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चाबहार का ट्रांसशिपमेंट हब के रूपमें विकास

भारत को रूस यूरोप व मध्य एशियाई देशों से जोड़ने में सहायक

आईएनएसटीसी से चाबहार पोर्ट कनेक्टिविटी पर कार्यशाला

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 20 January 2023 03:01:45 PM

workshop on instc to chabahar port connectivity

मुंबई। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड केसाथ मुंबई में चाबहार बंदरगाह को इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर केसाथ जोड़ने पर एक कार्यशाला का आयोजन किया। इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर हिंद महासागर और फारस की खाड़ी को ईरान के रास्ते कैस्पियन सागर से और रूस में सेंट पीटर्सबर्ग के रास्ते उत्तरी यूरोप से जोड़ने वाला एक बहुमॉडल परिवहन मार्ग है। कार्यशाला में एमडी आईपीजीएल ने आईएनएसटीसी पर एक प्रस्तुतीकरण दिया और एफएफएफएआई ने आईएनएसटीसी की अध्ययन रिपोर्ट पर प्रस्तुतीकरण पेश किया। ईरान के पीएमओ के डीजी (ट्रांजिट, लॉजिस्टिक्स और एग्रीमेंट्स) खुसरो सराय ने कार्यशाला को संबोधित किया। इसके बाद सचिव एमओपीएसडब्ल्यू ने संबोधन दिया।
चाबहार की रणनीतिक स्थिति इसे ट्रांसशिपमेंट हब के रूपमें विकसित करने के लिहाज से काफी अनुकूल बनाती है। बड़े शिपमेंट जहाजों को संभालने केलिए बंदरगाह का 16 मीटर गहरा ड्राफ्ट खासा उपयुक्त है। यह बंदरगाह दुनिया के कुछ सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्गों के करीब है। यह क्षेत्र एशिया-यूरोप, एशिया-एशिया व्यापारिक मार्ग के अंतर्गत आता है, जहां से बड़ी मात्रा में कार्गो जाता है। आईएनएसटीसी एक्जिम शिपमेंट को रूस, यूरोप तक पहुंचाने और मध्य एशियाई बाजारों में प्रवेश करने में लगने वाले समय में कमी करने का भारत का विजन और पहल है। कॉरिडोर के सफलतापूर्वक शुरू होने से भारत को रूस और मध्य एशियाई देशों से जोड़ने में मदद मिलेगी।
चाबहार बंदरगाह ईरान में है, यह क्षेत्र विशेष रूपसे मध्य एशिया केलिए वाणिज्यिक पारगमन केंद्र है। कार्यशाला में वक्ताओं ने आईएनएसटीसी की समुद्र के रास्ते मुंबई से शाहिद बेहेश्ती पोर्ट-चाबहार, सड़क के रास्ते चाबहार से बंदर-ए-अंजली (कैस्पियन सागर पर एक ईरानी बंदरगाह) और फिर जहाज से कैस्पियन सागर में बंदर-ए-अंजली से अस्तराखान (रूस में एक कैस्पियन बंदरगाह) तक और उसके बाद अस्तराखान से रूस के अन्य क्षेत्रों और आगे रूसी रेलवे से यूरोप तक माल की आवाजाही की परिकल्पना पर प्रकाश डाला। निदेशक संचालन आईपीजीएल के प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव केसाथ कार्यशाला का समापन हुआ।

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