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'विश्वसनीय सूचना का ही प्रसार किया जाए'

भारतीय सूचना सेवा 2023-24 बैच के प्रशिक्षु स्पीकर से मिले

'भारत की गाथाएं प्रामाणिकता और ईमानदारी के साथ बताएं!'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 31 July 2025 03:23:12 PM

indian information service 23-24 batch trainees met the speaker

नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा हैकि हमारे विशाल, विविध और गतिशील राष्ट्र में सूचना केवल शक्ति नहीं, बल्कि ज़िम्मेदारी भी है। भारतीय संसद से संबंधित तीन दिवसीय प्रवास पर आए भारतीय सूचना सेवा 2023-24 बैच के प्रशिक्षुओं से संसद परिसर में संवाद में ओम बिरला ने कहाकि ऐसे समय में जब सूचनाएं विचारों की गति से फैल रही हैं और सूचना का प्रवाह समाज को प्रभावित कर रहा है, तब सूचना सेवा अधिकारी के रूपमें उनकी भूमिका पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। स्पीकर ने प्रशिक्षुओं से कहाकि आजके समय में एआई ने जहां सूचनाओं को सरल व तेजी से प्रसार योग्य बनाया है, इसीके साथ कई चुनौतियां भी हमारे सामने आई हैं। उन्होंने कहाकि नीतियों के व्याख्याकार, जन-समझ को सुगम बनाने वाले और पारदर्शिता के रक्षक के रूपमें सूचना सेवा अधिकारियों की जिम्मेदारी हैकि वे प्रामाणिक, तथ्यपूर्ण और संतुलित जानकारी नागरिकों तक पहुंचाएं। ओम बिरला ने कहाकि भारत की गाथाएं प्रामाणिकता और ईमानदारी केसाथ बताई जाएं, क्योंकि आज देश प्राचीन ज्ञान और आधुनिकता के संगम पर खड़ा है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सिविल सेवकों का न केवल सरकार की आवाज़ बनने, बल्कि नीति के व्याख्याकार, जनता केलिए सुगम और पारदर्शिता के रक्षक बनने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि सिविल सेवक केवल सरकारी नीतियों के संप्रेषक ही नहीं हैं, बल्कि वे राज्य और उसके नागरिकों केबीच सेतु का काम भी करते हैं। उन्होंने कहाकि उनको भारत, उसकी विविधता और उसके लोकतांत्रिक चरित्र को समझना होगा। ओम बिरला ने कहाकि सिविल सेवकों को आगे बढ़कर नेतृत्व करना होगा एवं संसदीय प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक आदर्शों की समझ उनके लिए जरूरी हैं। उन्होंने कहाकि हमारे लोकतंत्र के केंद्र में संसद है, यह ऐसी सर्वोच्च विधायी संस्था है, जहां राष्ट्रीय विमर्श आकार लेता है, विधेयकों पर बहस होती है, उन्हें पारित किया जाता है और जहां सरकार को जवाबदेह ठहराया जाता है। ओम बिरला ने प्रशिक्षुओं का आह्वान कियाकि सरकारी नीतियों के भावी संप्रेषकों के रूपमें संसदीय प्रक्रियाओं की उनकी समझ गहरी और मज़बूत हो।
ओम बिरला ने प्रशिक्षु अधिकारियों से आग्रह कियाकि वे समझेंकि एक विधेयक कानून कैसे बनता है, बहस के चरण, समिति की जांच और विधायी प्रक्रिया की बारीकियां क्या हैं। उन्होंने संसदीय प्रश्नों, शून्यकाल, विशेष उल्लेखों के महत्व पर प्रकाश डाला और बतायाकि ये कैसे जनसरोकार और राजनीतिक जवाबदेही की नब्ज़ को दर्शाते हैं। उन्होंने संसदीय समितियों की भूमिका पर भी ज़ोर दिया, जो लघु संसद की तरह हैं और कानून एवं नीति को मज़बूत बनाने केलिए पर्दे के पीछे काम करती हैं। ओम बिरला ने प्रशिक्षु अधिकारियों को समझायाकि संसदीय बहसें जनमत को कैसे प्रभावित करती हैं, इसके लिए सूक्ष्म संचार की आवश्यकता होती है और उनसे इन जटिल चर्चाओं को ऐसी जानकारी में बदलने का आग्रह किया, जिसे जनता समझ सके और भरोसा कर सके। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों से कहाकि वे एक ऐसी सेवा में प्रवेश कर रहे हैं, जहां उनका प्रत्येक शब्द और उनका प्रत्येक वक्तव्य राष्ट्रीय हित का भार रखता है।
लोकसभा अध्यक्ष ने अधिकारियों से विकसित भारत 2047 के विज़न केप्रति समर्पित होने केलिए कहा। उन्होंने उनसे इस विज़न को अपनी दैनिक प्रेरणा और मार्गदर्शक सिद्धांत बनाने का आह्वान किया। भारत की 75 वर्ष की लोकतांत्रिक यात्रा का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहाकि पारदर्शिता, जवाबदेही और भागीदारी सुनिश्चित करने केलिए लोकतंत्र शासन का सबसे प्रभावी मॉडल है। लोकसभा अध्यक्ष ने सरकारी संचार में गति, दक्षता और पारदर्शिता बढ़ाने केलिए प्रौद्योगिकी को अधिक से अधिक अपनाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अधिकारियों से कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण और ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को अपने दैनिक कामकाज में सक्रिय रूपसे शामिल करने का आग्रह किया। लोकसभा अध्यक्ष ने तेज़ीसे विकसित होरहे तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र केसाथ तालमेल बनाए रखने केलिए निरंतर कौशल विकास के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि भविष्य केलिए तैयार और नागरिक केंद्रित प्रशासन के निर्माण केलिए तकनीकप्रेमी नौकरशाही अत्यंत जरूरी है। प्रशिक्षु अधिकारियों ने लोकसभा की कार्यवाही भी देखी। इस अवसर पर भारतीय जनसंचार संस्थान की कुलपति डॉ प्रज्ञा पालीवाल, आईआईएमएस के रजिस्ट्रार डॉ निमिष रुस्तगी, आईआईएस पाठ्यक्रम निदेशक रश्मि रोजा तुषारा और लोकसभा सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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