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Saturday 17 May 2025 02:48:31 PM
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ‘आकाशतीर’ के रूपमें अंधेरे आसमान में भारत के नए योद्धा का आगमन हो चुका है। आकाशतीर से लक्ष्य साधते हुए पाकिस्तान में आतंकवादी शिविरों पर सफल प्रहार किए गए। यह रक्षा क्षेत्रमें भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। दुनियाभर के विशेषज्ञ आकाशतीर को युद्ध रणनीति में बड़ा बदलाव मान रहे हैं। इसके साथ भारत पूरी तरह से एकीकृत, स्वचालित वायु रक्षा कमान और नियंत्रण क्षमता वाले चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है। यह तेजीसे देखने, निर्णय लेने और दुनियाभर में किसी भी अन्य प्रणाली की तुलना में तेजीसे हमला करने में सक्षम है। युद्धक विमान की तरह इसकी दहाड़ नहीं है और ना ही इसमें मिसाइल की चमक है, यह केवल सुनता है, अपना लक्ष्य मापता है और सटीकता से उसे नष्ट कर देता है। यह अदृश्य अभेद्य कवच आकाशतीर केवल रक्षा पत्रिकाओं में सीमित अवधारणा नहीं है, यह अब भारत की वायुरक्षा का बेहद सुदृढ़ आधार है। यह वह अदृश्य दीवार है, जिसने 9 और 10 मई की रात पाकिस्तान की ओर से आईं मिसाइलों और ड्रोन की बौछार को रोक दिया, जब पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य और नागरिक क्षेत्रों पर अपना सबसे घातक हमला किया था।
आकाशतीर सिर्फ़ तकनीकी कौशल ही नहीं, यह असममित युद्ध, मिश्रित हमलों और सीमापार आतंकवाद से निपटने की भारत की सक्षमता और कुशलता प्रदर्शित करता है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी आक्रमण को बेअसर करने में इसका सफल इस्तेमाल इसबात का प्रमाण हैकि भारत का भविष्य आयातित रक्षा सामग्रियों में नहीं, बल्कि स्वयं के नवाचार से तैयार युद्ध सामग्रियों पर निर्भर करेगा, जो वास्तविक अर्थों में आत्मनिर्भर होना है। आकाशतीर भारत का पूर्णतया स्वदेश निर्मित, स्वचालित वायुरक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली है, जिसने हर आनेवाली मिसाइल को रोककर बेअसर कर दिया। इसके और लक्षित ठिकानों केबीच केवल तकनीक नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत केलिए वर्षों की प्रतिबद्धता थी। उधर शत्रु पाकिस्तान अपने आयातित एचक्यू-9 और एचक्यू-16 प्रणालियों पर निर्भर था, जो भारतीय हमलों का पता लगाने और उन्हें रोकने में बुरी तरह नाकाम रहे। आकाशतीर ने वास्तविक समय के आधार पर स्वचालित वायुरक्षा युद्ध में भारत के वर्चस्व को प्रदर्शित और स्थापित कर दिया। आकाशतीर ने दिखा दियाकि वह दुनिया के किसीभी अस्त्र को अधिक तेजी से देखता है, निर्णय लेता है और हमला निष्फल कर देता है।
आकाशतीर से शत्रु के ठिकानों पर तेजीसे हमला संभव होते हुए भी हवाई क्षेत्रमें अपने विमानों की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। इसमें लगे एकीकृत सेंसर में टैक्टिकल कंट्रोल रडार रिपोर्टर, 3डी टैक्टिकल कंट्रोल रडार, लो-लेवल लाइटवेट रडार और आकाश हथियार प्रणाली रडार शामिल हैं। आकाशतीर घातक हमलावर बल नहीं, चतुराईपूर्ण युद्ध कला से युक्त है, यह प्रणाली नियंत्रण कक्ष, रडार और डिफेंस गन को सामान्य, वास्तविक समय की हवाई तस्वीर प्रदान करती है, जिससे समन्वित वायुरक्षा संचालन संभव होता है। आकाशतीर शत्रु के विमानों, ड्रोन और मिसाइलों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें मार गिराने की स्वचालित प्रणाली है। यह विभिन्न रडार प्रणालियों, सेंसर और संचार तकनीकों को एकल परिचालन ढांचे में समेकित करता है। आकाशतीर कई स्रोतों से डेटा एकत्रकर संसाधित करता है और स्वचालित, वास्तविक समय में मारक निर्णय लेने में सक्षम है। आकाशतीर व्यापक कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर, बुद्धिमत्ता, सर्विलांस और टोही प्रणाली का हिस्सा है, जो दूसरी रक्षा प्रणालियों केसाथ समन्वय रखते हुए काम करता है। वाहन आधारित होनेसे यह प्रणाली गतिमान रहती है और शत्रुतापूर्ण माहौल में इसे सुगमता से संचालित किया जा सकता है।
