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'बीएसएफ के प्रति सहानुभूतिपूर्ण संवेदनशील रहें'

रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान में उपराष्ट्रपति की राज्य सरकारों से अपील

बीएसएफ के जवानों की 'कभी न हार मानने वाली भावना' सराही

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 25 May 2023 11:51:56 AM

police medal for meritorious service to border security force personnel

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सभी राज्य सरकारों विशेषकर सीमावर्ती राज्य सरकारों से अपील की हैकि वे सीमा सुरक्षा बल केप्रति सहानुभूतिपूर्ण और संवेदनशील बनें। उन्होंने कहाकि बीएसएफ जवानों को देश की लंबी और जटिल सीमाओं की रक्षा करने में भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, इसलिए राज्य सरकारों को बीएसएफ केलिए सभी प्रकार के सकारात्मक कदम उठाने चाहिएं और अपने तंत्र को संवेदनशील बनाना चाहिए, जिससे बीएसएफ का मनोबल हमेशा ऊंचा बना रहे। नई दिल्ली के विज्ञान भवन में 20वें सीमा सुरक्षा बल अलंकरण समारोह और रुस्तमजी स्मृति व्याख्यान-2023 में उपराष्ट्रपति ने सीमावर्ती इलाकों के नागरिकों से बीएसएफ का विस्तार एवं उसका समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने बीएसएफ द्वारा तस्करों से जब्त किएगए मवेशियों की देखभाल करने केलिए एक तंत्र स्थापित करने का भी आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देशसेवा केप्रति समर्पित रहने केलिए बीएसएफ जवानों की सराहना की और कहाकि उनमें से प्रत्येक उत्कृष्ट प्रतिबद्धता और राष्ट्रवाद का प्रदर्शन करते हैं, जिसका हम सभी देशवासियों को अनुकरण करना चाहिए। उन्होंने कहाकि बीएसएफ के बहादुर पुरुष और महिला देश की सेवा में साहस, वीरता और समर्पण की मिसाल हैं। उपराष्ट्रपति ने बीएसएफ कर्मियों की ‘कभी न हार मानने वाली भावना’ की सराहना करते हुए कहाकि वे थार रेगिस्तान, कच्छ के रण, बर्फ से ढके पहाड़ों और उत्तर पूर्व के घने जंगलों जैसी कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी देश की सीमाओं की रक्षा करते हैं। उन्होंने कई कठिनाइयों का सामना करते हुए अपना मनोबल ऊपर रखने केलिए बीएसएफ जवानों के परिवारों केलिए भी आभार व्यक्त किया। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत निरंतर प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है और हमारी सुरक्षित सीमा इस प्रगति में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण कारक हैं। अलंकरण समारोह में 35 बीएसएफ कर्मियों को सराहनीय सेवा केलिए सम्मानित किया गया, जिसमें वीरता केलिए 2 पुलिस पदक एवं सराहनीय सेवा केलिए 33 पुलिस पदक शामिल हैं।
उपराष्ट्रपति ने केएफ रुस्तमजी को एक करिश्माई नेता बताया और कहाकि उन्होंने न केवल बीएसएफ की स्थापना की, बल्कि भारत की न्यायिक प्रणाली में जनहित याचिका यानी पीआईएल की मजबूत नींव भी रखी, उनके मार्गदर्शन में बीएसएफ एक आधुनिक, अनुशासित और सक्षम बल के रूपमें स्थापित हुआ। इस बात का उल्लेख करते हुएकि रुस्तमजी 1977 में गठित पहले राष्ट्रीय पुलिस आयोग के सदस्य थे उपराष्ट्रपति ने कहाकि एनपीसी की आवश्यकता इसलिए महसूस हुई, क्योंकि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में 1975 में आपातकाल का काला दौर भी आया, जिसमें बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन, संस्थानों का पतन हुआ, जिसकी कल्पना कभी संविधान निर्माताओं ने भी नहीं की थी, बड़ी संख्या में लोगों को जेलों में डाला गया और न्यायपालिका तक उनको पहुंच प्राप्त नहीं हुई। जगदीप धनखड़ ने भारत में न्यायिक सक्रियता केलिए रुस्तमजी की प्रशंसा की।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि रुस्तमजी ने देश के पहले जनहित याचिका मामले ‘हुसैनआरा खातून बनाम बिहार राज्य’ का आधार तैयार किया, जिसके कारण ही देश में 40000 विचाराधीन कैदियों को रिहा किया गया, जो अधिकतम स्वीकृत अवधि से ज्यादा दिनों से जेलों में बंद थे। उपराष्ट्रपति ने कहाकि अगर वह चुपचाप बैठे रहते तो वे कैदी जेलों में ही बंद रहते, लेकिन उन्होंने अपनी कोशिश जारी रखी और सफल हुए। उन्होंने बीएसएफ के एक अन्य पूर्व महानिदेशक प्रकाश सिंह की भी प्रशंसा की, जो रुस्तमजी की कमान एवं मशाल को उच्चस्तर तक लेकर गए। पुलिस सुधार केलिए उनके अथक प्रयासों का उल्लेख करते हुए जगदीप धनखड़ ने कहाकि इसके कारण 2006 में सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया और शासन करने वाले लोगों को एक आधार प्रदान कियाकि कैसे पुलिस को काम करने दिया जाए और उन्हें राष्ट्र की सेवा में कैसे लगाया जाए। समारोह में बीएसएफ के महानिदेशक एसएल थाओसेन, बीएसएफ के एडीजी पीवी रामाशास्त्री, बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी, जवान एवं पूर्व सैनिक भी उपस्थित थे।

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