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निबंधों में समय बोलता है-प्रो अशोक सिंह

'नियमित निबंध लिखने का कौशल कम ही गद्य लेखकों में है'

लेखक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के निबंध संग्रह का लोकार्पण

निहारिका सिंह लोधी

Wednesday 1 March 2023 03:15:32 PM

durgaprasad agarwal's essay collection was launched

नई दिल्ली। संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय सरगुजा के कुलपति और हिंदी आचार्य प्रोफेसर अशोक सिंह ने विश्व पुस्तक मेले में निबंध संग्रह 'आधी आबादी के किस्से' के लोकार्पण समारोह में कहा हैकि हिंदी में सभी गद्य विधाओं में निबंध सबसे पुरानी और लोकप्रिय विधा है और भारतेंदु हरिश्चंद्र काल से हमारे समय तक निबंध लिखने और पढ़ने का उत्साह बना हुआ है। प्रोफेसर अशोक सिंह जानेमाने लेखक डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के इस निबंध संग्रह के लोकार्पण समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहाकि नियमित निबंध लिखने का कौशल कम ही गद्य लेखकों में होता है और दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने जिस प्रतिबद्धता से निबंध लिखे हैं, वह सचमुच अभिनंदनीय है।
लोकार्पण समारोह में लेखक सूरज प्रकाश ने कहाकि जिस सरल सहज भाषा में दुर्गाप्रसाद अग्रवाल लिखते हैं, वह किसीभी गद्य लेखक केलिए स्पृहणीय है। सूरज प्रकाश ने कहाकि सचेत का सद्य केबाद इस साल यह उनका दूसरा निबंध संग्रह आया है, जो उनके लेखन की निरंतरता का प्रमाण है। उपन्यासकार हरिराम मीणा ने कहाकि वे दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के गद्य लेखन के प्रारंभिक पाठकों मेसे हैं और अपने समय के वास्तविक सवालों से टकराना उनके निबंधों की एक विशेषता है। हरिराम मीणा ने कहाकि दुर्गाप्रसाद अग्रवाल जैसे लेखक अपने निबंधों में सामाजिक विषयों को जिस व्यापकता केसाथ सम्बोधित करते हैं, वह भी प्रेरणाप्रद है। पत्रकार और लेखक रामशरण जोशी ने कहाकि रोजमर्रा के विषयों पर लिखना किसीभी लेखक केलिए बड़ी चुनौती है और दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने इस चुनौती को कुशलता से निभाया है।
युवा आलोचक पल्लव ने लोकार्पण कार्यक्रम का संयोजन करते हुए डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल की रचना यात्रा का परिचय दिया और कहाकि उनके निबंध पाठकों को संस्कारित करते हैं और लोक शिक्षण की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण सृजन है। पल्लव ने कहाकि राजस्थान के कथेतर लेखन में दुर्गाप्रसाद अग्रवाल के निबंधों को ख़ासतौर पर रेखांकित किया जाना चाहिए जो अत्यंत व्यापक कैनवास पर लिखे गए हैं। भारतीय विदेश सेवा से सेवानिवृत्त राजीव सिंह, कवि राघवेंद्र रावत, कथाकार ज्ञानचंद बागड़ी, कला समीक्षक एएल दमामी, युवा उपन्यासकार नवीन चौधरी और सिनेमा विशेषज्ञ मिहिर पंड्या, लेखिका डॉ उषा गोयल, रश्मि भटनागर ने भी चर्चा में भाग लिया। प्रभाकर प्रकाशन के सम्पादकीय प्रभारी अंशु चौधरी ने लेखकों विद्वानों का आभार प्रदर्शित किया।

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