पारंपरिक वायुरक्षा मॉडल जो जमीन आधारित रडार और प्रचालक के निर्णय पर निर्भर करते हैं, उससे अलग आकाशतीर युद्ध क्षेत्रोंमें निचले स्तर के वायुक्षेत्र की स्वत: निगरानी और जमीन आधारित वायुरक्षा हथियार प्रणालियों के कुशल नियंत्रण में सक्षम है। भारत के बड़े कमान, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर, बुद्धिमत्ता, सर्विलांस और टोही पारिस्थितिकी तंत्र केसाथ इसका सुगमता से समेकन सेना, नौसेना और वायुसेना को बेहतर और बेजोड़ तालमेल केसाथ काम करने में सक्षम बनाता है। आकाशतीर भारतीय सेना की वायुरक्षा प्रणाली का मूल आधार है, यह आक्रामक और रक्षात्मक दोनों हथियारों के त्वरित और प्रभावी इस्तेमाल में सक्षम है। आकाशतीर केसाथ तीनों सेनाओं का समन्वय रहता है, इसलिए अपने ही लक्ष्यों पर गलती से हमला करने का जोखिम भी कम हो जाता है। वाहन पर रखे जाने के कारण आकाशतीर अत्यधिक गतिशील रहता है, इसलिए दुर्गम और सक्रिय युद्ध क्षेत्रोंमें तैनाती केलिए यह सर्वोत्तम है।
भारत की बढ़ती युद्धक क्षमता में आकाशतीर जैसे कई युद्धक उपकरण और हथियार शामिल हैं। यह स्वदेशी रक्षा प्लेटफार्मों के बढ़ते पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है, जो भारत की युद्धक क्षमताओं को नया आकार दे रहा है। मेक इन इंडिया पहल ने इसके विकास को बढ़ावा दिया है, इनमें धनुष आर्टिलरी गन सिस्टम, एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस), मुख्य युद्धक टैंक (एमबीटी) अर्जुन, लाइट स्पेशलिस्ट व्हीकल्स, हाई मोबिलिटी व्हीकल्स, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच), लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच), वेपन लोकेटिंग रडार, 3डी टैक्टिकल कंट्रोल रडार और सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (एसडीआर) के साथही विध्वंसक, स्वदेशी विमान वाहक, पनडुब्बी, फ्रिगेट, कोरवेट, फास्ट पेट्रोल वेसल, फास्ट अटैक क्राफ्ट और ऑफशोर पेट्रोल वेसल जैसे उन्नत सैन्य हथियार और रक्षा उपकरण शामिल हैं।
गौरतलब हैकि भारत सरकार ने वर्ष 2029 तक रक्षा उत्पादन केलिए 3 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है, इससे वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूपमें इसकी स्थिति अत्यंत मजबूत होगी। देश के रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। कुल रक्षा उत्पादन में उसका 21 प्रतिशत योगदान है तथा वह नवाचार और दक्षता को भी बढ़ावा दे रहा है। एक सुदृढ़ रक्षा औद्योगिक आधार में 16 रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, 430 से अधिक लाइसेंस प्राप्त कंपनियां शामिल हैं, साथही लगभग 16000 सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भी रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी उत्पादन में बढ़चढ़कर योगदान कर रहे हैं। अब 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण देश में ही निर्मित किए जा रहे हैं, जो पहले के 65-70 प्रतिशत आयात निर्भरता से विपरित एक महत्वपूर्ण बदलाव है।