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Thursday 5 June 2025 12:50:57 PM
सारनाथ (वाराणसी)। भगवान गौतम बुद्ध के पवित्र अवशेष पारंपरिक मंत्रोच्चार, प्रार्थनाओं और अगाध श्रद्धा केसाथ सारनाथ में मूलगंध कुटी विहार के पवित्र स्थल पर पहुंच गए हैं। ये अवशेष राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली से अपनी यात्रा प्रारंभ करके कल शाम करीब 5 बजे एक भव्य शोभायात्रा केसाथ सारनाथ पहुंचे। वाराणसी के जिला मजिस्ट्रेट सत्येंद्र कुमार, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक और गणमान्य व्यक्तियों ने वीआईपी लाउंज में एक औपचारिक स्वागत समारोह में पवित्र अवशेषों को प्राप्त किया। भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को एक शोभायात्रा के रूपमें सारनाथ ले जाया गया, जहां उत्तर प्रदेश पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। एनसीसी बैंड और कैडेटों ने भी पवित्र अवशेषों के स्वदेश आने पर उनके औपचारिक स्वागत समारोह में भाग लिया।
सारनाथ के मूलगंध कुटी विहार में प्रार्थना करने और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने केलिए भिक्षुणियों और भिक्षुओं का एक बड़ा समूह उपस्थित था। मूलगंध कुटी विहार में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए परमपूज्य शिवाली भंते ने वियतनाम में अपने एक माह के अनुभव को साझा करते हुए प्रदर्शनी केप्रति श्रद्धालुओं की जबरदस्त गौरवपूर्ण प्रफुल्लित प्रतिक्रियाओं का उल्लेख किया। इससे पूर्व पवित्र अवशेष नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय से राष्ट्रपति के सुरक्षा दस्ते में दिल्ली हवाई अड्डे के वीवीआईपी लाउंज केलिए रवाना हुए, वहांसे उन्हें वाराणसी हवाई अड्डे को रवाना किया गया, जहांसे औपचारिक शोभायात्रा केसाथ उन्हें सारनाथ उनके मूल गंतव्य स्थल तक ले जाया गया।
भगवान बुद्ध के प्रथम उपदेश से निकटता से जुड़े सारनाथ स्थल में पवित्र अवशेषों का आगमन आध्यात्मिक रूपसे महत्वपूर्ण क्षण है तथा इससे वैश्विक बौद्ध समुदाय केबीच सांस्कृतिक और धार्मिक संबंध और भी प्रगाढ़ होंगे। इस भव्य एवं ऐतिहासिक समारोह में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के दर्शन केलिए भिक्षुओं, गणमान्यजनों, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ के अधिकारियों तथा राष्ट्रीय संग्रहालय के प्रतिनिधियों की एक बड़ी सभा उपस्थित थी। गौरतलब हैकि भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष वियतनाम के 9 शहरों में 30 दिवसीय प्रदर्शनी कार्यक्रम में भेजे गए थे, जहां बड़ी संख्या में देश-विदेश के बौद्ध अनुयायियों ने उनकी पूजा-अर्चना की और उनमें ध्यान लगाया। कार्यक्रम के समापन केबाद पवित्र अवशेष दिल्ली लाए गए, जहां अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ ने राष्ट्रीय संग्रहालय में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया। यहां से पवित्र अवशेष वाराणसी और फिर सारनाथ ले जाए गए।