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'भारत की बढ़ती उपलब्धियों पर गर्व करें'

उपराष्ट्रपति का डॉ एमएस रमैया के शताब्दी समारोह में संबोधन

भारतीय नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता शक्ति पर प्रकाश डाला

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 1 March 2023 06:02:01 PM

vice president jagdeep dhankhar

बेंगलुरु। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारतीय नवाचार, अनुसंधान और उद्यमिता की शक्ति पर प्रकाश डाला और नागरिकों से भारत की बढ़ती उपलब्धियों पर गर्व करने का आह्वान किया है। वह बेंगलुरु में आज गोकुल एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ एमएस रमैया के शताब्दी समारोह को संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहाकि डॉ एमएस रमैया जीवनभर कर्मयोगी रहे, देश में शिक्षा और स्वास्थ्य के परिदृश्य को बदलने केलिए कर्तव्यपथ पर चलते रहे, उनका जीवन हमारी सभ्यता लोकाचार की उदात्तता का उदाहरण है और उनकी जन्म शताब्दी समारोह से जुड़ना हम सभी केलिए गर्व का क्षण है। उन्होंने कहाकि सामाजिक परिवर्तन को सक्षम करने में शिक्षा का महत्व बताते हुए कहाकि भारत प्राचीनकाल से ही नालंदा, तक्षशिला, वल्लभी और विक्रमशिला जैसे शिक्षा के महान अध्‍ययन केंद्रों का घर रहा है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भारत के शिक्षा क्षेत्रमें अधिक समावेश और उत्कृष्टता लाने में नई शिक्षा नीति के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि यह हमारी शिक्षा प्रणाली में आमूल परिवर्तन लाएगी, यह हमें डिग्री केंद्रित संस्कृति से दूर करेगी और हमें एक उत्पादक पथ पर ले जाएगी। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को किसी प्रकार का बोझ और तनाव न लेने की सलाह देते हुए उन्हें प्रतिस्पर्धी परिदृश्य में नहीं फंसने केलिए कहा। उपराष्‍ट्रपति ने कहाकि कोशिश करने में संकोच न करें, क्योंकि गलती हो सकती है, बिना गिरे कुछभी बड़ा हासिल नहीं हुआ है। उपराष्ट्रपति ने वैश्विक पटल पर भारत के बेरोक उदय की प्रशंसा करते हुए कहाकि विश्व भारत का सम्मान करता है और भारत की आवाज़ सुनता है। संसद को सरकार को जवाबदेह ठहराने का एक मंच बताते हुए उपराष्ट्रपति ने सदन में व्यवधान की बढ़ती घटनाओं पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त की। इस प्रवृत्ति को रोकने केलिए एक जनआंदोलन का आह्वान करते हुए उन्होंने युवाओं से अपील कीकि वे जनता को मनाने केलिए जनमत तैयार करें और सांसदों से अनुरोध कियाकि वे इस तरह का आचरण करें, जो सभी केलिए अनुकरणीय हो।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह बहुतही संतोषजनक क्षण हैकि दूरदर्शी डॉ एमएस रमैया ने एक संस्थान बनाया और उस छतरी के नीचे कई संस्थान विकसित हो रहे हैं, यह एक बात को इंगित करता हैकि हम अपने अतीत के गौरव को पुनः प्राप्त करने के रास्ते पर हैं। उन्होंने कहाकि यह समय की बात है, वर्ष 2047 तक अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक मापदंडों पर हम दुनिया का मार्गदर्शन कर रहे होंगे। उपराष्ट्रपति ने कहाकि यह वर्ष विशेष रूपसे महत्वपूर्ण है, भारत जी20 का अध्यक्ष है और इसका प्रभाव हर जगह महसूस किया जा रहा है, हमने बेंगलुरु शहर सहित विभिन्न क्षेत्रों में कई देशों के नेतृत्व को देखा है। उन्होंने कहाकि बेंगलुरु शहर युवा दिमाग के सकारात्मक विकास केलिए तंत्रिका केंद्र, नवाचार को पूर्ण स्वतंत्रता दे रहा है, जो एक दुर्लभ अवसर है। उन्होंने कहाकि भारत के इतिहास में कभी इस देशकी आवाज़ ऐसी नहीं सुनी गई, जैसी अब सुनी जा रही है। उन्होंने कहाकि पिछले एक साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो विचार दिए हैं, वे विचार हजारों वर्ष की हमारी विचार प्रक्रिया के अनुरूप हैं, एक पिछले साल की शुरुआत में थाकि यह विस्तार का युग नहीं है, भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है, जिसने ऐतिहासिक रूपसे कभी भी विस्तार का सहारा नहीं लिया है और इस साल दूसरी घटना हुई और दुनिया ने इसकी सराहना कीकि युद्ध किसीभी समस्या का समाधान नहीं है, संवाद और कूटनीति ही एकमात्र रास्ता है।
भारत के उपराष्ट्रपति के रूपमें यह जगदीप धनखड़ की कर्नाटक राज्य की पहली यात्रा है। कर्नाटक राजभवन में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और राज्य के कई गणमान्य लोगों से मुलाकात की। इससे पहले दिन में उन्होंने डॉ सुदेश धनखड़ केसाथ बेंगलुरु में डोड्डा गणपति, बुल मंदिर और गवी गंगाधरेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की और राष्ट्र की शांति एवं समृद्धि और नागरिकों की भलाई केलिए प्रार्थना की। इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत, कर्नाटक के कानून मंत्री जेसी मधुस्वामी, गोकुल एजुकेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ एमआर जयराम, गोकुल एजुकेशन फाउंडेशन के उपाध्यक्ष एमआर सीताराम और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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