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बलूचिस्तान अमरीकियों की एक और कब्रगाह?

बीएलए को आतंकवादी संगठन घोषित करना अमरीका की बड़ी भूल

डोनाल्ड ट्रंप के भरोसे पाकिस्तान अब भारत पर कर सकता है हमला

Saturday 16 August 2025 06:57:19 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

balochistan liberation army (file photo)

नई दिल्ली। पाकिस्तान के आर्मी चीफ सैयद असीम मुनीर अहमद शाह का अमरीका में बैठकर भारत को परमाणु बम की धमकी देना और पाकिस्तान के कब्जाए हुए बलूचिस्तान की आजादी के बलूच क्रांतिकारियों के संगठन बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (बीएलए) को अमरीका द्वारा आतंकवादी संगठन घोषित करना राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक तीर से दो शिकार है। भारत से मरने से बचाने केलिए डोनाल्ड ट्रंप के सामने गिड़गिड़ाते पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख जनरल असीम मुनीर को लगा होगाकि उसने बीएलए को आतंकवादी संगठन घोषित कराकर बहुत बड़ा तीर मार लिया है, लेकिन यह फैसला डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान केलिए आत्मघाती आग में कूदने जैसा भयानक परिणामों वाला ही होगा, यह भी उन्हें पता है। एशिया में सदैव मुंहकी खाने और अमरीकी सैनिकों को मरते देख अपने युद्ध हथियार छोड़कर भागने के अलावा अमरीका की कोईभी सैन्य और कूटनीति सफल हुई हो तो कोई बताए? अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब फिर एशिया में एक ऐसे गैर भरोसेमंद देश पाकिस्तान केलिए पंगा लिया है, जिसने अमरीका के मोस्टवांटेड इस्लामिक आतंकवादी सरगना ओसामा बिन लादेन को अपने सैनिक एरिया में पनाह दी हुई थी और जिसे दुनिया एक आतंकवादी देश मानती है। बहरहाल यह बीएलए केसाथ सीधा-सीधा भारत को भी संकेत हैकि पाकिस्तान डोनाल्ड ट्रंप की शह पर अब आगे कभी भारत पर हमला भी कर सकता है, मगर सब जानते हैं कि इसबार पाकिस्तान मिट जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की रूस से तेल खरीदना जारी रखने पर भारत को लगातार देखलेने की धमकियों और भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से भी इस बात की पुष्टि होती हैकि डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ कुछभी करने का भरोसा दे दिया है, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान को भारत के हाथों बर्बाद होने से कितना बचा पाएंगे? ऐसा पहले भी हो चुका हैकि पाकिस्तान को भारत के खिलाफ उकसाकर और उसको मदद की गारंटी देकर अमरीका ने उसे जंग में उतार दिया और फिर भारत के हाथों मरते-पिटते पाकिस्तान को धोखा दे दिया और पाकिस्तान ने भारत के सामने आत्मसर्मपण कर अपनी जान बचाई। ऐसाही एक और ताजा उदाहरण रूस-यूक्रेन युद्ध है, जिसमें अमरीका ने यूक्रेन को नाटो से मदद कराने का भरोसा देकर रूस के खिलाफ युद्ध में उतार दिया और आज यूक्रेन तबाह हो रहा है। अमरीका केवल यूक्रेन को हथियार और पैसा देने के अलावा उसकी और कोई मदद नहीं कर पाया है जबकि रूस अनवरत यूक्रेन पर ताबड़तोड़ हमले करता जा रहा है। यूक्रेन को भी लग गया हैकि उसने अमरीका पर भरोसा करके रूस से भिड़कर बहुत बड़ी गलती कर दी है, जो यूक्रेन की त्रासदी बनी रहेगी। डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसाही भरोसा पाकिस्तान को दे दिया है, जबकि पाकिस्तान को इस भरोसे का खतरनाक अंजाम भी पता है।
