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निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे!

'वीर बाल दिवस शौर्य व सनातन प्रेरणा की पराकाष्ठा'

प्रधानमंत्री का 'वीर बाल दिवस' पर ऐतिहासिक संबोधन

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Monday 26 December 2022 05:06:54 PM

brave sahibzade of guru standing fearless!

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'वीर बाल दिवस' पर आज मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम दिल्ली में आयोजित भव्य कार्यक्रम में ऐतिहासिक संबोधन में कहाकि जिस दिन और बलिदान को हम पीढ़ियों से याद करते आए हैं, एक राष्ट्र के रूपमें उसे एकजुट नमन करने केलिए एक नई शुरुआत हुई है, आज देश पहला वीर बाल दिवस मना रहा है। उन्होंने कहाकि शहीदी सप्ताह और वीर बाल दिवस हमारी सिख परंपरा केलिए भावों से भरा जरूर है, लेकिन इससे आकाश जैसी अन्नत प्रेरणाएं जुड़ी हैं, वीर बाल दिवस हमें याद दिलाता हैकि शौर्य की पराकाष्ठा के समय कम आयु मायने नहीं रखती। प्रधानमंत्री ने कहाकि दस गुरुओं का योगदान क्या है, देशके स्वाभिमान केलिए सिख परंपरा का बलिदान क्या है! वीर बाल दिवस हमें बताएगा कि भारत क्या है, इसकी पहचान क्या है! हर साल वीर बाल दिवस का अवसर हमें अपने अतीत को पहचानने और आनेवाले भविष्य का निर्माण करने की प्रेरणा देगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत की युवा पीढ़ी का सामर्थ्य क्या है, उसने कैसे अतीत में देश की रक्षा की है, मानवता के कितने घोर-प्रघोर अंधकारों से हमारी युवा पीढ़ी ने भारत को बाहर निकाला है, वीर बाल दिवस आनेवाले दशकों और सदियों केलिए ये उद्घोष करेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि मैं आज इस अवसर पर वीर साहिबजादों को कृतज्ञ श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और इसे मैं अपनी सरकार का सौभाग्य मानता हूंकि आज 26 दिसंबर के दिन को वीर बाल दिवस के तौरपर घोषित करने का मौका मिला, मैं पिता दशमेश गुरु गोविंद सिंहजी और सभी गुरुओं के चरणों में भक्तिभाव से प्रणाम करता हूं और मैं मातृशक्ति की प्रतीक माता गुजरी के चरणों मेभी अपना शीश झुकाता हूं। नरेंद्र मोदी ने कहाकि विश्व का हजार वर्ष का इतिहास क्रूरता के एकसे एक खौफनाक अध्यायों से भरा है, इतिहास से लेकर किंवदंतियों तक हर क्रूर चेहरे के सामने महानायकों और महानायिकाओं केभी एकसे एक महान चरित्र रहे हैं, लेकिन येभी सच हैकि चमकौर और सरहिंद के युद्ध में जो कुछ हुआ, वो भूतो न भविष्यति था, ये अतीत हजारों वर्ष पुराना नहीं हैकि समय के पहियों ने उसकी रेखाओं को धुंधला कर दिया हो, ये सबकुछ इसी देशकी मिट्टी पर केवल तीन सदी पहले हुआ था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि एक ओर धार्मिक कट्टरता और उस कट्टरता में अंधी मुगल सल्तनत, दूसरी ओर ज्ञान और तपस्या में तपे हुए हमारे गुरु, भारत के प्राचीन मानवीय मूल्यों को जीनेवाली परंपरा, एक ओर आतंक की पराकाष्ठा तो दूसरी ओर आध्यात्म का शीर्ष, एक ओर मजहबी उन्माद तो दूसरी ओर सबमें ईश्वर देखने वाली उदारता और इस सबके बीच एक ओर लाखों की फौज और दूसरी ओर अकेले होकरभी निडर खड़े गुरु के वीर साहिबजादे! प्रधानमंत्री ने कहाकि वीर साहिबजादे किसी धमकी से डरे नहीं, किसी के सामने झुके नहीं, जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया, एक ओर नृशंसता ने अपनी सभी सीमाएं तोड़ दीं तो दूसरी ओर धैर्य शौर्य एवं पराक्रम केभी सभी प्रतिमान टूट गए, साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह ने बहादुरी की वो मिसाल कायम की, जो सदियों को प्रेरणा दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अगर हमें भारत को भविष्य में सफलता के शिखरों तक लेकर जाना है तो हमें अतीत के संकुचित नजरियों से