने लक्ष्यों को समर्थन देने की वित्तीय रणनीति में फिर से तालमेल बिठा रहा है। वित्त मंत्री ने वित्तीय स्थिरता के सिद्धांत को दिए जा रहे महत्व का समर्थन किया और उस बयान का भी स्वागत किया, जिसमें रणनीति के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय संसाधनों में महत्वपूर्ण वृद्धि की बात कही गई है। उन्होंने कहा कि सिर्फ सशक्त विश्व बैंक समूह में ही उन रणनीतिक एवं महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने की क्षमता होगी, जो मध्यम अवधि में उसके सामने आने वाली हैं। विश्व बैंक के अध्यक्ष किम ने 2020 तक 9 प्रतिशत के फौरी लक्ष्य के संकेत दिए हैं, मगर तुरंत कोई लक्ष्य निर्धारित किए बिना इस बात का मूल्यांकन करना कठिन होगा कि इन लक्ष्यों को हासिल करने में बैंक की प्रगति कितनी सार्थक रही है। विश्व बैंक प्रबंधन राजस्व बढ़ाने, लागत घटाने और अपनी उपलब्ध पूंजी को ज्यादा किफायती ढंग से इस्तेमाल करने के सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है।

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