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प्रधानमंत्री ने देखा रक्षा क्षेत्र में सशक्त भारत

डेफएक्सपो भारत केप्रति वैश्विक भरोसे का प्रतीक-प्रधानमंत्री

रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' ने लिखी सफलता की कहानी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 19 October 2022 04:51:48 PM

pm saw strong india at defense expo

गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि डेफएक्सपो-2022 एक नए भारत की ऐसी भव्य तस्वीर खींच रहा है, जिसका संकल्प हमने अमृतकाल में लिया है, इसमें राष्ट्र का विकास है, राज्यों का सहभाग भी है, इसमें युवा की शक्ति, सपने, संकल्प, साहस, सामर्थ्य है, इसमें विश्व केलिए उम्मीद, मित्र देशों केलिए सहयोग के अनेक अवसर भी हैं। प्रधानमंत्री ने आज गांधीनगर में महात्मा मंदिर सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्रमें डिफेंसएक्सपो-22 का उद्घाटन किया और इंडिया पवेलियन में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के डिजाइन किएगए स्वदेशी ट्रेनर विमान-एचटीटी-40 का अनावरण किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मिशन डेफस्पेस काभी शुभारंभ किया और गुजरात में डीसा एयरफील्ड की आधारशिला रखी। जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री और गुजरात के पुत्र के रूपमें सक्षम और आत्मनिर्भर भारत के एक कार्यक्रम में प्रतिनिधियों का स्वागत किया। डेफएक्सपो के इस संस्करण की विशिष्टता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि यह पहला रक्षा एक्सपो है, जिसमें केवल भारतीय कंपनियां भाग ले रही हैं और इसमें केवल मेड इन इंडिया उपकरण ही शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमि से हम दुनियाके सामने भारतकी क्षमताओं का एक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं, एक्सपो में 1300 से अधिक प्रदर्शक हैं, जिनमें भारत का रक्षा उद्योग, भारतीय रक्षा उद्योग से जुड़े कुछ संयुक्त उद्यम, एमएसएमई और 100 से अधिक स्टार्टअप शामिल हैं। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी कीकि यह एकही फ्रेममें भारत की क्षमता और संभावना की एक झलक प्रदान करता है। उन्होंने बतायाकि पहलीबार 400 से अधिक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त कीकि जब भारत अपने सपनों को आकार दे रहा है तो अफ्रीका के 53 मित्र देश हमारे साथ आ रहे हैं, इस अवसर पर दूसरी भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता भी होगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत और अफ्रीका केबीच संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं, जो समय बीतने केसाथ और गहरे हुए हैं और नए आयामों को छू रहे हैं। अफ्रीका और गुजरात केबीच पुराने संबंधों के बारेमें प्रधानमंत्री ने याद कियाकि अफ्रीका में पहली रेलवे लाइनों में कच्छ के लोगों की भागीदारी थी, अफ्रीका में दैनिक जीवन में उपयोग किए जानेवाले अनेक शब्दों की उत्पत्ति अफ्रीका में गुजराती समुदाय से हुई है। उन्होंने कहाकि महात्मा गांधी जैसे वैश्विक नेता केलिए भी अगर गुजरात उनकी जन्मभूमि थी तो अफ्रीका उनकी पहली कर्मभूमि थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि अफ्रीका केप्रति यह आत्मीयता अभीभी भारत की विदेश नीति के केंद्र में है। उन्होंने कहाकि कोरोनाकाल में जब पूरी दुनिया वैक्सीन को लेकर चिंतित थी, भारत ने अफ्रीका में अपने मित्र देशों को प्राथमिकता देते हुए वैक्सीन दी। उन्होंने कहाकि एक्सपो के दौरान दूसरा हिंद महासागर क्षेत्र+ सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा, जो क्षेत्रमें सभी केलिए सुरक्षा और विकास (सागर) के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण के अनुरूप शांति, विकास, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने केलिए आईओआर+ देशों केबीच रक्षा सहयोग को बढ़ावा देने केलिए एक व्यापक बातचीत का मंच प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर वैश्विक व्यापार तक, समुद्री सुरक्षा वैश्विक प्राथमिकता के रूपमें उभरी है, वैश्वीकरण के युग में मर्चेंट नेवी की भूमिका का भी विस्तार हुआ है। उन्होंने कहाकि दुनियाकी भारत से उम्मीदें बढ़ी हैं और मैं विश्व समुदाय को विश्वास दिलाता हूंकि भारत उन्हें पूरा करेगा, इसलिए यह डिफेंसएक्सपो भारत केप्रति वैश्विक भरोसे का भी प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने विकास और औद्योगिक क्षमताओं के संबंध में गुजरात की पहचान को स्वीकार किया। उन्होंने कहाकि यह डिफेंस एक्सपो इस पहचान को एक नई ऊंचाई दे रहा है। उन्होंने कहाकि आनेवाले दिनोंमें गुजरात रक्षा उद्योग के एक प्रमुख केंद्रके रूपमें उभरेगा।
