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'आतंकवाद पोषित देशों को परिणाम भुगतने होंगे'

रक्षामंत्री का एससीओ से आतंकवाद के विरुद्ध एकजुटता का आह्वान

चीन के क़िंगदाओ में एससीओ रक्षा मंत्रियों केबीच गहन विचार विमर्श

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Thursday 26 June 2025 02:49:14 PM

sco defence ministers meeting in qingdao china

क़िंगदाओ (चीन)। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आज चीन के क़िंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षामंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति में बदलाव की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की और सदस्य देशों से सामूहिक सुरक्षा एवं रक्षा हेतु आतंकवाद को निर्मूल करने केलिए एकजुट होने का आह्वान किया। रक्षा मंत्रियों, एससीओ महासचिव, एससीओ के क्षेत्रीय आतंकवाद निरोधक ढांचे के निदेशक और प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि विकास और प्रगति के सामने सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित हैं तथा बढ़ती कट्टरता, उग्रवाद और आतंकवाद इन समस्याओं का मूल कारण हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि शांति और समृद्धि, आतंकवाद और गैर राजकीय तत्वों या आतंकी समूहों केपास सामूहिक विनाश के हथियारों केसाथ सहअस्तित्व नहीं रख सकती, इनसे निपटने केलिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहाकि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और अपने संकीर्ण एवं स्वार्थी उद्देश्यों केलिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि कुछ देश सीमापार आतंकवाद को अपनी नीति के रूपमें इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं, ऐसे दोहरे मानदंडों केलिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए और एससीओ को भी ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए। रक्षामंत्री ने बतायाकि भारत ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के जवाब में आतंकवाद से बचाव और सीमापार से होनेवाले हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया हुआ है। उन्होंने कहाकि पहलगाम आतंकी हमले में पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई थी, इसकी संयुक्तराष्ट्र के घोषित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने यह भी कहाकि पहलगाम हमले का तरीका भारत में लश्कर-ए-तैयबा के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है। रक्षामंत्री ने कहाकि आतंकवाद केप्रति भारत की शून्य सहिष्णुता उसके कार्यों के माध्यम से प्रदर्शित हुई है, इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुदका बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है, हमने दिखाया हैकि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।
राजनाथ सिंह ने सीमापार आतंकवाद सहित आतंकवाद के निंदनीय कृत्यों के दोषियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने आतंकवाद के हर कृत्य को आपराधिक और अनुचित करार दिया। उन्होंने कहाकि एससीओ सदस्यों को इसकी स्पष्ट रूपसे निंदा करनी चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने की भारत की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की। रक्षामंत्री ने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने केलिए सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया और इससे निपटने में आरएटीएस तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने कहाकि भारत की अध्यक्षता में जारी 'आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला' पर एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है। राजनाथ सिंह ने सीमापार से हथियारों और नशीले पदार्थों की तस्करी केलिए ड्रोन सहित आतंकवादियों की इस्तेमाल की जानेवाली तकनीक का मुकाबला करने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने बतायाकि परस्पर जुड़ी इस दुनिया में खतरों के खिलाफ पारंपरिक सीमाएं अब एकमात्र बाधा नहीं हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि दुनिया चुनौतियों के एक जटिल जाल का सामना कर रही है, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद और साइबर हमलों से लेकर हाइब्रिड युद्ध तक शामिल हैं, ये राष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान नहीं करते हैं और इसमें पारदर्शिता, आपसी विश्वास एवं सहयोग पर आधारित एकीकृत प्रतिक्रिया की आवश्यकता है। वर्तमान की अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य में एससीओ की महत्वपूर्ण भूमिका पर रक्षामंत्री ने कहाकि एससीओ सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं और दुनिया की लगभग 40 प्रतिशत आबादी उनमें निवास करती है। उन्होंने सुरक्षित, संरक्षित और स्थिर क्षेत्रके निर्माण को सामूहिक हित बताया, जो लोगों के जीवन की प्रगति और सुधार में योगदान दे सकता है। राजनाथ सिंह ने कहाकि वैश्वीकरण अपनी गति खो रहा है और बहुपक्षीय प्रणालियों के कमज़ोर होने से महामारी केबाद शांति और सुरक्षा बनाए रखने से लेकर अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण तकके ज़रूरी समाधान करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहाकि प्रमुख शक्तियों केबीच प्रतिस्पर्धा तेज़ हो रही है और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में व्यापार और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल तेज़ीसे औज़ार के तौरपर किया जा रहा है। उन्होंने कहाकि भारत का मानना हैकि बहुपक्षीय मंचों में सुधार लाकर संवाद और सहयोग केलिए तंत्र बनाने से देशों केबीच संघर्ष को रोकने केलिए सहयोग स्थापित करने में मदद मिल सकती है।
रक्षामंत्री ने मध्य एशिया केसाथ संपर्क बढ़ाने केलिए भारत की प्रतिबद्धता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि बेहतर संपर्क से न केवल आपसी व्यापार बढ़ता है, बल्कि आपसी विश्वास भी बढ़ता है, हालांकि इन प्रयासों में एससीओ चार्टर के मूल सिद्धांतों को बनाए रखना आवश्यक है, जिसमें सदस्य देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करना प्रमुख है। राजनाथ सिंह ने यहां यह भी उल्लेख कियाकि भारत अफ़गानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता केलिए अपनी नीति में प्रतिबद्ध और दृढ़ है। उन्होंने अफ़गानिस्तान में तत्काल प्राथमिकताओं को गिनाया, जिसमें वहां के लोगों को मानवीय सहायता प्रदान करना और समग्र विकासात्मक आवश्यकताओं में योगदान देना शामिल है। उन्होंने कहाकि अफ़गानिस्तान के सबसे बड़े क्षेत्रीय विकास भागीदार के रूपमें भारत ने अफ़गानिस्तान के लोगों केलिए क्षमता निर्माण पहलों को लागू करना जारी रखा है। रक्षामंत्री ने कहाकि महामारी, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और जल सुरक्षा जैसी गैर-पारंपरिक सुरक्षा चुनौतियां तथा संबंधित सामाजिक व्यवधान किसी सीमा को नहीं पहचानते और लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहाकि इनका समाधान जिम्मेदार नीतियों और राष्ट्रों केबीच सहयोग के बिना नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहाकि आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे केलिए गठबंधन पर भारत की पहल का उद्देश्य न केवल आपदा प्रतिरोधी बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देना है, बल्कि बुनियादी ढांचे के जोखिम प्रबंधन, मानकों, वित्तपोषण और पुनर्प्राप्ति को भी बढ़ावा देना है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि भारत का सागर (क्षेत्रमें सभी केलिए सुरक्षा और विकास) और महासागर (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास केलिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) का दृष्टिकोण विकास और आर्थिक विकास केलिए अनुकूल वातावरण बनाने का प्रमाण है, जिसमें सुरक्षा व स्थिरता सबसे आवश्यक अंग हैं। उन्होंने एससीओ सदस्यों केबीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास केलिए भारत के समर्थन को रेखांकित किया और लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने केलिए सामूहिक रूपसे प्रयास करने का आग्रह किया। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ के आदर्श वाक्य के आधार पर वैश्विक चुनौतियों से निपटने केलिए आम सहमति बनाना चाहता है, जो वसुधैव कुटुम्बकम (विश्व एक परिवार है) के अपने सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने कहाकि आपसी समझ और परस्पर लाभ हमारे मार्गदर्शक सिद्धांत होने चाहिएं।

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