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Tuesday 2 January 2024 04:29:46 PM
तिरुचिरापल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में भारतीदासन विश्वविद्यालय के 38वें दीक्षांत समारोह में मेधावी छात्र-छात्राओं को सम्मानित किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि भारतीदासन विश्वविद्यालय का 38वां दीक्षांत समारोह बेहद खास है, क्योंकि यह नए साल 2024 में उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम है। उन्होंने तमिलनाडु के खूबसूरत राज्य और युवाओं केबीच उपस्थित होने एवं भारतीदासन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेनेवाले पहले प्रधानमंत्री बनने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहाकि विश्वविद्यालय का निर्माण आमतौर पर एक विधायी प्रक्रिया है और धीरे-धीरे नए कॉलेज संबद्ध होते जाते हैं तथा विश्वविद्यालय आगे बढ़ता जाता है, हालांकि भारतीदासन विश्वविद्यालय को अलग तरीके से बनाया गया था, इस प्रक्रिया में विश्वविद्यालय बनाने और एक मजबूत एवं परिपक्व नींव प्रदान करने हेतु कई मौजूदा प्रतिष्ठित कॉलेजों को एकसाथ लाया गया था, यही विशेषता इस विश्वविद्यालय को कई क्षेत्रों में प्रभावशाली बनाती है।
नालंदा और तक्षशिला प्राचीन विश्वविद्यालयों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारा देश और इसकी सभ्यता हमेशा ज्ञान पर केंद्रित रही है। उन्होंने कांचीपुरम, गंगईकोंडा चोलपुरम और मदुरै के महान विश्वविद्यालयों का भी उल्लेख किया, जहां दुनियाभर से विद्यार्थी आते थे। दीक्षांत समारोह की अवधारणा की प्राचीनता के बारेमें प्रधानमंत्री ने तमिल संगमम का उदाहरण दिया, जहां कवियों और बुद्धिजीवियों ने विश्लेषण केलिए कविता और साहित्य प्रस्तुत किया, जिससे वृहद समाज से इन कृतियों को मान्यता मिली। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह तर्क आजभी शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग किया जाता है। उन्होंने कहाकि विद्यार्थी ज्ञान की महान ऐतिहासिक परंपरा का एक हिस्सा हैं। राष्ट्र को दिशा देने में विश्वविद्यालयों की भूमिका पर प्रधानमंत्री ने इस बात की याद दिलायीकि कैसे जीवंत विश्वविद्यालयों की उपस्थिति के कारण राष्ट्र और सभ्यता जीवंत हुआ करती थी। उन्होंने बतायाकि जब देश पर हमला हुआ तो देश की ज्ञान प्रणाली को निशाना बनाया गया। महात्मा गांधी, पंडित मदन मोहन मालवीय और सर अन्नामलाई चेट्टियार का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने इस तथ्य को रेखांकित कियाकि इन विभूतियों ने 20वीं शताब्दी की शुरुआत में विश्वविद्यालय शुरू किए, जो स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ज्ञान और राष्ट्रवाद के केंद्र बन गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत के उत्थान का एक कारक इसके विश्वविद्यालयों का उदय है। उन्होंने भारत के आर्थिक विकास में रिकॉर्ड स्थापित करने, पांचवीं सबसे तेजीसे बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने और भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा रिकॉर्ड संख्या में वैश्विक रैंकिंग में अपनी छाप छोड़ने का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने युवा विद्वानों से शिक्षा के उद्देश्य और समाज द्वारा विद्वानों को देखने के तरीकों के बारेमें गहराई से सोचने को कहा। उन्होंने गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को उद्धृत करते हुए बतायाकि कैसे शिक्षा हमें सभी जीवों केसाथ सद्भाव में रहना सिखाती है। उन्होंने कहाकि समाज ने विद्यार्थियों को इस स्तर तक लाने में भूमिका निभाई है, एक बेहतर समाज व