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कानून का पालन लोकतंत्र का अमृत-धनखड़

लॉ एंड स्पिरिचुअलिटी: रीकनेक्टिंग द बॉंड पुस्तक का विमोचन

'धर्म' और 'अध्यात्म' भारत की पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता है'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 13 April 2024 01:26:37 PM

law and spirituality: reconnecting the bond book released

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का कहना हैकि विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को अनिवार्य रूपसे कानून के शासन के प्रति जवाबदेह बनाया गया है, इसलिए इसका विरोध होना भी निश्चित है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि कुछ लोग पालन-पोषण या अन्य कारणों से काफी अलग व्यवहार करने के अभ्यस्त होते हैं और उन्हें कानून से कुछ प्रकार की छूट का आश्वासन दिया जाता है। जगदीप धनखड़ ने सवाल किया कि जब उन्हें लगता हैकि कानून का शासन उनके इतने नज़दीक आ गया है, जो उन्हें एक सामान्य प्रक्रिया में जवाबदेह बनाता है, तो उन्हें सड़कों पर क्यों उतरना चाहिए? उन्होंने कानून के शासन के अनुपालन को लोकतंत्र का अमृत करार दिया। उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहाकि अगर कानून के समक्ष समानता नहीं है तो लोकतंत्र का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलावों पर प्रसन्नता व्यक्त की।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि अब हर कोई कानून के प्रति जवाबदेह है। उन्होंने कहाकि किसी समाज में जब कोई व्यक्ति कानून का उल्लंघन करके बच जाता है, तो वह एकमात्र लाभार्थी होता है, लेकिन इससे पूरा समाज पीड़ित होता है। वे प्रोफेसर रमण मित्तल और डॉ सीमा सिंह की पुस्तक-लॉ एंड स्पिरिचुअलिटी: रीकनेक्टिंग द बॉन्ड का विमोचन कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने भारत को विश्व का आध्यात्मिक केंद्र बताया और कहाकि भारत ने अपनी 5000 वर्ष की सभ्यता केसाथ अपने कालजयी ग्रंथों, दार्शनिक ग्रंथों और सांस्कृतिक अभ्यासों के माध्यम से लगातार विश्व में 'धर्म' और 'अध्यात्म' के संदेशों को प्रसारित किया है। उपराष्ट्रपति ने कड़ी मेहनत से प्राप्त की गई इस विरासत का उल्लेख किया। उन्होंने लोगों से यह प्रतिबिंबित करने की जरूरत व्यक्त कीकि हम अपनी सदियों पुरानी विरासत को कैसे बनाए रख सकते हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बताया कि उन्होंने संसदीयकार्य मंत्री को हर एक सांसद को वेदों की प्रतियां उपलब्ध कराने का सुझाव दिया था। जगदीप धनखड़ ने कहाकि मुझ पर भरोसा करें, वेद सुनें, अपने सिरहाने वेद होने से मानवता का काफी कल्याण होगा, क्योंकि जो मनुष्य वेदों का स्वाद चखेंगे, वे अपनी आत्मा से बोलेंगे, नाकि मस्तिष्क या दिल से। उन्होंने कहाकि जब कोई मस्तिष्क से बोलता है तो उसपर तर्कसंगतता हावी हो जाती है, जब कोई दिल से बोलता है तो उसमें भावनात्मक पहलू हावी होता है, लेकिन जब आत्माएं मिलती हैं तो चीजें काफी अलग होती हैं। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह और गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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