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किशोर और किशोरियों में भयानक एनीमिया

स्‍कूलों में आयरन फोलिक एसिड साप्ताहिक कार्यक्रम शुरू

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 16 July 2013 07:10:43 AM

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नई दिल्‍ली। किशोर और किशोरियों के लिए आयरन फोलिक एसिड अनुपूरण साप्ताहिक कार्यक्रम कल 17 जुलाई शुरू हो रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान की अपर सचिव और अभियान निदेशक अनुराधा गुप्ता ने मीडिया से कहा कि भारत में किशोर और किशोरियों में एनीमिया के व्यापक मामले हैं। उन्होंने कहा कि करीब 56 प्रतिशत लड़कियां और 30 प्रतिशत लड़के एनीमिया से पीड़ित हैं। प्राथमिक स्तर पर एनीमिया की बीमारी आवश्यक पोषक तत्वों की कमी की वजह से होती है। उन्होंने कहा कि पोषक तत्वों की कमी आज देश में सर्वाधिक गंभीर विषय है, पोषक तत्वों की कमी के करीब 50 प्रतिशत मामलों में लौह तत्व की कमी से होने वाला एनीमिया है। अनुराधा गुप्ता ने कहा कि एनीमिया की वजह से किशोरों और किशोरियों का शारीरिक विकास पूरी तरह से नहीं हो पाता। उनकी शिक्षा क्षमता और दैनिक कार्यों पर भी इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। एनीमिया की शिकार किशोरियों को समय से पूर्व प्रसव और कम वज़न वाले नवजात शिशुओं के जन्म जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
अनुराधा गुप्ता ने कहा कि एनीमिया से पीड़ित लड़कियों में मातृ मृत्यु दर का जोखिम अधिक रहता है। युवा महिलाओं में करीब एक तिहाई मातृ मृत्यु दर 15-24 वर्ष की आयु के बीच होती है। उन्होंने कहा कि बच्चों, युवाओं और हमारी आगामी पीढ़ी के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए एनीमिया जैसी जटिल बीमारी का हल तलाशना होगा, इसी उद्देश्य के साथ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने साप्ताहिक लौह और फोलिक एसिड अनुपूरण (डब्ल्यूआईएफएस) कार्यक्रम तैयार किया है। इस कार्यक्रम के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी इस चुनौती से निपटने के लिए कारगर कदम उठाए जाएंगे।
उन्‍होंने बताया कि एक विशिष्ट पहल के तहत आईएफए अनुपूरक प्रदान किया जा रहा है। पोषण और स्वास्थ्य शिक्षा पर आधारित सत्रों के माध्यम से विद्यालय और आंगनबाड़ी केंद्र पोषण और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर नवयुवकों और नवयुवतियों को उनके स्वास्थ्य पर सलाह दी जाएगी। डब्ल्यूआईएफएस के अंतर्गत 10-19 वर्ष आयु समूह की किशोर जनसंख्या को शामिल किया गया है। ये कार्यक्रम शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के साथ देशभर में लागू किया गया है। इसमें कक्षा 6-12 के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के 6 करोड़ लड़कियां और लड़के तथा स्कूल न जाने वाले 7 करोड़ किशोर और किशोरियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को सुझाव दिया है कि वे सप्ताह में एक दिन और संभव हो तो सोमवार को आईएफए गोलियां किशोर और किशोरियों को प्रदान करें।
अनुराधा गुप्ता ने कहा कि ये कार्यक्रम महिला और बाल विकास मंत्रालय की समेकित बाल विकास योजना, सबला और एमओएचएफडब्ल्यू के तरुण स्वास्थ्य कार्यक्रमों की तरह ही किशोरों और किशोरियों के स्वास्थ्य पोषक जरूरतों से जुड़े मुद्दों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच साबित होगा। डब्ल्यूआईएफएस को राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ब्ल़ॉक स्तर पर सुविधाएं प्रदान की जा चुकी हैं। ये कार्यक्रम भी महिला और बाल विकास मंत्रालय के प्रमुख हितधारक मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ मिलकर संचालित किया जा रहा है । वर्ष 2012-13 के दौरान स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय इस कार्यक्रम के लिए 133 करोड़ रुपये का आवंटन कर चुका है।

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