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शहरी क्षेत्रों में मिलें सस्‍ती आवासीय सुविधाएं

किफायती आवास पर दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय संगोष्ठी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 22 July 2013 12:22:23 PM

girija vyas

नई ‌दिल्‍ली। केंद्रीय आवास एवं शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री डॉ गिरिजा व्‍यास ने निजी आवास निर्माताओं से शहरी क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर और निम्‍न आय वर्ग के लोगों के लिए सस्‍ती आवासीय सुविधाएं उपलब्‍ध कराने हेतु आर्थिक प्रारूप विकसित करने का आह्वान किया है। डॉ व्‍यास ने यह बात नई दिल्‍ली में किफायती आवास पर आयोजित एक राष्‍ट्रीय संगोष्ठी में कही। उन्‍होंने कहा कि दो दशकों के दौरान अधिकांश आवास बनाए गए और उनकी खरीददारी उच्‍च और मध्‍यम वर्ग द्वारा की गई, लेकिन समाज का एक गरीब तबका विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्‍लूएस) तथा निम्‍न आय वर्ग (एलआईजी) को इस रियल क्षेत्र का लाभ नहीं मिल सका। डॉ व्‍यास ने कहा कि उनके मंत्रालय के तकनीकी समूह से इस बात का पता चला है कि देश में कुल 18.78 मिलियन आवासों की कमी है, जिनमें से 96 प्रतिशत की कमी ईडब्‍लूएस और एलआईजी वर्गों के लिए है और इस प्रकार इसमें और अधिक निवेश की आवश्‍यकता है और इसलिए इस अंतर को पाटने के लिए सरकार के साथ-साथ निजी क्षेत्रों को भी महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करने की आवश्यकता है।
डॉ गिरिजा व्‍यास ने नेशनल बिल्डिंग ऑर्गनाइजेशन की 'शहरी सूचक-एक सांख्यिकीय संकलन 2013' का विमोचन भी किया। इस प्रकाशन का उद्देश्‍य जहां शहरीकरण, शहरी गरीबी, स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, बेरोज़गारी तथा आवासीय सुविधाओं से संबंधित महत्‍वपूर्ण आंकड़े उपलब्‍ध कराना है, वहीं शहरी विकास एवं गरीबी उन्‍मूलन में ये आंकड़े नीति-निर्माताओं, नियोजकों, प्रशासकों, अनुसंधानकर्ताओं, सिविल सोसाइटी एवं अन्‍य हितधारकों के लिए काफी सहायक होगें। गिरिजा व्‍यास ने बताया कि उनके मंत्रालय ने झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पुनर्वास से संबंधित राजीव आवास योजना, आवासीय ऋण पर ब्याज में छूट दिए जाने संबंधी राजीव ऋण योजना, आवासों के निर्माण में निजी क्षेत्र को शामिल किए जाने संबंधी किफायती आवास भागीदारी योजना एवं शहरी गरीबों में रोजगार क्षमता को बढ़ावा देने के लिए राष्‍ट्रीय शहरी आजीविका मिशन सहित सभी प्रमुख योजनाओं में सुधार किया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि चालू योजना के दौरान काफी बड़ी बजटीय सहायता का प्रावधान किया गया है।
डॉ व्‍यास ने कहा कि समावेशी एवं सतत शहरी विकास के लिए केंद्र एवं राज्‍य सरकारों के कार्यक्रम पर तत्‍काल ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है। देश में हो रहे शहरीकरण के अनुकूल नीति तैयार करने की आवश्‍यकता है, साथ ही उभरती चुनौतियों से निपटने के लिए प्रशासन को तैयार रहना चाहिए। डॉ व्‍यास ने घोषणा की कि आवास एवं शहरी गरीबी उन्‍मूलन मंत्रालय में सचिव, अरूण कुमार मिश्रा की अध्‍यक्षता में किफायती आवास के संवर्धन पर पिछले वर्ष गठित कार्यबल के सुझावों के क्रियान्‍वयन के लिए उनका मंत्रालय संबंधित केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं राज्‍य सरकारों के साथ विचार-विमर्श करेगा। इस कार्यबल के प्रमुख सुझावों के बारे में जानकारी देते हुए श्री अरूण कुमार मिश्रा ने कहा कि किफायती आवास क्षेत्रों से संबंधित प्रोत्‍साहनों में विकास संबंधित शुल्‍क एवं सेवा-कर में छूट शामिल हैं। इन सुझावों में किफायती आवास परियोजनाओं में प्रत्‍यक्ष कर में रियायत देने एवं इस क्षेत्र को अवसंरचना सुविधा में शामिल किए जाने की भी बात कही गई है। कार्यबल ने विचार व्‍यक्‍त किया की सरकार को किफायती आवास परियोजनाओं में सीधे तौर पर पूंजी सहायता उपलब्‍ध कराने की जरूरत है। इन सुझावों में किफायती आवास परियोजनाओं में आवश्‍यक पूंजी निवेश के लिए एफडीआई, ईसीबी जैसे माध्‍यमों को भी शामिल किए जाने की जरूरत है।
दूसरी और आपूर्ति पक्ष वाले गैर-वित्‍तीय प्रोत्‍साहनों के लिए इन सुझावों में किफायती आवास परियोजनाओं के प्रक्रिया के त्‍वरित स्वीकृति के लिए समयावधी में कमी लाये जाने की बात कही गई है। मिश्रा ने यह भी कहा कि इस रिपोर्ट में राज्‍यों एवं नगरों से मौजूदा भूमि की पूर्ण सूची तैयार करने के अलावा एफएसआई में हो रही वृद्धि और टीडीआर सुविधाएं उपलब्‍ध कराने का आग्रह किया गया है। दूसरी और मांग पक्ष वित्‍तीय प्रोत्‍साहनों में शहरी गरीबों के लिए ब्याज में रियायत एवं किफायती आवासीय परियोजनाओं में सम्‍पत्ति के पंजीकरण में स्‍टॉम्‍प दर में कमी लाये जाने के सुझाव शामिल हैं, वही मांग पक्ष गैर-वित्‍तीय सुविधाओं में सभी हितधारकों के सहयोग से किफायती आवासीय सुविधाओं के निर्माण में सरकार के लिए एक सहायक की भूमिका अदा करने की जरूरत है। संगोष्ठी में राज्‍यों के आवास एवं शहरी विकास मंत्रालयों, केंद्र एवं राज्‍य सरकारों के मंत्रालयों के वरिष्‍ठ अधिकारियों के अलावा औद्योगिक संघों, अकादमी सदस्‍यों एवं इस विषय से संबंधित तकनीकी विशेषज्ञों सहित 200 से ज्‍यादा प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

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