भारत और न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौता ऐतिहासिक उपलब्धि!
एफटीए विकास, रोज़गार और वैश्विक बाजार के रास्ते खोल रहास्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Tuesday 23 December 2025 04:30:43 PM
नई दिल्ली। भारत और न्यूजीलैंड ने भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के वित्तीय सेवा अनुबंध के जरिए द्विपक्षीय आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को सुदृढ़ करने की ऐतिहासिक उपलब्धि अर्जित की है। गौरतलब हैकि भारत और न्यूजीलैंड की वित्तीय सेवा क्षेत्रमें द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने केलिए दृढ़ प्रतिबद्धता है और दोनों देशों ने एक दूरदर्शी, संतुलित और पारस्परिक रूपसे लाभकारी समझौते को विकसित करने का कार्य किया है, इससे उनके संबंधित वित्तीय सेवा क्षेत्रों केलिए बेहतर अवसर खुलेंगे। आशा की गई हैकि यह मुक्त व्यापार समझौता द्विपक्षीय सहयोग को गति देने, बाजार पहुंच को सुगम बनाने और दोनों अर्थव्यवस्थाओं की वित्तीय प्रणालियों के गहन एकीकरण केलिए आवश्यक संस्थागत और नियामकीय ढांचा प्रदान करेगा। भारत-न्यूजीलैंड वित्तीय सेवा अनुबंध, मानक जीएटीएस प्रतिबद्धताओं की तुलना में उल्लेखनीय प्रगति का प्रतीक है, जो 18 अनुच्छेदों तक विकसित हुआ है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का 7वां फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है।
भारत और न्यूजीलैंड ने वित्तीय सेवा अनुबंध में घरेलू भुगतान अंतरसंचालनीयता विकसित करने और एकीकृत त्वरित भुगतान प्रणालियों से वास्तविक समयसीमा पार प्रेषण (रेमिटेंस) और व्यापारी भुगतानों में सहायता करने केलिए सहयोग की प्रतिबद्धता जताई है। यह प्रावधान भारत के डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम और फिनटेक क्षेत्र को प्रत्यक्ष रूपसे सुदृढ़ करता है। प्रवासी भारतीयों से प्रेषण प्रवाह को बढ़ाता है, भारतीय भुगतान सेवा प्रदाताओं केलिए बाजार के अवसर पैदा करता है और यूपीआई व एनपीसीआई जैसी डिजिटल भुगतान प्रणालियों में भारत की प्रौद्योगिकीय विशेषज्ञता का लाभ उठाता है। भारत न्यूजीलैंड ने वित्तीय सेवाओं में नवोन्मेषण के क्षेत्रमें सहयोगात्मक प्रयासों को मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई है। समझौते में सीमापार अनुप्रयोगों केलिए एकदूसरे के नियामक सैंडबॉक्स (नए उत्पादों, सेवाओं का परीक्षण करने केलिए एक नियंत्रित वातावरण) और डिजिटल सैंडबॉक्स संरचनाओं से सीखने केलिए विशिष्ट प्रावधान शामिल हैं। ये प्रावधान द्विपक्षीय साझेदारी में भारत को एक फिनटेक हब के रूपमें स्थापित करते हैं। यह विकसित अर्थव्यवस्था केसाथ ज्ञान के आदान-प्रदान और नियामकीय शिक्षा को सुगम बनाता है। यह भारतीय फिनटेक कंपनियों केलिए सहयोग के अवसर पैदा करता है, साथही भारत की नियामक सैंडबॉक्स पहलों की सहायता करता है।
भारत और न्यूजीलैंड, वित्तीय सूचना के हस्तांतरण, प्रसंस्करण और भंडारण से संबंधित विधायी और नियामक आवश्यकताओं को बनाए रखने के प्रत्येक पक्ष के अधिकार को स्वीकार करते हैं। इसका उद्देश्य वित्तीय सेवा आपूर्तिकर्ताओं को सीमापार डिजिटल संचालन स्थापित करने में सुविधा प्रदान करना, साथही डेटा संप्रभुता और उपभोक्ता गोपनीयता सुरक्षा पर पूर्ण नियामकीय नियंत्रण सुनिश्चित करना है। न्यूजीलैंड के बाज़ार में भारतीय वित्तीय संस्थानों को मनमानी या भेदभावपूर्ण क्रेडिट मूल्यांकन प्रक्रियाओं से सुरक्षा प्रदान की गई है। यह प्रावधान न्यूजीलैंड के घरेलू संस्थानों के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करता है, भारतीय बैंकों, बीमा कंपनियों और वित्तीय सेवा प्रदाताओं केलिए