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एनडीए में श्रीमंत बाजीराव पेशवा की प्रतिमा

भारतवर्ष के योद्धाओं के पुरातन इतिहास से रू-ब-रू हुए युवा

पुणे की धरती स्वराज के संस्कारों का उद्गम-केंद्रीय गृहमंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 4 July 2025 05:26:04 PM

statue of shrimant bajirao peshwa in nda

पुणे। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने आज पुणे के खडकवासला में महान राष्ट्रभक्त और मराठा गौरव के प्रतीक श्रीमंत बाजीराव पेशवा 'प्रथम' की प्रतिमा का अनावरण किया। गृहमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के विकास और विरासत भी का सूत्रपात किया है, जिससे हमारी हज़ारों साल पुरानी संस्कृति के प्रेरणास्रोतों के इतिहास को हमारे युवाओं के सामने लाना ज़रूरी है। उन्होंने कहाकि पुणे की धरती स्वराज के संस्कारों का उद्गम स्थान है, 17वीं शताब्दी में यहीं से स्वराज की आवाज़ उठी थी और जब अंग्रेज़ों से स्वराज केलिए लड़ने का समय आया तो सबसे पहले लोकमान्य बालगंगाधर तिलक महाराज ने आवाज़ उठाई। गृहमंत्री ने कहाकि वीर सावरकर ने महाराष्ट्र की भूमि से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत कियाकि एक व्यक्ति अपने देश केलिए कितना कुछ कर सकता है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि पेशवा बाजीराव की देशभर में कई जगह प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं, लेकिन उनका स्मारक बनाने की सबसे उचित जगह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी पुणे ही है और भारत की तीनों सेनाओं के सूत्रधार यहीं प्रशिक्षित होते हैं। अमित शाह ने कहाकि हमारे सैनिक बाजीराव पेशवा की प्रतिमा से प्रेरणा लेकर अभ्यास करते हैं। गृहमंत्री ने कहाकि युद्धकला के कुछ नियम कभी कालबाह्य नहीं होते और वे अमर होते हैं। उन्होंने कहाकि युद्ध में व्यूह रचना, तेज़ी, समर्पण, देशभक्ति और बलिदान का भाव ही सेनाओं को विजय दिलाती है, इन सभी गुणों का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण 500 साल के भारतीय इतिहास में श्रीमंत बाजीराव पेशवा में ही मिल सकता है। अमित शाह ने कहाकि बाजीराव पेशवा ने 20 साल में 41 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की। उन्होंने कहाकि पराजय को पूरे जीवन अपने नज़दीक न आने देने वाले बाजीराव पेशवा जैसे वीर सेनानी की प्रतिमा लगाने का सबसे उचित स्थान एनडीए ही हो सकता है।
अमित शाह ने कहाकि बाजीराव पेशवा ने अपने कौशल, रणनीति और वीर साथियों की मदद से कई हारे हुए युद्धों को जीत में परिवर्तित किया। उन्होंने कहाकि गुलामी की निशानियों को हर जगह ध्वस्तकर वहां स्वतंत्रता का दीप प्रज्जवलित करने का काम बाजीराव पेशवा ने किया। अमित शाह ने कहाकि पूरे 20 साल के कालखंड में बाजीराव पेशवा को घोड़े से नीचे उतरते हुए किसी ने नहीं देखा, शनिवारवाड़ा का निर्माण, जल प्रबंधन और कई कुरीतियों के खिलाफ बाजीराव पेशवा ने लड़ाई लड़ी। गृहमंत्री ने कहाकि कुछ लोग बाजीराव पेशवा को ईश्वरप्रदत्त सेनापति, अजिंक्य योद्धा और शिव शिष्योत्तम बाजीराव पेशवा भी कहते हैं, बाजीराव पेशवा ने सभी युद्ध अपने लिए नहीं, बल्कि देश और स्वराज केलिए लड़े। गृहमंत्री ने कहाकि छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी अपने छोटे से जीवनकाल में न सिर्फ हिंदवी स्वराज की स्थापना का काम किया, बल्कि युवाओं के मन में स्वराज के संस्कार भी भरे। उन्होंने कहाकि शिवाजी महाराज केबाद कई योद्धाओं ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए स्वराज की ज्योति को बुझने नहीं दिया।
अमित शाह ने कहाकि अगर शिवाजी महाराज की स्वतंत्रता की लड़ाई को पेशवाओं ने 100 साल तक न चलाया होता तो आज भारत का मूल स्वरूप ही न बचा होता। अमित शाह ने कहाकि जबभी जीवन में निराशा आने लगती है तो मन में बाल शिवाजी महाराज और श्रीमंत बाजीराव का विचार आते ही निराशा कोसों दूर चली जाती है। उन्होंने कहाकि शिवाजी महाराज की कल्पना का भारत बनाने की ज़िम्मेदारी 140 करोड़ भारतीयों की है, स्वराज को बनाए रखने केलिए जबभी ज़रूरत पड़ेगी तो हमारी सेनाएं यह काम ज़रूर करेंगी, ऑपरेशन सिंदूर इसका उदाहरण है। अमित शाह ने कहाकि स्वराज केसाथ-साथ महान भारत की रचना भी छत्रपति की ही कल्पना थीकि एक ऐसे भारत का निर्माण हो जो आज़ादी की शताब्दी के समय हर क्षेत्र में सर्वप्रथम हो। उन्होंने कहाकि इस जीवन लक्ष्य को सिद्ध करने केलिए पुरुषार्थ, समर्पण औऱ बलिदान की प्ररेणा देने के लिए श्रीमंत बाजीराव पेशवा से उत्तम व्यक्ति हमारे इतिहास में कोई और नहीं है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार, केंद्रीय सहकारिता राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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