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Thursday 25 September 2025 12:36:27 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी के पुरस्कार समारोह का 64वां संस्करण नई दिल्ली में हुआ। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समारोह की मुख्य अतिथि थीं। राष्ट्रपति ने दृश्यकला में विलक्षण योगदान केलिए 20 उत्कृष्ट कलाकारों को पुरस्कार प्रदान किए। राष्ट्रपति ने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहाकि भारतीय परंपरा में कला को लंबे अर्से से एक आध्यात्मिक साधना माना जाता है, कला केवल सौंदर्यबोध का माध्यम ही नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को समृद्ध करने और समाज को अधिक संवेदनशील बनाने का सशक्त साधन भी है। उन्होंने सराहना कीकि कलाकार अपनी दृष्टि और कल्पना का उपयोग करके नए भारत की छवि प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त कियाकि उनका कार्य अन्य कलाकारों को यह कला आगे बढ़ाने केलिए प्रेरित करेगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कलाकारों को आर्थिक सहायता देने के महत्व पर ज़ोर दिया। राष्ट्रपति ने पहलीबार कलाकृतियों को बिक्री केलिए रखे जाने की ललित कला अकादमी की पहल का स्वागत किया, जिससे 1 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि एकत्रित हुई। उन्होंने कहाकि इससे कलाकारों की आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और हमारी रचनात्मक अर्थव्यवस्था मज़बूती मिलेगी। उन्होंने कहाकि कलाप्रेमी केवल कलाकृतियों की सराहना ही न करें, बल्कि उन्हें खरीदकर घर ले जाएं, आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति के रूपमें भारत की पहचान मज़बूत बनाने केलिए हम सभी को मिलकर यह करना चाहिए। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहाकि कला किसी भी राष्ट्र की पहचान होती है, कला और कलाकारों का समर्थन राष्ट्रीय भावना और चेतना को मज़बूती प्रदान करता है। उन्होंने कहाकि पुरस्कृत कृतियों को बिक्री केलिए उपलब्ध कराना कलाकारों को सशक्त बनाता है, उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद करता है और उनकी आर्थिक प्रगति में योगदान देता है। उन्होंने कहाकि राष्ट्रीय चेतना को सही मायने में आकार देने केलिए कला को घरों, स्कूलों, संस्थानों और सार्वजनिक स्थानों का अभिन्न अंग बनना चाहिए।
संस्कृति मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल ने 1955 से निरंतर आयोजित हो रही एनईए के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहाकि इस वर्ष देशभर से प्राप्त 5,922 प्रविष्टियों में से 283 कलाकृतियों को प्रदर्शन केलिए चुना गया है और 20 उत्कृष्ट कृतियों को पुरस्कृत किया गया है। उन्होंने कहाकि पिछले कुछ वर्षों में एनईए भारत की सांस्कृतिक गहराई को समझने और दृश्यकला के विविध रूपों को बढ़ावा देने के एक प्रमुख मंच के रूप में उभरी है, जिसमें प्रत्येक विजेता को 2,00,000 रुपये के नकद पुरस्कार केसाथ एक स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। इस अवसर पर उपाध्यक्ष ललित कला अकादमी नंदलाल ठाकुर भी उपस्थित थे। गौरतलब हैकि नई दिल्ली में 5 अगस्त को 64वीं राष्ट्रीय कला प्रदर्शनी का संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उद्घाटन किया था। भारत की राष्ट्रीय कला अकादमी और ललित कला अकादमी की यह प्रदर्शनी वरिष्ठ और नवोदित कलाकारों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मंच प्रदान करते हुए भारत की समृद्ध दृश्य विरासत और समकालीन कला परिदृश्य का कीर्तिगान करती है।