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'पीओके स्वेच्छा से भारत में वापस आएगा'

सीआईआई के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में बोले रक्षामंत्री

ऑपरेशन सिंदूर भारत की मेक इन इंडिया की बहुत बड़ी सफलता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 29 May 2025 03:44:18 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत के दिग्गजों से कहा हैकि मेक इन इंडिया भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का एक अनिवार्य घटक है और इसने ऑपरेशन सिंदूर में आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रभावी कार्रवाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहाकि एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट कार्यक्रम निष्पादन मॉडल के माध्यम से निजी क्षेत्र को पहलीबार सार्वजनिक क्षेत्रकी कंपनियों केसाथ मेगा रक्षा परियोजना में भाग लेने का अवसर मिलेगा, जिससे स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को और मजबूती मिलेगी। रक्षामंत्री आज नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। रक्षामंत्री ने भारत में पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान बनाने केलिए एएमसीए कार्यक्रम के क्रियांवयन मॉडल को साहसिक और निर्णायक कदम बताया। उन्‍होंने कहाकि यह घरेलू एयरोस्पेस क्षेत्र को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा, इसके अंतर्गत पांच प्रोटोटाइप विकसित करने की योजना है, जिसके बाद श्रृंखलाबद्ध उत्पादन किया जाएगा, यह मेक इन इंडिया कार्यक्रम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
ऑपरेशन सिंदूर में मेक इन इंडिया की सफलता पर रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि अगर देश ने अपनी स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को मजबूत नहीं किया होता तो भारतीय सशस्त्र बल पाकिस्तान और उसके कब्‍जे वाले कश्‍मीर में आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाते। उन्होंने सुरक्षा और समृद्धि केलिए मेक इन इंडिया को महत्वपूर्ण बताया और कहाकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान स्वदेशी प्रणालियों के इस्तेमाल ने साबित कर दिया हैकि देश दुश्मन के किसीभी कवच को भेदने की ताकत रखता है। उन्होंने कहाकि देश ने आतंकवादियों के ठिकानों और उनके सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया। रक्षामंत्री ने कहा कि भारत औरभी बहुतकुछ कर सकता था, लेकिन देश ने शक्ति और संयम के समन्वय का एक बेहतरीन उदाहरण पेश किया। रक्षामंत्री ने कहाकि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति और प्रतिक्रिया को नए सिरे से तैयार और परिभाषित किया है और पाकिस्तान को एहसास हो गया हैकि आतंकवाद का कारोबार चलाना लागत प्रभावी नहीं है, बल्कि उसे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। उन्होंने कहाकि भारत ने पाकिस्तान केसाथ अपनी भागीदारी और बातचीत के दायरे को फिरसे निर्धारित किया है और अब बातचीत केवल आतंकवाद और पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर पर ही होगी।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि नरेंद्र मोदी सरकार एक भारत श्रेष्ठ भारत के अपने संकल्प केप्रति प्रतिबद्ध है और फिरसे स्पष्ट किया हैकि पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाला कश्‍मीर भारत का हिस्सा है और भौगोलिक तथा राजनीतिक रूपसे अलग हुए लोग जल्द या बादमें स्वेच्छा से भारत लौट आएंगे। उन्होंने कहाकि पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर के अधिकांश लोगों का भारत से गहरा संबंध है, केवल कुछ ही लोग हैं, जिन्हें गुमराह किया गया है। उन्होंने कहाकि पाकिस्‍तान के कब्‍जे वाले कश्‍मीर में रहने वाले हमारे भाई-बहनों की स्थिति वीर योद्धा महाराणा प्रताप के छोटे भाई शक्ति सिंह के समान है, अलग होने केबाद भी बड़े भाई का अपने छोटे भाई केप्रति विश्वास और आस्था बरकरार है और वह कहता है ‘तब कुपथ को छोड़ सुपथ पर स्वयं चला आएगा’ मेरा ही भाई है, मुझसे दूर कहां रहेगा। रक्षामंत्री ने कहाकि सरकार ने नीतिगत स्पष्टता, स्वदेशीकरण, आर्थिक लचीलापन और रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता दी है और इन प्रयासों की सफलता तभी सुनिश्चित हो सकती है, जब इनोवेटर्स, उद्यमी और निर्माता सहित सभी हितधारक इस राष्ट्रीय मिशन में मजबूत भागीदार बनें। उन्होंने भारतीय उद्योग जगत से कंपनी हितों से ज़्यादा राष्ट्रीय हितों पर ध्यान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि अगर कंपनी के हितों की रक्षा करना आपका कर्म है तो राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना आपका धर्म है।
