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देश में आध्यात्मिक केंद्रों का पुनरुद्धार-नरेंद्र मोदी

'हमारे संतों ने हजारों वर्ष से एक भारत-श्रेष्ठ भारत भावना पोषित की'

पुट्टपर्थी में साईं हीरा ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर का ऑनलाइन उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 4 July 2023 03:03:04 PM

pm online inauguration of sai heera global convention center at puttaparthi

पुट्टपर्थी/ नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज आंध्र प्रदेश के पुट्टपर्थी में साईं हीरा ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर का वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया, जिसमें दुनियाभर के प्रमुख गणमान्य नागरिकों और भक्तों की उपस्थिति देखी गई। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर सभी को इस कार्यक्रम केलिए बधाई दी, जहां आवश्यक व्यस्तताओं के कारण वह शारीरिक रूपसे उपस्थित नहीं हो सके। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत जैसे देश में धार्मिक और आध्यात्मिक संस्थाएं हमेशा से सामाजिक कल्याण के केंद्र में रही हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज जब हम अमृतकाल के संकल्पों केसाथ विकास और विरासत को गति दे रहे हैं तो सत्य साईं ट्रस्ट जैसी संस्थाओं को उसमें बहुत बड़ी भूमिका निभानी है। उन्होंने कहाकि श्री सत्य साईं का आशीर्वाद और प्रेरणा हमारे साथ है और खुशी व्यक्त कीकि आज उनके मिशन का विस्तार हो रहा है, देश को साईं हीरा ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर के नाम से एक नया प्रमुख सम्मेलन केंद्र मिल गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज एक ओर देश में आध्यात्मिक केंद्रों का पुनरोद्धार हो रहा है, वहीं भारत प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था में भी अग्रणी है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि यह केंद्र आध्यात्मिकता और आधुनिकता के वैभव का अनुभव कराएगा, यहां सांस्कृतिक विविधता और वैचारिक भव्यता है, यह आध्यात्मिकता और शैक्षणिक कार्यक्रमों पर चर्चा का केंद्रबिंदु बनेगा, जहां विद्वान और विशेषज्ञ एकसाथ मिलेंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि कोई भी विचार तब सबसे प्रभावी होता है, जब वह कार्य के रूपमें आगे बढ़ता है। उन्होंने कहाकि आज साईं हीरा ग्लोबल कन्वेंशन सेंटर को समर्पित करने के अलावा श्री सत्य साईं ग्लोबल काउंसिल के नेताओं का सम्मेलन भी होगा। प्रधानमंत्री ने आयोजन के विषय 'अभ्यास और प्रेरणा' की सराहना की और इसे प्रभावी एवं प्रासंगिक बताया। नरेंद्र मोदी ने समाज के नेताओं के अच्छे आचरण के महत्व पर जोर दिया, क्योंकि समाज उनका अनुसरण करता है। उन्होंने कहाकि श्री सत्य साईं का जीवन इसका जीवंत उदाहरण है, भारत भी अपने कर्तव्यों को प्राथमिकता देते हुए आगे बढ़ रहा है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि आजादी की सदी की ओर बढ़ते हुए हमने अमृतकाल को कर्तव्यकाल का नाम दिया है, इन प्रतिज्ञाओं में हमारे आध्यात्मिक मूल्यों के मार्गदर्शन केसाथ-साथ भविष्य के संकल्प भी शामिल हैं, इसमें विकास भी है और विरासत भी। प्रधानमंत्री ने कहाकि जहां आध्यात्मिक महत्व के स्थानों का कायाकल्प हो रहा है, वहीं भारत प्रौद्योगिकी और अर्थव्यवस्था में भी अग्रणी है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत अब दुनिया की शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है, जो दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप ईकोसिस्टम में सहयोग कर रहा है। नरेंद्र मोदी ने यह भी बतायाकि भारत डिजिटल टेक्नोलॉजी और 5जी जैसे क्षेत्रों में दुनिया के अग्रणी देशों केसाथ प्रतिस्पर्धा कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनिया में होनेवाले वास्तविक समय के 40 प्रतिशत ऑनलाइन लेनदेन भारत में हो रहे हैं और भक्तों से पूरे पुट्टपर्थी जिले को डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलने का आग्रह किया। उन्होंने सुझाव दियाकि यदि सभी मिलकर इस संकल्प को पूरा करें तो श्री सत्य साईं बाबा की अगली जयंती तक पूरा जिला डिजिटल हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहाकि देश में देखा गया परिवर्तन प्रत्येक सामाजिक वर्ग के योगदानों का परिणाम है। उन्होंने कहाकि ग्लोबल काउंसिल जैसे संगठन भारत के बारेमें अधिक जानने और दुनिया से जुड़ने का एक प्रभावी माध्यम हैं। प्राचीन हस्तलिपियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि संतों को बहते पानी की तरह माना जाता है, क्योंकि वे अपने विचारों को कभी नहीं छोड़ते और अपने व्यवहार से कभी नहीं थकते। नरेंद्र मोदी ने कहाकि संतों का जीवन निरंतर परिवर्तन और उनके प्रयासों से परिभाषित होता है। उन्होंने कहाकि किसी संत का जन्मस्थान उसके अनुयायियों का निर्धारण नहीं करता है, भक्तों केलिए उनमें से कोई एक सच्चा संत बन जाता है और वह उनकी मान्यताओं और संस्कृतियों का प्रतिनिधि बन जाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि सभी संतों ने भारत में हजारों वर्षों से 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना को पोषित किया है, भले ही श्री सत्य साईं बाबा का जन्म पुट्टपर्थी में हुआ था, उनके अनुयायी दुनियाभर में पाए जा सकते हैं और भारत के हर राज्य में उनके संस्थानों और आश्रमों तक पहुंचा जा सकता है।