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उपराष्ट्रपति ने वनों की रक्षा का संकल्प दिलाया

'राष्ट्र निर्माण में वानिकी की भूमिका' पर विद्यार्थियों से वार्तालाप

वानिकी महाविद्यालय सिरसी की प्राकृतिक संरचना की सराहना

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Monday 5 May 2025 05:17:43 PM

jagdeep dhankhar planted saplings in forestry college sirsi

धारवाड़ (कर्नाटक)। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज वानिकी महाविद्यालय सिरसी में ‘राष्ट्र निर्माण में वानिकी की भूमिका’ विषय पर हुए कार्यक्रम में संकाय सदस्यों और विद्यार्थियों से वार्तालाप करते हुए उन्हें वनों की रक्षा करने और हर संभव तरीके से इनके संरक्षण में योगदान देने का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहाकि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर और वैश्विक ख़तरा एवं चुनौती है, जिसकी स्थिति चिंताजनक है। उन्होंने कहाकि वन अत्यंत जरूरी हैं, यदि किसी देश के वन अच्छी स्थिति में हैं तो उसके लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, क्योंकि वन हमारे फेफड़े हैं, हमें वनों की आवश्यकता है, क्योंकि वे जलवायु को नियंत्रित करते हैं, आपदाओं को कम करते हैं और विशेष रूपसे ग़रीबों एवं वंचित वर्ग के लोगों केलिए आजीविका का साधन-संसाधन उपलब्ध कराते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत की सभ्यतागत बुद्धिमत्ता का उल्लेख करते हुए कहाकि यह भूमि आध्यात्मिकता और स्थिरता का संगम है और स्थिरता सिर्फ़ अर्थव्यवस्था केलिए ही ज़रूरी नहीं है, यह स्वस्थ जीवन केलिए भी ज़रूरी है। उन्होंने कहाकि हमारी वैदिक संस्कृति ने हज़ारों वर्षों से स्थिरता का उपदेश दिया है और आज सतत विकास के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हम प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन नहीं कर सकते, हमें स्वयं को सिर्फ़ न्यूनतम आवश्यकताओं तक सीमित रखना चाहिए, हम सभीको इसके बारेमें जागरुक होने की ज़रूरत है। उन्होंने कहाकि हमें आत्मबोध की भावना विकसित करनी चाहिएकि हम अपनी धरती माता, पर्यावरण, जंगल, पारिस्थितिकी तंत्र, वनस्पति और जीवजंतु के संरक्षक हैं, उपभोक्ता नहीं और हम इसे भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने केलिए बाध्य हैं। उन्होंने कहाकि पर्यावरण जीवन का वह पहलू है, जो पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव को प्रभावित करता है और जब पर्यावरण को चुनौती दी जाती है तो यह चुनौती सिर्फ़ मानवता केलिए नहीं होती, अपितु यह इस धरती पर उपस्थित हर किसीको प्रभावित करती है।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि आज हम पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण केसाथ-साथ सामने आरहे गंभीर संकट से निपटने के तरीके खोजने केलिए सामना कर रहे हैं। स्थायी भविष्य के निर्माण में शिक्षा की भूमिका पर उपराष्ट्रपति ने कहाकि आज कोईभी संस्थान एक स्वतंत्र इकाई के रूपमें कार्य नहीं कर सकता, एक समय था, जब चिकित्सा शिक्षा, अभियांत्रिकी शिक्षा, प्रबंधन शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा और वन शिक्षा सभी अलग-अलग थे, लेकिन अब सबकुछ अंतः विषय बन गया है और इसलिए हमें सीखने केलिए एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए। युवाओं को प्रोत्साहित करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहाकि जिज्ञासु बनो-नए ज्ञान प्राप्त करने की अभिलाषा और इच्छा रखो, आप जिस शैक्षणिक कार्य से जुड़े हैं, उसमें कल्पना से कहीं परे अपार संभावनाएं हैं। उपराष्ट्रपति ने कहाकि हमारी सांस्कृतिक विरासत में जहांभी आप देखेंगे, आपको खजाना मिलेगा, जितना अधिक आप अध्ययन करेंगे, उतना ही अधिक आप सृजन की सेवा कर पाएंगे। उपराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहाकि वानिकी विषय में उपचार, उत्पादन और समृद्धि की कुंजी छिपी है, आप शोध केलिए खासकर जब बात वन उपज की हो तो एक प्रभावी आधार बन सकते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने वानिकी महाविद्यालय की प्राकृतिक संरचना की सराहना करते हुए कहाकि पश्चिमी घाट की गोद में बसा सिरसी न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में सबसे समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्रोंमें से एक है। उन्होंने कहाकि ऐसा वातावरण कक्षा की अवधारणा को ही बदल देता है, यहां कक्षा चार दीवारों तक सीमित नहीं है, यह उनसे आगे तक फैली हुई है, यह एक खुली कक्षा है, जो जीवन से भरपूर है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि सौभाग्य और अनोखे रूपसे वानिकी महाविद्यालय अपने सबसे प्राचीन रूपमें प्रकृति से घिरा हुआ है, यहां का दृश्य वास्तव में अत्यंत मनोरम है, यहां का वातावरण मन को आनंद और उत्सव से भर देता है। उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी डॉ सुदेश धनखड़ ने वानिकी महाविद्यालय के परिसर में अपनी माताओं केसरी देवी और भगवती देवी की स्मृति में पौधे भी लगाए। कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, कर्नाटक विधान परिषद के अध्यक्ष बसवराज एस होरत्ती, उत्तरा कन्नड़ के जिला प्रभारी मंत्री मनकल एस वैद्य, संसद सदस्य विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय धारवाड़ के कुलपति डॉ पीएल पाटिल और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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