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राजा स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा याद किए गए!

'असमिया समाज के निर्माण में राजा स्वर्गदेव का अमूल्य योगदान'

हर असमिया के लिए एकता सुशासन व शौर्य का प्रतीक-सोनोवाल

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 3 December 2022 01:05:12 PM

king swargadeo saulung sukafa remembered!

नई दिल्ली। केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग तथा आयुष मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम दिवस पर अपने आवास पर असम के उज्जवल और विनम्र विचारों से भरपूर एक समागम में भाग लिया, जिसमें उन्होंने महान शासक स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा को इतिहासकारों और शिक्षाविदों केसाथ श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहाकि स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा ने 13वीं शताब्दी में अहोम साम्राज्य की स्थापना की और एक बड़े असम का निर्माण करते हुए भूमि को एकीकृत किया। समागम में प्रसिद्ध इतिहासकार और वरिष्ठ पत्रकार हिंडोल सेनगुप्ता, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की कुलपति शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित, भारतीय बौद्धिक परंपरा प्राधिकरण के प्रख्यात शिक्षाविद कपिल कपूर और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पूर्वोत्तर भारत के अध्ययन केलिए विशेष केंद्र के अध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार राव ने 'असम और भारत के निर्माण में असम की भूमिका-एक ऐतिहासिक और समकालीन संदर्भ' पर अपने विचार साझा किए और आज के समय में स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने असम और पूर्वोत्तर की भूमिका पर विचार-विमर्श में कहाकि असम दिवस पर हम महान एकीकरण करने वाले असम के महान राजा और अहोम वंश के संस्थापक स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, असमिया समाज के निर्माण केलिए विभिन्न समुदायों को एकजुट करने में इनका अमूल्य योगदान हमारी पहचान की आधारशिला बना हुआ है। उन्होंने कहाकि स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा हर असमिया केलिए एकता, सुशासन और शौर्य का प्रतीक हैं। सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा ने बुद्धि, वीरता, दूरदर्शी और एकजुटता का एक दुर्लभ संयोजन प्रदर्शित किया, जिसने उन्हें असम के अबतक के सबसे महान योद्धाओं मेसे एक बनने में मदद की। उन्होंने कहाकि उनके नेतृत्व में असमिया समाज ने आत्मनिर्भर बनने केलिए काम किया, क्योंकि इसने विभिन्न हथियारों, औजारों और सामानों का निर्माण शुरू किया, जिसने समाज को एक अजेय सैन्यशक्ति बना दिया।
सर्बानंद सोनोवाल ने कहाकि स्वर्गदेव सौलुंग सुकफा की रणनीतिक प्रतिभा ने हमें मुगलों के आक्रमणों सहित किसीभी विदेशी आक्रमण को नियमित रूपसे विफल करने केलिए सशक्त बनाया। उन्होंने कहाकि महान असमिया समाज के निर्माण के दौरान महान स्वर्गदेव सुकफा ने जिस दृष्टिकोण और मूल्य प्रणाली को अपनाया, वह अबभी हमें और असमिया समाज को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर बड़े गर्व केसाथ प्रतिनिधित्व करने में मदद करता है। जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने भारत के उन भूले-बिसरे राजवंशों पर प्रकाश डाला, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा और समृद्ध करने में अत्यधिक योगदान दिया। उन्होंने अहोम, चोल, मौर्य और अन्य लोगों का भी उल्लेख किया। जेएनयू की कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित ने कहाकि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, भारत के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एकके रूपमें नए विचारों का स्वागत करने केलिए हमेशा तैयार रहता है और यह बहादुर योद्धाओं, असम केसाथ पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्रके इतिहास को उजागर करने में योगदान देगा।
प्रोफेसर कपिल कपूर ने महान अहोम योद्धाओं के बारेमें बतायाकि कैसे अहोम योद्धाओं ने पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र को विदेशी आक्रांताओं के क्रूर आक्रमणों से बचाया। उन्होंने उन प्राचीन ऐतिहासिक संबंधों के बारेमें भी बातचीत की, जो पूर्वोत्तर के लोग मध्य भारत केसाथ साझा करते थे। उन्होंने महाभारत और अन्य महत्वपूर्ण संधियों का संदर्भ दिया, जो पूर्वोत्तर के राजाओं के अखिल भारतीय दृष्टिकोण के गवाह हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पूर्वोत्तर भारत के अध्ययन केलिए विशेष केंद्र के अध्यक्ष प्रोफेसर विनय कुमार राव ने अहोम साम्राज्य की यात्रा का उल्लेख किया। उन्होंने असम को समकालीन सांस्कृतिक और भौगोलिक आकार देने में अहोम राजवंश की भूमिका की जानकारी दी। प्रोफेसर विनय कुमार राव ने अहोम साम्राज्य के गौरवशाली वर्षों का प्रतिनिधित्व करनेवाले स्मारकों के संरक्षण के महत्व परभी बल दिया। इतिहासकार हिंडोल सेनगुप्ता ने भारतीय इतिहास की विकृति पर ध्यान केंद्रित किया। हिंडोल सेनगुप्ता ने कहाकि इतिहास से छेड़छाड़ करके अहोमों सहित भारत के कई बहादुर योद्धाओं के नाम भारतीय लोगों का औपनिवेशीकरण करने केलिए मिटा दिए गए।
इतिहासकार हिंडोल सेनगुप्ता ने कहाकि इस तरहके औपनिवेशीकरण ने लोगों को अहोम वंश के उदय जैसे कई उल्लेखनीय ऐतिहासिक अवसरों और असम में एक मजबूत नींव बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के बारेमें अनजान बना दिया। उन्होंने असम के पुनरुत्थान के महत्व पर बल दिया और कहाकि सच्चा भारतीय इतिहास, जहां भारतीय अपनी जीत के बारेमें नाकि अपनी हार के बारेमें पढ़ेंगे। बैठक में दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों के प्रोफेसरों, विभागों के प्रमुखों, विभिन्न धाराओं के बुद्धिजीवियों और विचारकों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रमुख थिंक टैंकों के बुद्धिजीवी, दिल्ली एनसीआर में असमिया समाज के शिक्षाविद, टेक्नोक्रेट और वरिष्ठ नौकरशाह, असम एसोसिएशन दिल्ली, असम एसोसिएशन गुड़गांव और असम एसोसिएशन नोएडा के प्रतिनिधि एवं विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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