भी आज़ाद होना पड़ेगा, इसीलिए आजादी के अमृतकाल में देश ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का प्राण फूंका है और वीर बाल दिवस देश के उन पंच प्राणों केलिए प्राणवायु की तरह है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि इतनी कम उम्र में साहिबजादों के इस बलिदान में हमारे लिए एक और बड़ा उपदेश छिपा हुआ है। उन्होंने कहाकि औरंगजेब के आतंक के खिलाफ, भारत को बदलने के उसके मंसूबों के खिलाफ, गुरु गोविंद सिंहजी पहाड़ की तरह खड़े थे, लेकिन जोरावर सिंह साहब और फतेह सिंह साहब जैसे कम उम्र के बालकों से औरंगजेब और उसकी सल्तनत की क्या दुश्मनी हो सकती थी? दो निर्दोष बालकों को दीवार में जिंदा चुनवाने जैसी दरिंदगी क्यों की गई? वो इसलिए क्योंकि औरंगजेब और उसके लोग गुरु गोविंद सिंहजी के बच्चों का धर्म तलवार के दम पर बदलना चाहते थे। नरेंद्र मोदी ने कहाकि जिस समाज, जिस राष्ट्र में उसकी नई पीढ़ी ज़ोर-जुल्म के आगे घुटने टेक देती है, उसका आत्मविश्वास और भविष्य अपने आप मर जाता है, लेकिन भारत के वो बेटे, वो वीर बालक मौत सेभी नहीं घबराए, वो दीवार में जिंदा चुन गए, लेकिन उन्होंने उन आततायी मंसूबों को हमेशा केलिए दफन कर दिया। नरेंद्र मोदी ने कहाकि यही किसीभी राष्ट्र के समर्थ युवा का सामर्थ्य होता है, युवा अपने साहस से समय की धारा को हमेशा केलिए मोड़ देता है, इसी संकल्पशक्ति केसाथ आज भारत की युवा पीढ़ी भी देशको नई ऊंचाई पर ले जाने केलिए निकल पड़ी है और इसलिए अब 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस की भूमिका और भी अहम हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सिख गुरु परंपरा केवल आस्था और आध्यात्म की परंपरा नहीं है, ये ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के विचार का भी प्रेरणा पुंज है। उन्होंने कहाकि हमारे पवित्र गुरुग्रंथ साहिब से बड़ा इसका उदाहरण और क्या हो सकता है? इसमें सिख गुरुओं केसाथ भारत के अलग-अलग कोनों से 15 संतों और 14 रचनाकारों की वाणी समाहित है, इसी तरह गुरु गोविंद सिंह की जीवन यात्रा कोभी देखिए, उनका जन्म पूर्वी भारत में पटना में हुआ, उनका कार्यक्षेत्र उत्तर-पश्चिमी भारत के पहाड़ी अंचलों में रहा और उनकी जीवनयात्रा महाराष्ट्र में पूरी हुई। नरेंद्र मोदी ने कहाकि गुरु के पंच प्यारे भी देश के अलग-अलग हिस्सों से थे और मुझे गर्व हैकि पहले पंच प्यारों में एक उस धरती से भी था द्वारिका से गुजरात से जहां मुझे जन्म लेने का सौभाग्य मिला है। नरेंद्र मोदी ने कहाकि व्यक्ति से बड़ा विचार, विचार से बड़ा राष्ट्र, राष्ट्र प्रथम का ये मंत्र गुरु गोविंद सिंहजी का अटल संकल्प था, जब वो बालक थे तो ये प्रश्न आया कि राष्ट्रधर्म की रक्षा केलिए बड़े बलिदान की जरूरत है, उन्होंने अपने पिता से कहाकि आपसे महान आज कौन है? ये बलिदान आप दीजिये, जब वो पिता बने तो उसी तत्परता से उन्होंने अपने बेटों कोभी राष्ट्रधर्म केलिए बलिदान करने में संकोच नहीं किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि देश प्रथम को सर्वोपरि रखने की परंपरा, हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है, इसको सशक्त करने की ज़िम्मेदारी आज हमारे कंधों पर है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत की भावी पीढ़ी कैसी होगी, ये इस बात परभी निर्भर करता हैकि वो किससे प्रेरणा ले रही है, भारत की भावी पीढ़ी केलिए प्रेरणा का हर स्रोत इसी धरती पर है। उन्होंने कहाकि कहा जाता हैकि हमारे देश भारत का नाम जिस बालक भारत के नामपर पड़ा, वो सिंहों और दानवों तक संहार करके थकते नहीं थे, हम आजभी धर्म और भक्ति की बात करते हैं तो भक्तराज प्रह्लाद को याद करते हैं, धैर्य और विवेक की बात करते हैं तो बालक ध्रुव का उदाहरण देते हैं, मृत्यु के देवता यमराज कोभी अपने तप से प्रभावित कर लेनेवाले