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Saturday 24 May 2025 04:43:07 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर क्षेत्रके भविष्य पर गर्वउत्साह और अपार विश्वास व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री भारत मंडपम नई दिल्ली में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इंवेस्टर्स समिट-2025 को संबोधित कर रहे थे। हालमें भारत मंडपम में ही हुए अष्टलक्ष्मी महोत्सव का स्मरण करते हुए उन्होंने कहाकि यह समिट पूर्वोत्तर में निवेश का उत्सव है। प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत के प्रमुखों की उपस्थिति का उल्लेख करते हुए उद्योग क्षेत्र में अवसरों को लेकर उनके उत्साह पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने मंत्रालयों और राज्य सरकारों को बधाई देते हुए निवेश के अनुकूल माहौल बनाने में उनके प्रयासों की सराहना की। प्रधानमंत्री ने राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट की प्रशंसा करते हुए क्षेत्रके निरंतर विकास और समृद्धि की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे विविधतापूर्ण राष्ट्र के रूपमें भारत को रेखांकित करते हुए कहाकि पूर्वोत्तर हमारे विविधतापूर्ण राष्ट्र का सबसे विविध क्षेत्र है, व्यापार, परंपरा, वस्त्र और पर्यटन इस क्षेत्र की सबसे बड़ी शक्ति है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि पूर्वोत्तर एक संपन्न जैव अर्थव्यवस्था, बांस उद्योग, चाय उत्पादन, पेट्रोलियम, खेल, कौशल और इको टूरिज्म केलिए उभरते केंद्र का पर्याय है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह क्षेत्र न केवल जैविक उत्पादों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है, बल्कि ऊर्जा के एक पावरहाउस के रूपमें अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। उन्होंने पुष्टि कीकि पूर्वोत्तर अष्टलक्ष्मी का सार है, जो समृद्धि और अवसर लाता है, इस शक्ति केसाथ भारत का हर पूर्वोत्तर राज्य निवेश और नेतृत्व केलिए अपनी तत्परता की घोषणा कर रहा है। विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्वी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत केलिए पूर्वी क्षेत्र सिर्फ एक दिशा ही नहीं है, बल्कि एक विशाल दृष्टि है, इसे सशक्त बनाना, इसके लिए कार्य करना, इसे मजबूत बनाना और इसमें बदलाव लाना इस क्षेत्र केलिए नीतिगत रूपरेखा को परिभाषित करता है, इस दृष्टिकोण ने पूर्वी भारत, विशेष रूपसे पूर्वोत्तर को भारत के विकास पथ के केंद्र में रखा है। प्रधानमंत्री ने इन 11 वर्ष में पूर्वोत्तर में हुए परिवर्तनकारी बदलावों का उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि प्रगति केवल आंकड़ों में नहीं, बल्कि जमीनी स्तरपर भी दिख रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार का इस क्षेत्र केसाथ जुड़ाव नीतिगत उपायों से कहीं आगे बढ़कर लोगों केसाथ दिल से जुड़ाव को बढ़ावा देता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर में केंद्रीय मंत्रियों की 700 से अधिक यात्राओं का जिक्र किया, जो इस भूमि को समझने, लोगों की आंखों में दिखने वाली आकांक्षाओं को महसूस करने और उस विश्वास को विकास नीतियों में बदलने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं केवल ईंट और सीमेंट के बारेमें नहीं हैं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का एक साधन भी हैं। उन्होंने लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट में बदलाव की पुष्टि करते हुए कहाकि इस सक्रिय दृष्टिकोण के स्पष्ट परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहाकि कभी पूर्वोत्तर को केवल एक सीमावर्ती क्षेत्र माना जाता था, अब यह भारत की विकास गाथा में अग्रणी के रूपमें उभर रहा है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि अच्छी तरह से विकसित सड़कें, बिजली का बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क किसीभी उद्योग का आधार बनते हैं, जो निर्बाध व्यापार और आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाते हैं। उन्होंने कहाकि बुनियादी ढांचा विकास की नींव है और सरकार ने पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे की क्रांति का शुभारंभ किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्षेत्र की पिछली चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कहाकि यह अब अवसरों की भूमि के रूपमें उभर रहा है। