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Tuesday 29 April 2025 05:20:49 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत मंडपम नई दिल्ली में युग्म इनोवेशन कॉन्क्लेव में कहा हैकि युग्म के रूपमें यह महत्वपूर्ण सम्मेलन सरकारी अधिकारियों, शिक्षाविदों और विज्ञान एवं अनुसंधान के क्षेत्रमें काम करने वाले लोगों सहित विकसित भारत के हितधारकों का संगम है, यह सहयोग का ऐसा स्वरूप है, जिसका उद्देश्य विकसित भारत केलिए भविष्य की प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि इससे भारत की नवाचार क्षमता और डीप-टेक में इसकी भूमिका को बढ़ाने के प्रयासों को गति मिलेगी। उन्होंने आईआईटी कानपुर और आईआईटी बॉम्बे में एआई, बुद्धिमत्तापूर्ण प्रणालियों और जैव विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा पर केंद्रित सुपर हब के उद्घाटन का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने वाधवानी इनोवेशन नेटवर्क के शुभारंभ के बारेमें बताया, जो नेशनल रिसर्च फाउंडेशन केसाथ अनुसंधान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन, आईआईटी और इन पहलों में शामिल हितधारकों को बधाई दी। उन्होंने निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों केबीच सहयोग से देश की शिक्षा प्रणाली में सकारात्मक बदलाव में समर्पण और सक्रिय भूमिका केलिए रोमेश वाधवानी की विशेष रूपसे प्रशंसा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संस्कृत में रचित मंत्रों और ऋचाओं का उल्लेख करते हुए कहाकि सच्चा जीवन सेवा और नि:स्वार्थ भाव से जिया जाता है। उन्होंने कहाकि विज्ञान प्रौद्योगिकी को भी सेवा के माध्यम के रूपमें काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने वाधवानी फाउंडेशन जैसी संस्थाओं, रोमेश वाधवानी और उनकी टीम के प्रयासों पर संतोष व्यक्त किया, जो भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी को सही दिशा में बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने रोमेश वाधवानी की संघर्षों से भरी यात्रा के बारेमें बताया, जिसमें विभाजन केबाद की स्थिति, अपने जन्मस्थान से विस्थापन, बचपन में पोलियो से जूझते हुए चुनौतियों से ऊपर उठकर विशाल व्यापारिक साम्राज्य का निर्माण करना शामिल है। नरेंद्र मोदी ने भारत के शिक्षा और अनुसंधान के क्षेत्रों में समर्पित अनुकरणीय कार्यों केलिए रोमेश वाधवानी की सराहना की। उन्होंने स्कूली शिक्षा, आंगनवाड़ी प्रौद्योगिकियों और कृषि तकनीक संबंधी पहलों में योगदान केलिए फाउंडेशन केप्रति आभार प्रकट किया। प्रधानमंत्री ने बतायाकि वे इससे पहले वाधवानी इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की स्थापना जैसे कार्यक्रमों में शामिल हो चुके हैं और विश्वास हैकि यह फाउंडेशन भविष्य में और कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल करना जारी रखेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि किसीभी राष्ट्र के भविष्य का निर्माण उसके युवाओं पर निर्भर करता है और इस कार्य में शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने भारत की शिक्षा प्रणाली को आधुनिक बनाने के प्रयासों का उल्लेख किया, जिसको वैश्विक शिक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा, पठन-पाठन संबंधी सामग्री और पहली से सातवीं कक्षा तक केलिए नई पाठ्यपुस्तकें तैयार किए जाने के बारेमें बताया। प्रधानमंत्री ने पीएम ई-विद्या और दीक्षा प्लेटफार्मों केतहत एआई आधारित और डिजिटल शिक्षा के विस्तार के बुनियादी ढांचे केलिए 'वन नेशन, वन डिजिटल एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर' मंच के निर्माण का भी उल्लेख किया, जिससे 30 से अधिक भारतीय भाषाओं और सात विदेशी भाषाओं में पाठ्यपुस्तकों की तैयारी संभव हो सकी हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क से छात्रों केलिए एकसाथ विभिन्न विषयों का अध्ययन करना आसान हो गया है, उन्हें आधुनिक शिक्षा मिल रही है और करियर के नए मार्ग प्रशस्त हो रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने केलिए भारत में अनुसंधान संबंधी माहौल केलिए समुचित तंत्र को मजबूत करने के महत्व पर बल दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में नवाचार संस्कृति के तेज विकास का उल्लेख किया और बतायाकि 2014 में लगभाग 40000 पेटेंट दाखिल हुए थे, जिनकी संख्या बढ़कर 80000 से अधिक हो गई है, इससे युवाओं को देश के बौद्धिक संपदा से जुड़े तंत्र के माध्यम से प्रदान किए गए सहयोग की झलक मिलती है। प्रधानमंत्री ने अनुसंधान संस्कृति को बढ़ावा देने केलिए 50000 करोड़ रुपए के नेशनल रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना और वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन पहल का भी उल्लेख किया, जिससे उच्च शिक्षा के छात्रों केलिए विश्वस्तरीय शोध पत्रिकाओं तक आसानी से पहुंच की सुविधा मिली है। उन्होंने प्रधानमंत्री अनुसंधान फैलोशिप पर भी बल दिया, जिससे यह सुनिश्चित होता हैकि प्रतिभाशाली केलिए अपने करियर में कोई बाधा नहीं आएगी। नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज युवा न केवल अनुसंधान और विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, बल्कि