नचिकेता कोभी नमन करते हैं, बाल राम के ज्ञान से उनके शौर्य तक, वशिष्ठ के आश्रम से विश्वामित्र के आश्रम तक उनके जीवन में हम पग-पग पर आदर्श देखते हैं, प्रभु श्रीराम के बेटे लव-कुश की कहानी भी हर मां अपने बच्चों को सुनाती है, श्रीकृष्ण भी हमें जब याद आते हैं तो सबसे पहले कान्हा की वो छवि याद आती है, जिनकी बंशी में प्रेम के स्वर भी हैं और वो बड़े बड़े राक्षसों का संहार भी करते हैं, उस पौराणिक युग से लेकर आधुनिककाल तक वीर बालक-बालिकाएं भारत की परंपरा का प्रतिबिंब रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज एक सच्चाई मैं देश के सामने दोहराना चाहता हूं, साहिबजादों ने इतना बड़ा बलिदान और त्याग किया, अपना जीवन न्योछावर कर दिया, लेकिन आजकी पीढ़ी के बच्चों को पूछेंगे तो उनमें से ज्यादातर को उनके बारेमें पता ही नहीं है, दुनिया के किसी देशमें ऐसा नहीं होता हैकि इतनी बड़ी शौर्यगाथा को इस तरह भुला दिया जाए, पहले हमारे यहां क्यों वीर बाल दिवस का विचार तक नहीं आया, लेकिन अब नया भारत दशकों पहले हुई एक पुरानी भूल को सुधार रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि किसीभी राष्ट्र की पहचान उसके सिद्धांतों, मूल्यों और आदर्शों से होती है और युवा पीढ़ी को आगे बढ़ने केलिए हमेशा रोल मॉडल्स की जरूरत होती है, सीखने और प्रेरणा केलिए महान व्यक्तित्व वाले नायक-नायिकाओं की जरूरत होती है, इसीलिए हम श्रीराम के आदर्शों मेभी आस्था रखते हैं, भगवान गौतमबुद्ध और भगवान महावीर से प्रेरणा पाते हैं, हम गुरुनानक देवजी की वाणी को जीने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहाकि हम महाराणा प्रताप और छत्रपति वीर शिवाजी महाराज जैसे वीरों के बारेमें भी पढ़ते हैं, इसीलिए ही विभिन्न जयंतियां मनाते हैं, सैकड़ों-हजारों वर्ष पुरानी घटनाओं परभी पर्वों का आयोजन करते हैं। उन्होंने कहाकि हमारे पूर्वजों ने समाज की इस जरूरत को समझा था और भारत को एक ऐसे देशके रूपमें गढ़ा, जिसकी संस्कृति पर्व और मान्यताओं से जुड़ी है, आनेवाली पीढ़ियों केलिए यही ज़िम्मेदारी हमारी भी है, हमें भी उस चिंतन और चेतना को चिरंतर बनाना है, हमें अपने वैचारिक प्रवाह को अक्षुण्ण रखना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि आज़ादी के अमृत महोत्सव में देश स्वाधीनता संग्राम के इतिहास को पुनर्जीवित करने केलिए प्रयास कर रहा है और हमारे स्वाधीनता सेनानियों, वीरांगनाओं, आदिवासी समाज के योगदान को जन-जन तक पहुंचाने केलिए हमसब काम कररहे हैं। उन्होंने कहाकि वीर बाल दिवस इस दिशामें प्रभावी प्रकाश स्तंभ की भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहाकि मुझे खुशी हैकि वीर बाल दिवस से नई पीढ़ी को जोड़ने केलिए जो क्विज कंपटीशन हुआ, निबंध प्रतियोगिता हुई, उसमें हजारों युवाओं ने हिस्सा लिया है। उन्होंने कहाकि जम्मू-कश्मीर, दक्षिण में पुडुचेरी, पूरब में नागालैंड, पश्चिम में राजस्थान देश का कोई कोना ऐसा नहीं है, जहां के बच्चों ने इसमें हिस्सा लेकर साहिबजादों के जीवन के विषय में जानकारी न ली हो, निबंध न लिखा हो, देश के विभिन्न स्कूलों मेभी साहिबजादों से जुड़ी कई प्रतियोगिताएं हुई हैं। उन्होंने कहाकि वो दिन दूर नहीं जब केरला, नॉर्थ ईस्ट के बच्चों को वीर साहिबजादों के बारेमें पता होगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि वीर बाल दिवस के संदेश को देश के कोने-कोने तक लेकर जाना है, हमारे साहिबजादों का जीवन, उनका जीवन ही संदेश देशके हर बच्चे तक पहुंचे, वो उनसे प्रेरणा लेकर देश केलिए समर्पित नागरिक बनें, हमें इसके लिएभी प्रयास करने हैं। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त कियाकि हमारे ये एकजुट प्रयास समर्थ और विकसित भारत के हमारे लक्ष्य को नई ऊर्जा देंगे।

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