स्वतंत्र आवाज़
word map

टैगोर विरासत पर प्रदर्शनी और व्याख्यान

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में 19 मई तक आयोजन

फ्रांस में टैगोर की यात्राओं के बारेमें उपयोगी जानकारी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 15 May 2024 02:23:28 PM

exhibition and lecture on tagore legacy

नई दिल्ली। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र नई दिल्ली के संरक्षण और सांस्कृतिक अभिलेखागार प्रभाग ने हाल ही में रवींद्रनाथ टैगोर की जयंती मनाने केलिए एक प्रदर्शनी और व्याख्यान का आयोजन किया। 'द रेयर फोटोग्राफ्स ऑफ रवींद्रनाथ टैगोर' शीर्षक वाली प्रदर्शनी का आयोजन गणेश नारायण सिंह ने किया था। यह प्रदर्शनी 19 मई 2024 तक चलेगी। इस अवसर पर व्याख्यान में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डॉ सच्चिदानंद जोशी, संरक्षण एवं अभिलेखागार निदेशक प्रोफेसर अचल पांडे, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कार्यकारी निदेशक डॉ संजय झा, डॉ फैबियन चार्टियर, नीलकमल अदक और बसु आचार्य सहित प्रतिष्ठित वक्ताओं ने रवींद्रनाथ टैगोर की विरासत पर विभिन्न दृष्टिकोण प्रस्तुत किए।
डॉ फैबियन चार्टियर ने रवींद्रनाथ टैगोर के अध्ययन केप्रति उनके 27 वर्ष के समर्पण पर प्रकाश डालते हुए 'टैगोर के फ्रेंच कनेक्शन' विषय का उल्लेख किया। उन्होंने फ्रांस में टैगोर के स्वागत और धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि और अंततः घरेलू मान्यता में वृद्धि का भी जिक्र किया। गौरतलब हैकि डॉ फैबियन चार्टियर फ्रांस में टैगोर की यात्राओं के बारेमें उपयोगी जानकारी प्रदान करते हैं, जिसमें प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान युद्ध मैदान का दौरा करने पर उनकी भावनात्मक प्रतिक्रिया भी शामिल है, जो मानवता केप्रति उनकी गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने एलेक्जेंड्रा डेविड नील के अनुशंसा पत्रों का हवाला देते हुए पश्चिम में टैगोर के भव्य स्वागत की भी चर्चा की। डॉ फैबियन चार्टियर ने टैगोर के यूरोपीय दौरे पर खुलासा किया, जब उन्हें व्यापक रूपसे स्वीकार किया गया तो बहस और चर्चाएं हुईं, जिन्होंने उनके बारेमें धारणाओं को आकार दिया।
डॉ फैबियन चार्टियर ने टैगोर को फ्रेंच सिखाने के विक्टोरिया ओकाम्पो के प्रयासों का भी उल्लेख किया। नील कमल अदक और बसु आचार्या ने 'रवींद्रनाथ टैगोर: द अल्टीमेट फ्लावरिंग ऑफ एन आर्टिस्ट' और 'टैगोर की फ्रांस यात्रा और उसके प्रभाव' पर बात की। डॉ सच्चिदानंद जोशी ने टैगोर के अद्वितीय चरित्र और जलियांवाला बाग नरसंहार केबाद उनकी आधिकारिक उपाधि 'नाइटहुड' लौटाने पर प्रकाश डाला, जो उनकी भारतीय पहचान को दर्शाता है। टैगोर के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर बात करते हुए उन्होंने प्रदर्शनी पर चर्चा की, जिसमें आईजीएनसीए के अभिलेखीय खजाने केसाथ एलिजाबेथ ब्रूनर, आनंद कुमारस्वामी, शंभू साहा, डीआरडी वाडिया और कपिला वात्स्यायन के संग्रह से दुर्लभ पेंटिंग और तस्वीरें प्रदर्शित की गई हैं। उन्होंने टैगोर की कविता 'प्राण' का अनुवादित हिंदी गीत प्रस्तुत किया।
प्रदर्शनी में विभिन्न विषयों को शामिल किया गया है, जिनमें शांतिनिकेतन: शांति का घर, इसके उत्कृष्ट सार्वभौमिक मूल्य पर ध्यान केंद्रित करना, टैगोर के पारिस्थितिक आवास और कृषि संबंधी गतिविधियां, उनके पर्यावरणीय प्रयासों की खोज, टैगोर और गांधी, उनके संबंधों में रुचि और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर एवं उनका फ्रेंच ओडिसी, जो उनके फ्रांसीसी संबंधों पर प्रकाश डालता है। इस दौरान सुलग्ना बनर्जी की मनमोहक आवाज़ ने रवींद्र संगीत के मधुर सार को जीवंत कर दिया। व्याख्यान का संचालन संरक्षण और अभिलेखागार प्रभाग के सुधीश शर्मा ने किया और अरिजीत दत्ता ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]