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फिल्म उद्योग में कास्टिंग प्रक्रिया पेशेवर हुई

53वें इफ्फी में 'कास्टिंग इन न्यू इंडियन सिनेमा' विषय पर चर्चा

ओटीटी एवं डिजिटल प्लेटफॉर्म से अभिनय के अवसरों में वृद्धि

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 26 November 2022 12:48:58 PM

discussion on 'casting in new indian cinema' at the film festival

पणजी। प्रसिद्ध कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने कास्टिंग डायरेक्टर की भूमिका के विकास और भारतीय फिल्म उद्योग में कास्टिंग की प्रक्रिया के बारेमें चर्चा करते हुए कहाकि कास्टिंग एक बहुत पुरानी प्रक्रिया है, हालांकि एक अलग विभाग के रूपमें कास्टिंग डायरेक्शन नई बात है, कास्टिंग डायरेक्टर, अभिनेता और निर्देशक केबीच में एक कड़ी के रूपमें कार्य करता है। उन्होंने कहाकि पहले निर्देशक और निर्माता जो भी उपलब्ध होता था, उसे कास्ट कर लेते थे, लेकिन अब प्रक्रिया अधिक व्‍यवसायी बन चुकी है। भारतीय अंतर्राष्‍ट्रीय फिल्‍म महोत्‍सव के इन कंवर्सेशन सत्रमें भारतीय फिल्म जगत में कास्टिंग के क्षेत्रको सुव्यवस्थित करने की प्रेरकशक्ति मुकेश छाबड़ा और भारत में कास्टिंग के क्षेत्रकी एक अन्‍य प्रसिद्ध हस्‍ती क्षितिज मेहता ने भाग लिया। इन दोनों ने 'कास्टिंग इन न्यू इंडियन सिनेमा' विषय पर अपनी बात रखी।
कास्टिंग डायरेक्टर ने कास्टिंग प्रक्रिया के विकास, भारतीय फिल्म उद्योग में कास्टिंग उद्योग पर ओटीटी प्लेटफार्मों के प्रभाव और किसी विशेष भूमिका केलिए अभिनेताओं की कास्टिंग में सोशल मीडिया के प्रभाव के बारेमें अपने विचार साझा किए। भारत में फिल्म उद्योग में कास्टिंग पर ओटीटी प्लेटफॉर्म और डिजिटल दुनिया के प्रभाव पर मुकेश छाबड़ा ने कहाकि ओटीटी और डिजिटल प्लेटफॉर्म के उदय से अभिनय के क्षेत्र में अवसरों में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहाकि डिजिटल ने प्रयोग की संभावना को जन्‍म दिया है। क्षितिज मेहता ने कहाकि ओटीटी प्लेटफार्मों ने कास्टिंग की प्रक्रिया को और अधिक रोमांचक बना दिया है। उन्होंने कहाकि पहले जो अभिनेता फिल्मों में बहुत छोटी भूमिकाएं निभाया करते थे, वे अब ओटीटी प्लेटफॉर्म पर वेब सीरीज और शो में प्रमुख भूमिका निभाते नज़र आते हैं। क्षितिज मेहता ने कहाकि ओटीटी प्लेटफॉर्म पर दबाव कम है, इसकी बदौलत कास्टिंग आसान हो गई है और इसने प्रक्रिया अधिक खुला बना दिया है।
मुकेश छाबड़ा ने अभिनेताओं केलिए वर्कशॉप के महत्व पर कहाकि ये वर्कशॉप फिल्म की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखते हुए आयोजित की जाती हैं और नए अभिनेताओं को उनकी भूमिका केलिए सहज करने एवं उन्हें तैयार करने में बड़ी कारगर होती है, ये वर्कशॉप अभिनेताओं को संवारने में मदद करती हैं। क्षितिज मेहता ने कहाकि अगर कोई प्रक्रिया से गुजरे बिना सफलता हासिल करता है, तो उसे इससे गुजरने की आवश्यकता महसूस नहीं होगी, लेकिन अगर वे इनमें हिस्सा लेते हैं तो उन्हें फर्क जरूर महसूस होगा, लंबी अवधि में इससे फर्क पड़ेगा। क्या सोशल मीडिया पर लोकप्रियता का कास्टिंग प्रक्रिया पर कोई असर पड़ता है, इस सवाल के जवाब में मुकेश छाबड़ा ने कहाकि सोशल मीडिया पर लोकप्रिय होने और एक अभिनेता के रूपमें कास्ट किए केबीच कोई संबंध नहीं है, संबंधित भूमिका केलिए सभी को ऑडिशन देना होता है।
कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने अभिनय करने के इच्छुक लोगों से कहाकि उनको अभिनय करना है तो सीखो और प्रशिक्षण पाओ, प्रक्रिया का पालन करो, अपना 100 प्रतिशत दो। क्षितिज मेहता ने इस विषय में मुकेश छाबड़ा के विचारों का समर्थन किया। भारतीय फिल्म उद्योग में नेपोटिज़्म के मुद्दे पर भी मुकेश छाबड़ा और क्षितिज मेहता ने विचार और राय साझा की। इसी विषय पर प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहाकि राजकुमार राव, आयुष्मान, फातिमा शेख, रसिका दुग्गल, सान्या मल्होत्रा, मृणाल ठाकुर जैसे प्रतिभाशाली लोगों को अवसर मिल रहे हैं और वे फिल्म उद्योग में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं।

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