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि भाषा और संस्कृति से परे सभी भक्त प्रशांति निलयम से जुड़े हुए हैं और यही इच्छा भारत को एक सूत्र में पिरोकर इसे अमर बनाती है। प्रधानमंत्री ने सेवा की शक्ति पर सत्य साईं को उद्धृत किया और उनके साथ बातचीत करने और सत्य साईं के आशीर्वाद की शरण में रहने के अवसर को कृतज्ञतापूर्वक याद किया। नरेंद्र मोदी ने उनके उस सहज भाव को याद किया, जिसके साथ श्री सत्य साईं गहरे संदेश देते थे। उन्होंने सभीसे प्रेम करो, सभी की सेवा करो, हमेशा मदद करो, कभी चोट नहीं पहुंचाओ, बातें कम, काम ज़्यादा, प्रत्येक अनुभव एक सबक है-प्रत्येक हानि एक लाभ है जैसी कालजयी शिक्षाओं को याद किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि इन शिक्षाओं में संवेदनशीलता केसाथ-साथ जीवन का गहरा दर्शन भी है। प्रधानमंत्री ने गुजरात में आए भूकंप के दौरान उनके मार्गदर्शन और मदद को याद किया। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि सत्य साईं ट्रस्ट की आध्यात्मिक शाखा बाल विकास जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से नई पीढ़ी के भीतर सांस्कृतिक भारत का निर्माण कर रही है।
राष्ट्र निर्माण और समाज के सशक्तिकरण में सत्य साईं ट्रस्ट के प्रयासों पर प्रधानमंत्री ने प्रशांति निलयम में हाईटेक अस्पताल और वर्षों से मुफ्त शिक्षा केलिए चलाए जा रहे स्कूलों और कॉलेजों का उल्लेख किया। उन्होंने सत्य साईं से जुड़े उन संगठनों का भी जिक्र किया, जो समर्पण भाव से काम कर रहे हैं। उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डालाकि सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट दूरदराज के गांवों में नि:शुल्क पानी उपलब्ध कराने के मानवीय कार्य में भागीदार बन गया है, क्योंकि देश 'जल जीवन मिशन' के तहत हर गांव को स्वच्छ जल आपूर्ति से जोड़ रहा है। प्रधानमंत्री ने मिशन लाइफ जैसी जलवायु पहलों की वैश्विक स्वीकृति और जी20 की प्रतिष्ठित अध्यक्षता का उल्लेख किया। उन्होंने एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य विषय पर प्रकाश डाला। भारत में बढ़ती वैश्विक रुचि का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने संयुक्तराष्ट्र मुख्यालय में बनाए गए विश्व रिकॉर्ड के बारेमें बात की जहां योग केलिए सबसे अधिक संख्या में विभिन्न देशों के नागरिक एकसाथ आए। उन्होंने यह भी उल्लेख कियाकि योग केसाथ-साथ लोग भारत से आयुर्वेद और स्थायी जीवनशैली प्रथाओं को अपना रहे हैं। उन्होंने हाल के दिनों में चोरी हुई कलाकृतियों की वापसी पर भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के इन प्रयासों और नेतृत्व के पीछे हमारी सांस्कृतिक सोच ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है, इसलिए सत्य साईं ट्रस्ट जैसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्थानों के ऐसे सभी प्रयासों में एक महान भूमिका है।
प्रधानमंत्री ने 'प्रेम तरु' पहल पर प्रकाश डाला, जहां अगले 2 वर्ष में 1 करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प लिया गया है। नरेंद्र मोदी ने सभीसे ऐसी पहलों का समर्थन करने केलिए आगे आने का आग्रह किया, चाहे वह वृक्षारोपण हो या प्लास्टिक मुक्त भारत का संकल्प हो। उन्होंने लोगों से सौर ऊर्जा और स्वच्छ ऊर्जा के विकल्पों से प्रेरित होने का भी आग्रह किया। प्रधानमंत्री ने आंध्र के लगभग 40 लाख छात्रों को श्रीअन्न रागी-जावा से बना भोजन उपलब्ध कराने की सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट की पहल की सराहना की। श्रीअन्न के स्वास्थ्य लाभों को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि यदि अन्य राज्य भी इस तरह की पहल से जुड़ेंगे तो देश को काफी लाभ होगा, श्रीअन्न में स्वास्थ्य भी है, संभावनाएं भी हैं। गौरतलब हैकि प्रशांति निलयम श्री सत्य साईं बाबा का मुख्य आश्रम है। परोपकारी श्री रयुको हीरा द्वारा दान किया गया कन्वेंशन सेंटर सांस्कृतिक आदान-प्रदान, आध्यात्मिकता और वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने की कल्पना का साक्षी है। यह विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट होने, आपस में जुड़ने और श्री सत्य साईं बाबा की शिक्षाओं को खोजने केलिए एक विकसित वातावरण प्रदान करता है। इसकी विश्वस्तरीय सुविधाएं और बुनियादी ढांचा सम्मेलनों, सेमिनारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे जीवन के सभी क्षेत्रों के व्यक्तियों केबीच संवाद और समझ को बढ़ावा मिलेगा। विशाल परिसर में ध्यान कक्ष, शांत उद्यान और आवास की सुविधाएं भी हैं।

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