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'भारत-यूएई के लिए विकास इंजन है सीईपीए'

भारत-यूएई सीईपीए कार्यांवयन की वर्षगांठ पर बोले वाणिज्य सचिव

पीएम नरेंद्र मोदी और यूएई राष्ट्रपति ने वर्ष 2022 में किया था समझौता

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 2 May 2023 01:06:23 PM

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नई दिल्ली। भारत और यूएई केबीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के कार्यांवयन की पहली वर्षगांठ पर केंद्र सरकार में वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने इस उल्‍लेखनीय उपलब्धि पर भारत और यूएई के लोगों को बधाई दी और बीते 11 महीने में भारत-यूएई केबीच द्विपक्षीय व्यापार केलिए एक विकास इंजन के रूपमें सीईपीए की अहम भूमिका के बारेमें चर्चा की। सुनील बर्थवाल ने बतायाकि सीईपीए सही मायनों में एक पूर्ण और व्‍यापक समझौता है, जिसपर 18 फरवरी 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति एवं अबू धाबी के शासक शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान केबीच एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे। सीईपीए 1 मई 2022 से प्रभावी हुआ था।
वाणिज्य सचिव ने कहाकि दोनों देश कारोबार करने में और ज्‍यादा सुगमता बढ़ाने केलिए निरंतर आपस में मिलकर काम कर रहे हैं। इस अवसर पर उद्योग जगत के विभिन्‍न प्रतिनिधियों ने अपने-अपने क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज करने केलिए सीईपीए का लाभ उठाने के अपने अनुभवों के बारेमें बताया। पिछले एक वर्ष के दौरान सीईपीए ने यूएई केसाथ भारत के द्विपक्षीय व्यापार और विशेषकर भारत से यूएई को निर्यात (तेल और गैर-तेल) पर व्‍यापक प्रभाव डाला है। भारत और यूएई केबीच द्विपक्षीय व्यापार वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान ऐतिहासिक ऊंचाई को छू गया है। द्विपक्षीय व्यापार 72.9 अरब अमेरिकी डॉलर (अप्रैल 21-मार्च 2022) से बढ़कर 84.5 अरब अमेरिकी डॉलर (अप्रैल 22-मार्च 2023) हो गया है, जोकि सालाना आधार पर 16 प्रतिशत की दमदार वृद्धि दर्शाता है।
सीईपीए के कार्यांवयन की अवधि मई 22 से मार्च 23 तक द्विपक्षीय व्यापार 67.5 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 76.9 अरब अमेरिकी डॉलर हुआ है, जोकि सालाना आधार पर 14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। भारत से संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात भी बढ़कर कई वर्षों के उच्चतम स्तर को छू गया है। अप्रैल-मार्च की अवधि के दौरान भारत से संयुक्त अरब अमीरात को निर्यात 28 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 31.3 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जोकि लगभग 3.3 अरब अमेरिकी डॉलर की वृद्धि या प्रतिशत के संदर्भ में 11.8 प्रतिशत की सालाना वृद्धि को दर्शाता है। इसी अवधि में भारत के वैश्विक निर्यात में 5.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि यूएई को छोड़ भारत का वैश्विक निर्यात 4.8 प्रतिशत की दर से बढ़ा। सीईपीए के कार्यांवयन की अवधि के दौरान भारत से यूएई को निर्यात 26.2 अरब से बढ़कर 28.5 अरब डॉलर हो चुका है, जोकि 8.5 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है।
संयुक्त अरब अमीरात को छोड़ भारत का वैश्विक निर्यात इसी अवधि के दौरान 3.1 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। अप्रैल 22 से मार्च 23 के दौरान संयुक्त अरब अमीरात से भारत में आयात बढ़कर 53.2 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। गैर-तेल आयात में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। सीईपीए की बदौलत व्‍यापक निर्यात वृद्धि दर्ज करने वाले श्रम-गहन क्षेत्रों सहित कुछ प्रमुख क्षेत्रों में ये शामिल हैं-खनिज ईंधन, विद्युत मशीनरी विशेषकर टेलीफोन उपकरण, रत्न और आभूषण, ऑटोमोबाइल परिवहन वाहन खंड, आवश्यक तेल इत्र प्रसाधन सामग्री, मशीनरी, अनाज चावल, कॉफी चाय मसाले, कृषि उत्पाद और रासायनिक उत्पाद। भारत-यूएई सीईपीए का उपयोग महीने-दर-महीने निरंतर बढ़ रहा है। सीईपीए केतहत जारी किएगए मूल देश के अधिमान्य प्रमाण पत्रों की संख्या मई 2022 के 415 से बढ़कर मार्च 2023 में 8440 के उच्‍च स्‍तरपर पहुंच गई है। सीईपीए के तहत 11 माह की अवधि के दौरान 54000 से भी अधिक सीओओ जारी किए गए हैं।
भारत-यूएई सीईपीए केतहत वस्‍तुओं के क्षेत्र में यूएई ने भारत से 99 प्रतिशत आयात से वास्‍ता रखने वाली अपनी 97.4 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर देय शुल्क को समाप्त कर दिया है। भारत ने मूल्य के संदर्भ में भारत के 90 प्रतिशत निर्यात से वास्‍ता रखने वाली अपनी 80 प्रतिशत से अधिक टैरिफ लाइनों पर तत्काल शुल्क समापन हासिल कर लिया है। इनमें से अधिकतर टैरिफ लाइनें श्रम प्रधान उद्योगों जैसे-तिलहन और तेल, पेय पदार्थ, कपास, मछली और मछली उत्पाद, वस्‍त्र, कपड़े, रत्न और आभूषण, चमड़ा, जूते, फार्मास्यूटिकल्स और कई इंजीनियरिंग उत्पादों से संबंधित हैं। सेवा क्षेत्र में सभी क्षेत्रों और आपूर्ति के तरीकों में व्यापक और मजबूत प्रतिबद्धताएं व्‍यक्‍त की गई हैं। करीब 160 सेवा उप-क्षेत्रों में से भारत ने यूएई को 100 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है और यूएई ने भारत को 111 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है। आशा हैकि भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में व्‍यापक वृद्धि को देखते हुए सीईपीए का जीडीपी और रोज़गार जैसे अन्य प्रमुख मैक्रोइकॉनॉमिक वैरिएबल पर संबंधित सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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