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राष्ट्रपति मुर्मू को सूरीनाम में सर्वोच्च सम्मान!

सूरीनाम आनेवाले भारतीयों के लिए ओसीआई कार्ड की पात्रता बढ़ाई

भारतीयों के आगमन की 150वीं वर्षगांठ पर सूरीनाम में सांस्कृतिक उत्सव

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 6 June 2023 12:24:37 PM

suriname's highest honor to president draupadi murmu

पारामारिबो/ नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सूरीनाम के सर्वोच्च सम्मान 'ग्रैंड ऑर्डर ऑफ़ द चेन ऑफ़ द येलो स्टार' से सम्मानित किया गया है, जो उन्हें सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी ने एक भव्य समारोह में प्रदान किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अवसर पर कहाकि यह मान्यता न केवल उनके लिए, बल्कि भारत के उन 1.4 अरब लोगों केलिए भी अत्यधिक महत्व रखती है, जिनका वे प्रतिनिधित्व करती हैं। राष्ट्रपति ने उन्हें यह सम्मान प्रदान करने केलिए राष्ट्रपति संतोखी और सूरीनाम सरकार को धन्यवाद दिया। उन्होंने यह सम्मान भारतीय-सूरीनाम समुदाय की आनेवाली पीढ़ियों को भी समर्पित किया, जिन्होंने दोनों देशों केबीच भ्रातृत्व संबंधों को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी केसाथ राजधानी पारामारिबो में सूरीनाम में भारतीयों के आगमन के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक उत्सव में भाग लिया।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि सूरीनाम में भारतीय आगमन की 150वीं वर्षगांठ के ऐतिहासिक स्मरणोत्सव के दौरान यह अलंकरण प्राप्त करना इसे और विशेष बना देता है एवं अगर यह सम्मान हमारे दोनों देशों में महिलाओं के सशक्तिकरण और प्रोत्साहन के प्रकाश स्तंभ के रूपमें काम करता है तो यह और भी सार्थक हो जाता है। पारामारिबो में इंडिपेंडेंस स्क्वायर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहाकि हम सूरीनाम में भारतीयों के आगमन की 150वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, जो सूरीनाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, इस दिन वर्ष 1873 में भारतीयों का पहला समूह जहाज लल्ला रूख सूरीनाम के तट पर पहुंचा था, जो सूरीनाम के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरुआत थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी ने इस दौरान स्थानीय कलाकारों द्वारा जहाज लल्ला रूख पर सूरीनाम में भारतीयों के पहले समूह के आगमन का एक सुंदर अधिनियमन देखा।
द्रौपदी मुर्मू ने सूरीनाम के शुरुआती भारतीय मूल के समुदायों के दैनिक जीवन का चित्रण करनेवाले मॉडल आवास, कलाकारों और अभिनेताओं केसाथ एक आभासी गांव का भी उद्घाटन किया। द्रौपदी मुर्मू ने कहाकि एक बहुसांस्कृतिक समाज और अवसरों की भूमि के रूपमें सूरीनाम ने यहां आकर बसने वाले सभी विविध समुदायों का स्वागत किया है। उन्होंने एकता और समग्रता केप्रति समर्पण और प्रतिबद्धता केलिए सूरीनाम के लोगों की सराहना की। राष्ट्रपति को यह जानकर प्रसन्नता हुईकि विशाल भौगोलिक दूरियों, विभिन्न समय क्षेत्रों और सांस्कृतिक विविधता के बावजूद भारतीय प्रवासी हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं, पिछले 150 वर्ष में भारतीय समुदाय न केवल सूरीनाम में समाज का एक अभिन्न अंग बन गया है, बल्कि यह भारत और सूरीनाम केबीच गहरी होती साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ भी है। राष्ट्रपति ने कहाकि ऐसे समय में जब सूरीनाम अपने पूर्वजों की विरासत और भारत केसाथ अपने संबंधों का उत्सव मना रहा है, भारत एकजुटता और श्रद्धा केसाथ सूरीनाम केसाथ खड़ा है।
राष्ट्रपति ने भारतीय क्षेत्रों से सूरीनाम में आनेवाले उन मूल भारतीय प्रवासियों की चौथी पीढ़ी से छठी पीढ़ी तक ओसीआई कार्ड केलिए पात्रता मानदंड बढ़ाने के भारत सरकार के फैसले की घोषणा की। उन्होंने कहाकि ओसीआई कार्ड को भारत केसाथ उनके 150 साल पुराने रिश्ते की अहम कड़ी के तौरपर देखा जा सकता है। द्रौपदी मुर्मू ने भारतीय डायस्पोरा के सदस्यों से भारत केसाथ अपने संबंध बनाए रखने केलिए प्रयास जारी रखने का आग्रह किया। राष्ट्रपति ने कहाकि सूरीनाम-भारत दोनों ने औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि केबाद अपनी अर्थव्यवस्थाओं और सामाजिक व्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण केलिए प्रयास किए हैं, इस अनुभव ने दोनों देशों केबीच एकजुटता की भावना पैदा की है। उन्होंने कहाकि भारत-सूरीनाम द्विपक्षीय संबंध विकास की साझा आकांक्षाओं पर आधारित हैं। इससे पहले राष्ट्रपति ने बाबा और माई स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की, जो सूरीनाम में पहलीबार कदम रखनेवाले पहले भारतीय पुरुष और महिला का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करता है। इसके बाद उन्होंने मामा सरनन स्मारक पर सम्मान व्यक्त किया।
द्रौपदी मुर्मू ने सूरीनाम के राष्ट्रपति द्वारा उनके सम्मान में दिए गए भोज में भी भाग लिया। अपने भोज भाषण में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने एक समावेशी विश्वव्यवस्था के भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जो हर देश एवं क्षेत्र के वैध हितों और चिंताओं केप्रति संवेदनशील है। उन्होंने कहाकि इसी एकजुटता की भावना से भारत ने कोविड-19 महामारी के दौरान 100 से अधिक देशों की मदद केलिए हाथ बढ़ाया। राष्ट्रपति ने बतायाकि भारत जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है, जिसके माध्यम से वह विकासशील देशों और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं दोनों केसाथ मजबूत संबंध बना रहा है। उन्होंने उल्लेख कियाकि विकासशील देशों और ग्लोबल साउथ के हित के मुद्दों को एक बड़ी आवाज़ प्रदान करने केलिए भारत ने इस साल जनवरी में वॉयस ऑफ साउथ समिट काभी आयोजन किया, जिसमें ग्लोबल साउथ के 125 देशों ने भाग लिया। उन्होंने इस पहल का हिस्सा बनने केलिए सूरीनाम की भी सराहना की।

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