बाजार पहुंच को सुगम बनाता है। भेदभावपूर्ण नियामक व्यवहार को रोकता है, जो भारतीय वित्तीय संस्थानों की प्रचालनगत क्षमताओं को सीमित कर सकता है। भारत और न्यूजीलैंड ने बैक ऑफिस और वित्तीय सेवाओं से संबंधित सहायक कार्यों के प्रावधान में सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है, इससे भारत की विश्वस्तरीय सूचना प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक प्रक्रिया सेवा क्षमताओं का लाभ उठाया जा सकेगा। इससे भारत में केंद्रीकृत बैक ऑफिस संचालन के माध्यम से वित्तीय सेवाओं का लागत कुशल वितरण संभव हो सकेगा और भारत के वित्तीय सेवा, आईटी और व्यावसायिक प्रक्रिया आउटसोर्सिंग क्षेत्रों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।
द्विपक्षीय वित्तीय सेवा साझेदारी केलिए भारत की महत्वपूर्ण अवसंरचना क्षमता के पारस्परिक सम्मान को दर्शाता है। विशिष्ट प्रतिबद्धताओं की अनुसूचियां दोनों पक्षों केबीच प्रगतिशील सहयोग को दर्शाती हैं, जिनमें प्रमुख बैंकिंग और बीमा सेक्टरों तथा उपक्षेत्रों में बाजार पहुंच एवं राष्ट्रीय व्यवहार पर व्यापक प्रतिबद्धताएं शामिल हैं। भारत के सेक्टर वार प्रस्ताव एक दूरदर्शी उदारीकरण दृष्टिकोण को दर्शाते हैं, जिनमें बैंकिंग और बीमा में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सीमा में वृद्धि केसाथ एक उदारीकृत बैंक शाखा लाइसेंसिंग ढांचा शामिल है, जो चार वर्ष की अवधि में अधिकतम 15 बैंक शाखाएं स्थापित करने की अनुमति देता है। यह पूर्व में प्रस्तावित जीएटीएस सीमा (12 शाखाएं) से एक महत्वपूर्ण विस्तार है। ये प्रस्ताव भारतीय वित्तीय सेवा प्रदाताओं को न्यूजीलैंड में परिचालन का विस्तार करने में सक्षम बनाएंगे, जिससे वित्तीय सेवाओं के निर्यात में भारत की स्थिति मजबूत होगी और प्रगतिशील क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। ये न्यूजीलैंड के वित्तीय संस्थानों को भारत के गतिशील और तेजीसे विस्तारित वित्तीय सेवा बाजार में प्रतिस्पर्धी स्थिति प्रदान करते हैं। भारत के व्यापक कार्यनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप प्रगतिशील बाजार उदारीकरण केप्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाते हैं।
भारत-न्यूजीलैंड वित्तीय सेवा अनुबंध से दोनों सरकारों की आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ करने और तेजीसे विकसित हो रहे वित्तीय सेवा परिदृश्य में पारस्परिक अवसरों का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता स्पष्ट होती है। भारत और न्यूजीलैंड केबीच समझौता दूरदर्शी और संतुलित है तथा इसे बेहतर बाजार पहुंच, नियामकीय स्पष्टता और सहयोगात्मक ढांचे प्रदान करने केलिए बनाया गया है, जिससे दोनों देशों के वित्तीय संस्थानों और सेवा प्रदाताओं को लाभ होगा। वर्तमान में दो भारतीय बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया न्यूजीलैंड में सहायक कंपनियों के रूपमें चार शाखाएं संचालित करते हैं। न्यूजीलैंड की भारत में कोई बैंकिंग या बीमा कंपनी नहीं है और न ही किसी भारतीय बीमा कंपनी ने न्यूजीलैंड में अपना परिचालन स्थापित किया है। यह मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) स्पष्ट बाजार पहुंच प्रतिबद्धताओं, नियामक पारदर्शिता और द्विपक्षीय सहयोग ढांचे की स्थापना करके द्विपक्षीय निवेश, संस्थागत उपस्थिति और सेवाओं के वितरण में वृद्धि करेगा। यह समझौता न्यूजीलैंड में भारत की वित्तीय सेवाओं की उपस्थिति को व्यापक बनाने और न्यूजीलैंड के वित्तीय संस्थानों का भारत के बढ़ते और गतिशील वित्तीय सेवा बाजारों में स्वागत करने केलिए एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूपमें कार्य करेगा।