वे स्वयं भी इसमें सार्थक हस्तक्षेप केलिए तैयार हैं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान केलिए भारत की युवा पीढ़ी के परिवर्तनकारी योगदान पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय रेलवे के सहयोग से आईआईटी मद्रास में विकसित 422 मीटर के विश्व के सबसे लंबे हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक को चालू किए जाने का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने भारतीय विज्ञान संस्थान बैंगलुरू के वैज्ञानिकों की ओर से नैनो स्तरपर प्रकाश को नियंत्रित करने केलिए विकसित नैनो प्रौद्योगिकी और किसी आणविक फिल्म में 16000 से अधिक संवाहन अवस्थाओं में डेटा संग्रहीत और संसाधित करने में सक्षम 'ब्रेन ऑन ए चिप' तकनीक जैसी अभूतपूर्व उपलब्धियों के बारेमें बताया। उन्होंने कुछ सप्ताह पहले ही भारत की पहली स्वदेशी एमआरआई मशीन के विकास का भी उल्लेख किया। उन्होंने उच्च शिक्षा इम्पैक्ट रैंकिंग में भारत की स्थिति को दर्शाते हुए कहाकि भारत के विश्वविद्यालय परिसर ऐसे ऊर्जस्वी केंद्रों के रूपमें उभर रहे हैं, जहां युवाशक्ति महत्वपूर्ण नवाचारों को बढ़ाती है, इस रैंकिंग में वैश्विक स्तरपर शामिल 2000 संस्थानों में 90 से अधिक भारतीय विश्वविद्यालय सूचीबद्ध हैं। उन्होंने क्यूएस विश्व रैंकिंग में भारत की स्थिति में वृद्धि का भी उल्लेख किया, जिनकी संख्या 2025 में बढ़कर 46 हो गई है, साथही दुनिया के शीर्ष 500 उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है। उन्होंने आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास जैसे विदेशों में परिसर स्थापित करने वाले भारतीय संस्थानों का भी जिक्र किया, जिन्होंने अबू धाबी, तंजानिया में अपने केंद्र खोले हैं और आईआईएम अहमदाबाद दुबई में अपना परिसर स्थापित करने जा रहा है। उन्होंने कहाकि विश्व के अग्रणी विश्वविद्यालय भी भारत में अपने परिसर खोल रहे हैं, जिससे भारतीय छात्रों केलिए शैक्षणिक आदान-प्रदान, शोध संबंधी सहयोग और परस्पर सीखने के अंतर सांस्कृतिक अवसरों को बढ़ावा मिल रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टिंकरिंग लैब्स जैसी पहलों का उल्लेख करते हुए कहाकि प्रतिभा, प्रकृति और प्रौद्योगिकी की त्रिमूर्ति भारत के भविष्य को बदल देगी। उन्होंने छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने केलिए पीएम विद्या लक्ष्मी योजना के शुभारंभ और वास्तविक माहौल में सीखने का अनुभव प्रदान करने केलिए 7000 से अधिक संस्थानों में इंटर्नशिप सेल की स्थापना के बारेमें बताया। उन्होंने कहाकि युवाओं में नए कौशल विकसित करने केलिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं, जिनकी प्रतिभा, प्रकृति और तकनीकी शक्ति मिलकर भारत को सफलता के शिखर पर ले जाएगी। प्रधानमंत्री ने शोध केलिए सुदृढ़ माहौल बनाने का आह्वान किया और शैक्षणिक संस्थानों, निवेशकों तथा उद्योग जगत से शोधकर्ताओं का सहयोग और मार्गदर्शन करने का आग्रह किया। उन्होंने प्रकाश डालाकि युवाओं को सलाह देने, वित्त पोषण और सहयोग से नए समाधान विकसित करने में उद्योग जगत के दिग्गजों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। उन्होंने इन प्रयासों को बढ़ाने केलिए नियमों को सरल बनाने और प्रस्तावों को तेजीसे स्वीकृति देने केलिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुनः पुष्टि की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस्ड एनालिटिक्स, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य संबंधी प्रौद्योगिकी और सिंथेटिक जीव विज्ञान को निरंतर बढ़ावा देते हुए कहाकि एआई के विकास तथा उसे अपनाने में भारत आगे बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे, उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करने केलिए भारत एआई मिशन के शुभारंभ का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने प्रमुख संस्थानों, उद्योगों और स्टार्टअप के सहयोग से विकसित किए एआई उत्कृष्टता केंद्रों की बढ़ती संख्या का भी जिक्र किया। उन्होंने मेक एआई इन इंडिया के सपने और मेक एआई वर्क फॉर इंडिया के लक्ष्य को हासिल करने केप्रति सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई। प्रधानमंत्री ने आईआईटी में सीटें बढ़ाकर क्षमताओं का विस्तार करने और आईआईटी और एम्स के सहयोग से चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा को जोड़कर मेडिटेक पाठ्यक्रम शुरू करने केलिए बजट संबंधी निर्णय का भी उल्लेख किया। उन्होंने भविष्य की प्रौद्योगिकियों के मामले में भारत को दुनिया में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिलाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन पहलों को समय से पूरा करने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि शिक्षा मंत्रालय और वाधवानी फाउंडेशन केबीच सहयोग से युग्म जैसी पहल भारत के नवाचार परिदृश्य का कायाकल्प कर सकती हैं। कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह, केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री जयंत चौधरी, डॉ सुकांत मजूमदार, रोमेश वाधवानी, डॉ अजय केला, साइंस एंड टेक्नोलॉजी और एजुकेशन वर्ल्ड से जुड़े महानुभाव उपस्थित थे।