देश बनाने की प्रक्रिया में वापस योगदान देने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि एक तरह से यहां का प्रत्येक स्नातक 2047 तक एक विकसित भारत बनाने में योगदान दे सकता है। प्रधानमंत्री ने 2047 वर्ष को राष्ट्र के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण वर्ष बनाने की युवाओं की क्षमता में अपना विश्वास दोहराया। विश्वविद्यालय के आदर्श वाक्य-‘आइए हम एक साहसी नई दुनिया बनाएं’ का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारतीय युवा पहले से ही ऐसी दुनिया का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने महामारी के दौरान टीके बनाने, चंद्रयान और 2014 में पेटेंट की संख्या 4000 से बढ़कर अब लगभग 50,000 होने में युवा भारतीयों के योगदान का उल्लेख किया।
प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के मानविकी के विद्वान भारत की कहानी को अद्वितीय तरीके से प्रदर्शित कर रहे हैं। उन्होंने खिलाड़ियों, संगीतकारों, कलाकारों की उपलब्धियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने स्नातकों से कहाकि वे ऐसे समय में दुनिया के मंच पर कदम रख रहे हैं, जब हर क्षेत्र में हर कोई उनको नई आशा के साथ देख रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि युवा का अर्थ है-ऊर्जा, इसका मतलब है गति, कौशल और पैमाने केसाथ काम करने की क्षमता। उन्होंने कहाकि सरकार पिछले कुछ वर्ष केदौरान गति और पैमाने के संदर्भ में विद्यार्थियों केसाथ कदम मिलाकर काम कर रही है। प्रधानमंत्री ने पिछले दस वर्ष के दौरान देश में हवाई अड्डों की संख्या 74 से दोगुनी बढ़ाकर लगभग 150 करने, सभी प्रमुख बंदरगाहों की कार्गो प्रबंधन क्षमता को दोगुना करने, राजमार्गों के निर्माण की गति एवं पैमाने को दोगुना करने और 2014 में 100 से भी कम रहने वाली स्टार्टअपों की संख्या के बढ़कर लगभग एक लाख हो जाने के तथ्य का उल्लेख किया। उन्होंने भारत द्वारा महत्वपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं केसाथ कई व्यापार समझौते करने के बारेमें बात की, जिससे भारत की वस्तुओं एवं सेवाओं केलिए जहां नए बाजार खुलेंगे, वहीं युवाओं केलिए अनगिनत अवसर भी पैदा होंगे। जी20 जैसे संस्थानों को मजबूत करने, जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी भूमिका निभाने जैसे तथ्यों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहाकि भारत का हर वैश्विक समाधान के हिस्से के रूपमें स्वागत किया जारहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि कई मायनों में स्थानीय और वैश्विक कारकों के कारण भारत में युवा होने की दृष्टि से यह सबसे अच्छा समय है। उन्होंने विद्यार्थियों से इस समय का अधिकतम लाभ उठाने और देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि सीखने की यात्रा का कोई अंत नहीं है। उन्होंने कहाकि अब जीवन आपका शिक्षक बन जाएगा। उन्होंने इस तथ्य को रेखांकित कियाकि निरंतर सीखने की भावना के तहत भूलने (अनलर्निंग), दोबारा कौशल से लैस होने (रीस्किलिंग) और कौशल को उन्नत करने (अपस्किलिंग) की दिशा में सक्रिय रूपसे काम करना महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने विद्यार्थियों से कहाकि तेजी से बदलती दुनिया में या तो आप बदलाव को संचालित करते हैं या फिर बदलाव आपको संचालित करता है। उन्होंने स्नातक विद्यार्थियों और शिक्षकों एवं अभिभावकों को हार्दिक बधाई दी। दीक्षांत समारोह में तमिलनाडु के राज्यपाल और भारतीदासन विश्वविद्यालय के कुलाधिपति आरएन रवि, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, कुलपति डॉ एम सेल्वम और प्रतिकुलपति आरएस राजकन्नप्पन भी उपस्थित थे।