पाकिस्तान अमरीका के बूते और वह भी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भरोसे भारत को परमाणु बम की चाहे जितनी और चाहे जैसी धमकियां दे ले, भारत-पाकिस्तान में अब कोईभी सैन्य टकराव हुआ या युद्ध हुआ तो उसकी पाकिस्तान को बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी। दुनिया देख रही है और जानती हैकि अमरीका संकटकाल में किसीकी मदद नहीं कर पाया है, यह अलग बात हैकि उसके पास दुनिया के सबसे ज्यादा खतरनाक हथियारों का जखीरा है, जिनकी वह दुनिया के देशों को धमकियां दिया करता है, मगर उसके यह हथियार अपनी खुदकी हिफाजत केलिए हैं, नाकि किसी दूसरे देश की रक्षा केलिए हैं। अमरीका कई मौकों पर अपनी विदेशी रणनीतियों में विफल पाया गया है। वह हाल ही में ईरान-इजरायल युद्ध में इजरायल की मदद करने तब आया, जब ईरान इजरायल में भारी तबाही मचा चुका था और यदि इजरायल इस युद्ध को अपने बूते नहीं लड़ता तो वह खत्म हो चुका था। सवाल हैकि 'का वर्षा जब कृषि सुखाने?' अमेरिका की इजरायल को मदद पर यह कहावत चरितार्थ होती है। ईरान-इराक युद्ध में भी अमरीका को मुंहकी खानी पड़ी है। ईराक से युद्ध में अमरीका ने अपनी सेना और संसाधनों की कीमत चुकाई है, यह देश-दुनिया जानती है, जिसे वह भी नहीं भूल पाएगा। अफगानिस्तान में अमरीका का क्या हस्र हुआ है? उसे अफगानिस्तान में हारकर अपने युद्ध्रक हथियार छोड़कर अमरीका लौटजाना पड़ा है। अमरीका और जगहों पर भी मुंहकी ही खाया है। अमरीका शांतिदूत भी नहीं माना जाता है। उसने जापान के नागासाकी शहर पर परमाणु बम गिराया था, जिसे दुनिया आज भी एक भयानक मानवत्रासदी के रूपमें याद करती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक लोकप्रियता की छवि और भारत के विश्व की तीसरी बनती अर्थव्यवस्था से विचलित डोनाल्ड ट्रंप भारत के रूस से तेल खरीदने के चिढ़कर भारत से रणनीतिक साझेदारी मित्रता करने के बावजूद अब फिर पाकिस्तान की मदद करने निकले है। भारत केसाथ रणनीतिक संधि करके उसने भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने के नामपर पलटी मारी है और भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाकर जो धमकियां दे रहे हैं, उससे अमरीकी नीति और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दगाबाज़ फितरत का पता चलता है। डोनाल्ड ट्रंप की बलूचिस्तान के खनिजों और तेल भंडारों पर नज़र पड़ गई है, जहां पहले से ही चीन ने पाकिस्तान केसाथ मिलकर सीपैक बनाया हुआ है। गौर कीजिए कि क्या बलूचिस्तान में खनिजों को लेकर चीन और अमरीका केबीच गंभीर टकराव नहीं होगा? यह किसे नहीं मालूम कि बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी बलूचिस्तान को पाकिस्तान से छुड़ाना चाहती है और उसने सशस्त्र संघर्ष से सीपैक को तहस नहस कर रखा है, पाकिस्तान आर्मी के छक्के छुड़ा रखे हैं, इसलिए ऐसे में अमरीका बलूचिस्तान के तेल और खनिजों में कूदकर अपनी एक और कब्रगाह बनाने की तरफ नहीं बढ़ रहा है? पाकिस्तान की भ्रष्ट आर्मी और नेताओं के कारण वहां के हालत किसी से नहीं छिपी हैं। भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को उस स्तरपर पहुंचा दिया हैकि अमरीका चाहकर भी उसकी मदद नहीं कर पाएगा। अमरीका की बलूचिस्तान के बीएलए से पहले जंग होनी तय है। पाकिस्तान को लग रहा हैकि अब वह भारत से युद्ध करने की क्षमता में आ गया है।