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग और असम में भूपेन हजारिका पुल जैसी परियोजनाओं का उदाहरण देते हुए कनेक्टिविटी बढ़ाने में हजारों करोड़ रुपये के निवेश का जिक्र किया। नरेंद्र मोदी ने पिछले दशक में 11,000 किलोमीटर राजमार्गों के निर्माण, व्यापक नई रेलवे लाइनों, हवाई अड्डों की संख्या में दोगुनी वृद्धि, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों पर जलमार्गों के विकास और सैकड़ों मोबाइल टावरों की स्थापना से हुई प्रगति का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने बतायाकि आसियान केसाथ भारत का व्यापार वर्तमान में लगभग 125 बिलियन डॉलर है और आनेवाले वर्ष में इसके 200 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है, जिससे पूर्वोत्तर एक रणनीतिक व्यापार सेतु और आसियान बाजारों केलिए प्रवेश द्वार बन जाएगा। उन्होंने थाईलैंड, वियतनाम और लाओस केसाथ भारत की कनेक्टिविटी मजबूत बनाने से जुड़ी म्यांमार से थाईलैंड सीधी पहुंच प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण मार्ग परियोजना, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग, कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट परियोजना में तेज़ी लाने केलिए सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया, यह कोलकाता बंदरगाह को म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से जोड़ेगा और मिज़ोरम के माध्यम से एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग प्रदान करेगा। उन्होंने कहाकि परियोजना से पश्चिम बंगाल और मिजोरम के बीच यात्रा की दूरी काफी कम हो जाएगी तथा व्यापार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुवाहाटी, इम्फाल और अगरतला में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब, मेघालय और मिजोरम में लैंड कस्टम स्टेशनों की स्थापना से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के अवसरों और विस्तार की चर्चा की। उन्होंने कहाकि ये प्रगति पूर्वोत्तर को भारत प्रशांत देशों केसाथ व्यापार में एक उभरती हुई शक्ति है, जिससे निवेश और आर्थिक विकास के नए मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हील इन इंडिया पहल को एक विश्वव्यापी आंदोलन के रूपमें विकसित किया जा रहा है। उन्होंने पूर्वोत्तर की समृद्ध जैव विविधता, प्राकृतिक पर्यावरण और जैविक जीवन शैली को कल्याण केलिए एक आदर्श गंतव्य बताया। प्रधानमंत्री ने निवेशकों से भारत के हील इन इंडिया मिशन के एक महत्वपूर्ण घटक के रूपमें पूर्वोत्तर का पता लगाने का आग्रह किया। उन्होंने कहाकि इस क्षेत्र की जलवायु और पारिस्थितिक विविधता कल्याण संचालित उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं प्रदान करती है। नरेंद्र मोदी ने पूर्वोत्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, संगीत, नृत्य और समारोहों के गहरे जुड़ाव पर बल देते हुए कहाकि यह क्षेत्र वैश्विक सम्मेलनों, संगीत समारोहों और गंतव्य विवाहों केलिए एक आदर्श स्थान है, जो इसे एक संपूर्ण पर्यटन पैकेज के रूपमें स्थापित करता है, पर्यटन पर आगंतुकों की संख्या दोगुनी हो रही है। उन्होंने पूर्वोत्तर पर्यटन को और बढ़ाने की आवश्यकता, इको टूरिज्म और सांस्कृतिक पर्यटन में विशाल निवेश क्षमता का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि शांति और कानून व्यवस्था किसीभी क्षेत्रके विकास केलिए सबसे महत्वपूर्ण कारक हैं और हमारी सरकार की आतंकवाद और उग्रवाद केप्रति शून्य सहिष्णुता की नीति है। उन्होंने कहाकि एक समय पूर्वोत्तर नाकाबंदी और संघर्ष से जूझ रहा था, जिसने यहां के युवाओं के अवसरों को गंभीर रूपसे प्रभावित किया। उन्होंने शांति समझौतों का जिक्र करते हुए कहाकि 10-11 वर्ष में 10000 से अधिक युवाओं ने शांति का मार्ग अपनाकर हथियार छोड़ दिए हैं। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर के युवा केवल इंटरनेट उपयोगकर्ता ही नहीं हैं, बल्कि उभरते डिजिटल इनोवेटर भी हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि एक दशक में पूर्वोत्तर के शिक्षा क्षेत्रमें 21,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है, 800 से अधिक नए स्कूल, एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईआईटी की स्थापना हुई है। नरेंद्र मोदी ने जैविक खाद्य पदार्थों की बढ़ती वैश्विक मांग पर कहाकि उनका सपना हैकि दुनियाभर में हर खाने की मेज पर एक भारतीय खाद्य ब्रांड मौजूद हो। प्रधानमंत्री ने कहाकि पूर्वोत्तर में जैविक खेती का दायरा दोगुना हो गया है, क्षेत्रमें उच्च गुणवत्ता वाली चाय, अनानास, संतरे, नींबू, हल्दी और अदरक का उत्पादन हो रहा है, इन उत्पादों की उनके असाधारण स्वाद और बेहतर गुणवत्ता के कारण अंतरराष्ट्रीय मांग बढ़ रही है। उन्होंने भारत के जैविक खाद्य निर्यात के प्रमुख चालक के रूपमें पूर्वोत्तर की क्षमता को पहचानते हुए हितधारकों को इस बढ़ते बाज़ार का लाभ उठाने केलिए प्रोत्साहित किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट निवेशकों का मात्र सम्मेलन नहीं है, यह एक आंदोलन और कार्रवाई का आह्वान है। उन्होंने कहाकि पूर्वोत्तर की प्रगति और समृद्धि के माध्यम से भारत का भविष्य नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा। प्रधानमंत्री ने उपस्थित कारोबारी प्रमुखों पर पूरा भरोसा जताया और उनसे विकास को गति देने केलिए एकजुट होने का आग्रह किया। उन्होंने हितधारकों से पूर्वोत्तर की क्षमता के प्रतीक अष्टलक्ष्मी को विकसित भारत केलिए मार्गदर्शक शक्ति में बदलने केलिए मिलकर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास जताया कि अगली राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट तक पूर्वोत्तर भारत बहुत आगे निकल चुका होगा। इस अवसर पर पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड के संगमा, मिजोरम के मुख्यमंत्री लालदुहोमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्यमंत्री डॉ सुकांत मजूमदार भी उपस्थित थे।