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चैतन्य महाप्रभु से शि‍क्षा ग्रहण करें-राष्‍ट्रपति

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Monday 16 September 2013 08:54:45 AM

pranab mukherjee

कोलकाता। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज गौड़ीय मठ कोलकाता में चैतन्य महाप्रभु संग्रहालय के शिलान्यास समारोह में कहा कि‍ मानव जाति का अशांत और उतार-चढ़ाव से परि‍पूर्ण इतिहास हमेशा से संतों के मार्गदर्शन से नि‍र्देशि‍त होता रहा है। उन्‍होंने कहा कि‍ चैतन्‍य महाप्रभु ने मानव जाति‍ की सेवा के लि‍ए शासकों को संतों में परि‍णत करने का कार्य कि‍या। यीशु मसीह, भगवान बुद्ध, पैगंबर मोहम्मद, गुरु नानक और चैतन्य महाप्रभु सभी ने विश्व बंधुत्व के मूल्यों को बढ़ावा दिया और इन संतों ने उस परीक्षा की घड़ी में यह कार्य कि‍या जब मानवता की रक्षा के लि‍ए इसकी सबसे ज्‍यादा आवश्‍यकता थी।
राष्ट्रपति ने समाज का आह्वान कि‍या कि‍ चैतन्य महाप्रभु के दर्शन से हमें सतत शि‍क्षा ग्रहण करनी चाहि‍ए और सभी की भलाई और कल्याण का मार्ग प्रशस्त करना चाहि‍ए। चैतन्य सिर्फ एक धार्मिक उपदेशक या एक सुधारक ही नहीं थे, बल्‍कि‍ एक क्रांतिकारी भी थे। उन्होंने महसूस कि‍या कि सामाजिक जीवन में परिवर्तन लाने के लिए कोई पारंपरिक पथ पर्याप्त नहीं है। उन्‍होंने सब से ऊपर मानव मूल्यों को बढ़ावा देने पर बल दिया। उनका प्रभाव गहरा था और यह सिर्फ सामाजिक जीवन तक ही सीमित नहीं था, बल्‍कि‍ उनका गहरा प्रभाव कला, साहित्य, दर्शन, संगीत, नृत्य, आदि पर भी था।
राष्ट्रपति ने चैतन्य महाप्रभु की 525 वीं वर्षगांठ के मौके पर चल रहे समारोह के अवसर पर संग्रहालय की नींव रखी। उन्होंने उम्‍मीद जतायी कि संग्रहालय केवल अनमोल कलाकृतियों, पांडुलिपियों आदि से आम लोगों को आकर्षि‍त करेगा और साथ हीउनकी रक्षा ही नहीं करेगा, बल्‍कि‍ यह विद्वानों, शोधकर्ताओं और छात्रों के लिए अनुसंधान के एक नये परि‍दृश्‍य को भी खोलेगा।

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