स्वतंत्र आवाज़
word map

'काशी तमिल संगमम बना संस्कृतियों का सेतु'

भारत की सांस्कृतिक एकता के पुनर्जागरण का एक उत्तम प्रयास

काशी तमिल संगमम के समापन समारोह में बोले केंद्रीय गृहमंत्री

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 17 December 2022 01:13:25 PM

home minister at the closing ceremony of kashi tamil sangamam

वाराणसी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह वाराणसी में काशी तमिल संगमम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूपमें शामिल हुए। अमित शाह ने कहाकि आज एक प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काशी तमिल संगमम की कल्पना की पूर्णाहुति होने जा रही है, लेकिन ये पूर्णाहुति नहीं है, बल्कि भारतीय संस्कृति के दो शिखरों यानी तमिलनाडु की संस्कृति, दर्शन, भाषा, ज्ञान और पूरी दुनिया में मान्यताप्राप्त काशी नगरी के सांस्कृतिक मिलन की शुरूआत है। उन्होंने कहाकि ये प्रयास आजादी केतुरंत बाद होना चाहिए था, एक गुलामी के लंबे कालखंड ने हमारी सांस्कृतिक एकता, विरासत की विविधता और अलग-अलग संस्कृतियों में भारतीयता की एकरूपता को कुछ हदतक मलिन किया था, जिसे पुनर्जागरण की ज़रूरत थी। अमित शाह ने कहाकि काशी तमिल संगमम का आयोजन करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में भारत की सांस्कृतिक एकता के पुनर्जागरण का एक उत्तम प्रयास किया है।
गृहमंत्री अमित शाह ने कहाकि भारत अनेक संस्कृतियों, भाषाओं, बोलियों और कलाओं का देश है, लेकिन इसकी आत्मा एक है। उन्होंने कहाकि विश्व में सारे देश जियोपॉलिटिकल कारणों से बने हैं, लेकिन भारत एकमात्र जियोकल्चरल, सांस्कृतिक और संस्कृति के आधार पर बना हुआ देश है। अमित शाह ने कहाकि भारत एक भू-सांस्कृतिक देश है और हमारी एकात्मता का आधार हमारी संस्कृतियां हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी तमिल संगमम के माध्यम से सदियों केबाद इन संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य किया है, जो कभी समाप्त नहीं होगा। अमित शाह ने कहाकि आज़ादी केबाद एक समय ऐसा आया जब भारत की संस्कृतिक एकता में जहर घोलने का काम किया गया, कई प्रकार के अलग-अलग विचारों के माध्यम से एकही देश के दो समाजों को विमुख करने का प्रयास किया गया। अमित शाह ने कहाकि अब एक भारत, श्रेष्ठ भारत की रचना करने का समय आ गया है और वो भारत की सांस्कृतिक एकता से ही हो सकती है।
अमित शाह ने कहाकि इस कार्यक्रम ने भारत की संस्कृति के दो शिखरों केबीच सेतु बनाकर कई दूरियों को समाप्त करने का काम किया है और यहीं से भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की शुरूआत होने वाली है। अमित शाह ने कहाकि इसके माध्यम से तमिलनाडु की कई कलाओं को काशी में मंच मिला है। उन्होंने कहाकि काशी तमिल संगमम आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, वास्तुकला, साहित्य, व्यापार, शिक्षा, कला, नृत्य, संगीत और भाषाओं के आदान-प्रदान का एक अद्भुत मंच बना है। गृहमंत्री ने कहाकि काशी तमिल संगमम से पूरे उत्तर भारत और भारतवासियों को ये जानकारी दी हैकि तमिल दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक है। उन्होंने कहाकि दोनों संस्कृतियों के अनेक पहलुओं को जोड़ने का ये एक बड़ा प्रयास हुआ है और इसने तमिलनाडु को एक संदेश दिया हैकि पूरा भारत आपका हृदय से स्वागत करने केलिए तैयार है। अमित शाह ने कहाकि उत्तरपूर्व से लेकर गुजरात, बंगाल और केरल तक ये महान देश तमिल भाईयों-बहनों के स्वागत केलिए हृद्य से तैयार है।
गृहमंत्री ने कहाकि विश्वास और प्रेम में एक समानता हैकि दोनों को जबरदस्ती पैदा नहीं किया जा सकता है, काशी तमिल संगमम ने दोनों प्राचीनतम संस्कृतियों केबीच विश्वास व प्रेम का एक नया माहौल पैदा करने का काम किया और ये आज़ादी के अमृत महोत्सव के वर्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि है। अमित शाह ने कहाकि नई शिक्षा नीति में भाषा एवं संस्कृति के माध्यम से देश के आध्यात्मिक गौरव और ज्ञान परंपरा केसाथ आधुनिक शिक्षा के ज़रिए भारत के छात्रों ने विश्वपटल पर अपना स्थान सुनिश्चित करने केलिए व्यापक व्यवस्था की है। उन्होंने कहाकि हमारी भाषाएं और उनका गौरव नई शिक्षा नीति की आत्मा हैं, इसीलिए प्रधानमंत्री ने नई शिक्षा नीति में आग्रह से कहाकि शिक्षा का माध्यम मातृभाषा होनी चाहिए। गृहमंत्री ने तमिलनाडु सरकार से अनुरोध कियाकि राज्य में मेडिकल, टेक्निकल और कानून की शिक्षा तमिल भाषा में सुनिश्चित करें, जिससे तमिल को और अधिक मज़बूती मिले। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान, संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी, सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री एल मुरुगन और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

हिन्दी या अंग्रेजी [भाषा बदलने के लिए प्रेस F12]