उपराष्ट्रपति से भारतीय रक्षा लेखा सेवा के प्रशिक्षुओं की प्रेरक बातचीत
'सेना की ऑपरेशनल तैयारियों केलिए विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन ज़रूरी'स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Monday 22 December 2025 04:54:23 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने आज भारतीय रक्षा लेखा सेवा (आईडीएएस) के 2023-24 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों से उपराष्ट्रपति एन्क्लेव दिल्ली में मुलाकात की और उन्हें अपने अनुभवों एवं प्रेरणाओं से ओतप्रोत संबोधन दिया। उपराष्ट्रपति ने उनसे कहाकि रक्षा लेखा विभाग की 275 वर्ष से अधिक की समृद्ध विरासत है और यह भारत सरकार के सबसे पुराने विभागों में से एक है। उन्होंने कहाकि 2047 तक विकसित भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर अग्रसर भारत के इस स्वप्न को साकार करने में सिविल सेवकों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उपराष्ट्रपति ने अमृतकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान का स्मरण दिलाते हुए उनसे कहाकि यह विकास समावेशी और अंतिम छोर तक सेवा पहुंचाने पर केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहाकि सिविल सेवकों की ऊर्जा और नवोन्मेषी विचार राष्ट्र निर्माण में अनुकरणीय भागीदारी निभाएंगे। उन्होंने सिविल सेवकों का ‘सेवा भाव और कर्तव्य बोध’ को मार्गदर्शक मंत्र के रूपमें अपनाने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भारतीय रक्षा लेखा सेवा के महत्व का उल्लेख करते हुए कहाकि यह सेवा भारतीय सशस्त्र बलों और संबद्ध संगठनों के वित्तीय संसाधन प्रबंधन में अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहाकि रक्षा सेवाओं के लेखा और वित्तीय प्राधिकृत संस्थान के अधिकारियों के रूपमें उन्हें अपने कर्तव्यों के निर्वहन में सशस्त्र बलों की चुनौतियों को समझना और आत्मसात करना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि सशस्त्र बलों की परिचालन तत्परता सुनिश्चित करने केलिए विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन भी ज़रूरी है। सीपी राधाकृष्णन ने सत्यनिष्ठा, पारदर्शिता, सतर्कता और उत्तरदायित्व के उच्चतम मानकों को बनाए रखने पर जोर दिया, क्योंकि सार्वजनिक धन करदाताओं के कठिन परिश्रम से अर्जित होता है। उपराष्ट्रपति ने तेज़ीसे बदलती तकनीक और वैज्ञानिक प्रगति के युग में निरंतर क्षमतावर्धन पर बल दिया। उन्होंने अधिकारियों को आजीवन सीखने केलिए आईगॉट कर्मयोगी जैसे प्लेटफार्मों के प्रभावी उपयोग केलिए प्रेरित किया।
सार्वजनिक सेवा में आदर्श मूल्यों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहाकि ज्ञान आवश्यक है, पर चरित्र सर्वोपरि है। उन्होंने अधिकारियों को स्मरण करायाकि देश के 140 करोड़ नागरिकों में से समाज में उन्हें सकारात्मक परिवर्तन लाने का दुर्लभ अवसर मिला है और उन्हें इस दायित्व को विनम्रता और समर्पण से निभाना चाहिए। विकसित भारत की ओर बढ़ते देश में सिविल सेवकों से अपेक्षाओं के बारेमें एक प्रशिक्षु अधिकारी के प्रश्न का उत्तर देते हुए उपराष्ट्रपति ने उनसे नवीन विचारों से प्रेरित रहने, आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने, काम केप्रति उत्साह बनाए रखने, सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रखने और प्रशासनिक नैतिकता अपनाने को कहा। इस अवसर पर रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा लेखा महानिदेशक विश्वजीत सहाय, रक्षा सेवा वित्तीय सलाहकार राज कुमार अरोड़ा और विशिष्ट जन उपस्थित थे।