अमरीका पाकिस्तान की कितनी मदद कर पाएगा अब देखना है। हाल के घटनाक्रमों से यह तो तय हो गया हैकि डोनाल्ड ट्रंप भारत की जनता का विश्वास खो चुके हैं। रूस ही भारत का भरोसेमंद मित्रदेश है और जब अमरीका पाकिस्तान की मदद को आएगा तो वैसा ही होगा, जैसे भारत से पहले के तीन-चार युद्धों में हुआ है। बलूचिस्तान की आजादी केलिए बलूचों के क्रांतिकारी संगठन बीएलए को पाकिस्तान की ज़िद पर आतंकवादी संगठन घोषित करके अमरीका ने बहुत बड़ी गलती कर दी है, क्योंकि बीएलए बहुत शक्तिशाली हो चुका है और अमरीका को उससे भिड़कर नुकसान ही होना है। वह भारत को छोड़कर पाकिस्तान केसाथ आकर जो संदेश देना चाहता है, वहभी क्षणभंगुर और अमरीका का घातक कदम है। रूस-यूक्रेन युद्ध रोकने में अमरीका का विफल होना बताता हैकि डोनाल्ड ट्रंप की कोईभी नीति सफल नहीं हो रही है और अमरीका पर आगे कोईभी भरोसा नहीं कर सकता है। आज अलास्का में रूस-यूक्रेन युद्ध पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन केबीच वार्ता विफल हो ही चुकी है। व्लादीमिर पुतिन ने डोनाल्ड ट्रंप की एक नहीं सुनी है और वे डोनाल्ड ट्रंप के सीजफायर कार्ड की हवा निकालकर मास्को लौट गए हैं। सुपरपॉवर अमरीका और डोनाल्ड ट्रंप की इससे ज्यादा बेइज्जती और क्या होगी? दुनिया के किसीभी देश को अमरीका का साथ शुभ नहीं रहा है। पाकिस्तान अमरीका से मदद पाने केलिए केसाथ अपने कड़वे अनुभव को हरबार भूल जाता है। अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भरोसे पाकिस्तान ने भारत पर फिर हमला किया तो उसका परिणाम पाकिस्तान और अमरीका दोनों ही जानते हैं।
गौरतलब हैकि पाकिस्तान से आजादी मांग रहे बलूचिस्तान के हजारों क्रांतिकारियों का पाकिस्तानी सेना केसाथ सशस्त्र संघर्ष चल रहा है और बलूचिस्तान के हजारों युवक-युवतियों और नागरिकों को पाकिस्तानी सेना उठाकर उनका कत्लेआम कर चुकी है, जिसके फलस्वरूप बीएलए ने भी पाकिस्तानी सेना की तबाही मचा रखी है। अमरीका और जांबाज़ बीएलए केबीच अब जंग होगी जिसपर सबकी नज़र टिक गई है। पाकिस्तानी सेना पर यह भी आरोप हैकि वह बलूचिस्तान के शहर कस्बों और गावों में लोगों के घरों में घुसकर युवक युवतियों का अपहरण कर उनको गायब कर रही है या मार रही है, बलोच युवतियों से बलात्कार कर रही है। आजादी समर्थक बलूचिस्तान के कई बड़े नेताओं की भी पाकिस्तानी सेना हत्याएं कर करवा चुकी है। वहां जो भी आजादी की बात करता है, उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है या जेल भेज दिया जाता है। पाकिस्तान से आजादी मांगने वाले हजारों बलूचिस्तानी पाकिस्तानी जेलों में यातनाएं झेल रहे हैं। बलूचिस्तान की आजादी के इस स्वतंत्रता आंदोलन से भारत की भी गहरी रणनीतिक सहानुभूति है, जिससे पाकिस्तान कहा करता हैकि भारत बलूचिस्तान में दखल देता है। बलूचिस्तान के लोग कई अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी आजादी की मांग कर चुके हैं। चीन उनका विरोध करता आ रहा है, अब इसमें अमरीका भी कूद पड़ा है और उसने बीएलए को आतंकवादी संगठन ही घोषित कर दिया है। पाकिस्तान ने अपने स्वार्थ में अमरीका को झूंठे सब्जबाग दिखाकर बीएलए से भिड़ा दिया है, अब देखना हैकि इसका अंजाम क्या होता है।

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