सीआईआई के सम्मेलन की थीम ‘विश्वास निर्माण और भारत सर्वप्रथम’ पर राजनाथ सिंह ने कहाकि यह बहुत गर्व की बात हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहाकि यह केवल अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि का बात नहीं है, यह देश में दुनिया के बढ़ते भरोसे और खुदपर उसके भरोसे की बात है। उन्होंने कहाकि आज देश रक्षा प्रौद्योगिकी का उपभोक्ता ही नहीं है, बल्कि इसका उत्पादक और निर्यातक भी बन गया है। रक्षामंत्री ने कहाकि जब दुनिया उच्चस्तरीय रक्षा प्रणालियों केलिए हमसे संपर्क करती है तो यह केवल बाजार का संकेत नहीं होता, बल्कि यह हमारी क्षमता केप्रति सम्मान होता है। रक्षामंत्री ने बीते दशक में सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए भारत की विकास यात्रा में रक्षा क्षेत्र की निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्‍होंने कहाकि 10-11 साल पहले हमारा रक्षा उत्पादन लगभग 43000 करोड़ रुपये था, आज यह निजी क्षेत्र द्वारा 32000 करोड़ रुपये से अधिक के योगदान केसाथ 146000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार करगया है। रक्षा निर्यात जो 10 साल पहले लगभग 600-700 करोड़ रुपये था, आज 24000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को पार कर गया है, हथियार, प्रणालियां, उप प्रणालियां, घटक और सेवाएं लगभग 100 देशों तक पहुच रही हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहाकि रक्षाक्षेत्र से जुड़े 16000 से अधिक एमएसएमई आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ बन गए हैं, ये कंपनियां न केवल देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत कर रही हैं, बल्कि लाखों लोगों को रोज़गार भी दे रही हैं। राजनाथ सिंह ने कहाकि आज देश न केवल लड़ाकू विमान और मिसाइल प्रणाली बना रहा है, बल्कि वह नए युग की युद्ध तकनीक केलिए भी तैयार हो रहा है। उन्होंने कहाकि देश अग्रणी तकनीकों में भी लगातार प्रगति कर रहा है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर डिफेंस, मानवरहित सिस्टम और अंतरिक्ष आधारित सुरक्षा के क्षेत्रमें देश की प्रगति को वैश्विक स्तरपर मान्यता मिल रही है। उन्होंने कहाकि देश में इंजीनियरिंग, उच्च परिशुद्धता विनिर्माण और भविष्य की तकनीकों केलिए विकास केंद्र बनने की क्षमता है। भारतीय उद्योग को राष्ट्र की सामूहिक आकांक्षाओं का वाहक बताते हुए रक्षामंत्री ने कहाकि सरकार और उद्योग के साझा प्रयास तथा तालमेल से ही देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है। उन्होंने कहाकि आजके समय में किसी राष्ट्र की ताकत का मूल्यांकन सिर्फ उसके आर्थिक सूचकांक जैसे जीडीपी, विदेशी निवेश या निर्यात के आंकड़ों से नहीं किया जाता है, बल्कि यह इस बात पर भी निर्भर करता हैकि कोई देश अपने नागरिकों और वैश्विक समुदाय में कितना विश्वास जगा सकता है।
राजनाथ सिंह ने कहाकि विश्वास तभी कायम रहता है, जब किसी देश को यह भरोसा होकि वह अपने भू-राजनीतिक हितों की रक्षा कर सकता है, अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है और भविष्य की अनिश्चितताओं का सामनाकर स्थिर रह सकता है। उन्होंने कहाकि राष्ट्र का मनोबल तभी ऊंचा रहता है, जब उसे पता होकि उसका आज सुरक्षित और कल दोनों सुरक्षित हैं। सीआईआई के सम्मेलन में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ समीर वी कामत, उपसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि, सीआईआई के अध्यक्ष संजीव पुरी और उद्योगजगत के नेता उपस्थित थे।

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