गुजरात में डीसा एयरफील्ड की आधारशिला रखने केबाद प्रधानमंत्री ने कहाकि अग्रिम वायु सैनिक अड्डा देशकी सुरक्षा बनावट में इजाफा करेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि अब भारत पश्चिमी सीमाओं पर किसी भी दुस्साहस का जवाब देने केलिए बेहतर तरीके से तैयार है और सरकार में आने केबाद हमने डीसा में एक ऑपरेशनल बेस स्थापित करने का फैसला किया था और हमारी सेनाओं की यह उम्मीद आज पूरी हो रही है, अब यह क्षेत्र देशकी सुरक्षा का एक प्रभावी केंद्र बनेगा। उन्होंने कहाकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भविष्य में किसीभी मजबूत राष्ट्र केलिए सुरक्षा का क्या अर्थ होगा, इसका एक उदाहरण है, तीनों सेनाओं ने इस क्षेत्रमें विभिन्न चुनौतियों की समीक्षा और पहचान की है, हमें उन्हें हल करने केलिए तेजीसे काम करना होगा। उन्होंने कहाकि मिशन डिफेंस स्पेस न केवल नवाचार को प्रोत्साहित करेगा और हमारे रक्षाबलों को मजबूत करेगा, बल्कि नए और अभिनव समाधान भी प्रदान करेगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी भारत की उदार अंतरिक्ष कूटनीति की नई परिभाषाओं को आकार दे रही है, नई संभावनाओं को बढ़ा रही है। उन्होंने कहाकि कई अफ्रीकी देश और अन्य छोटे देश इससे लाभांवित हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने बतायाकि 60 से अधिक विकासशील देश हैं, जिनके साथ भारत अपना अंतरिक्ष विज्ञान साझा कर रहा है, दक्षिण एशिया उपग्रह इसका एक प्रभावी उदाहरण है। उन्होंने कहाकि अगले साल तक दस आसियान देशों कोभी भारत के उपग्रह डेटा तक रीयलटाइम पहुंच मिल जाएगी, यहां तककि यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशभी हमारे सैटेलाइट डेटा का इस्तेमाल कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि नया भारत इरादों, नवोन्मेष और क्रियांवयन के मंत्र केसाथ रक्षा क्षेत्रमें आगे बढ़ रहा है, 8 साल पहले तक भारत को दुनिया का सबसे बड़ा रक्षा आयातक माना जाता था, लेकिन नए भारत ने अपने इरादे, इच्छाशक्ति दिखाई और 'मेक इन इंडिया' आज रक्षा क्षेत्रमें सफलता की एक कहानी बन गया है। उन्होंने कहाकि पिछले 5 वर्ष में हमारा रक्षा निर्यात 8 गुना बढ़ा है, हम दुनिया के 75 से अधिक देशोंमें रक्षा सामग्री और उपकरणों का निर्यात कर रहे हैं, 2021-22 में भारत से रक्षा निर्यात 1.59 अरब डॉलर यानी करीब 13 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया और आनेवाले समय में हमने इसे 5 अरब डॉलर यानी 40 हजार करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि दुनिया आज भारत की तकनीक पर निर्भर है, क्योंकि भारत की सेनाओं ने अपनी क्षमता साबित कर दी है, भारतीय नौसेना ने आईएनएस-विक्रांत जैसे अत्याधुनिक विमानवाहक पोतों को अपने बेड़े में शामिल किया है, इंजीनियरिंग जाइंट और विशाल कृति को कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने स्वदेशी तकनीक से बनाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारतीय वायुसेना के 'मेक इन इंडिया' पहल केतहत विकसित प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों को शामिल करना भारत की रक्षा क्षमता का एक स्पष्ट उदाहरण है। भारत के रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने पर प्रधानमंत्री ने कहाकि सेनाओं ने उपकरणों की दो सूचियों कोभी अंतिम रूप दिया है, जिन्हें केवल देशके भीतर ही खरीदा जाएगा, ऐसे ही 101 मदों की सूची आज जारी की जा रही है, ये फैसले आत्मनिर्भर भारत की क्षमता को भी दर्शाते हैं। उन्होंने कहाकि रक्षा क्षेत्र के 411 ऐसे उपकरण और रक्षाक्षेत्र के उपकरण होंगे, जिन्हें सिर्फ मेक इन इंडिया केतहत खरीदा जाएगा। प्रधानमंत्री ने बतायाकि इतना बड़ा बजट भारतीय कंपनियों की नींव को मजबूत करेगा और उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे देश के युवा सबसे ज्यादा लाभांवित होंगे। प्रधानमंत्री ने कहाकि रक्षा आपूर्ति के क्षेत्रमें कुछ कंपनियों के एकाधिकार के स्थान पर कुछ विश्वसनीय विकल्प उत्पन्न हुए हैं। उन्होंने कहाकि भारत के युवाओं ने रक्षा उद्योग में इस एकाधिकार को तोड़ने की ताकत दिखाई है और हमारे युवाओं का यह प्रयास वैश्विक भलाई केलिए है। उन्होंने रेखांकित कियाकि दुनिया के छोटे-छोटे देश, जो संसाधनों के अभाव में अपनी सुरक्षा में पीछे रह गए हैं, उन्हें अब इसका बड़ा लाभ मिलेगा।
प्रधानमंत्री ने रेखांकित कियाकि भारत रक्षा क्षेत्र को अवसरों की असीमित संभावनाओं के रूपमें देखता है। प्रधानमंत्री ने बतायाकि भारत उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा गलियारे बना रहा है तथा दुनिया की कई बड़ी कंपनियां भारत में निवेश करने आ रही हैं। उन्होंने इस क्षेत्रमें एमएसएमई की ताकत पर भी प्रकाश डाला और बतायाकि इस निवेश के पीछे आपूर्ति श्रृंखलाओं का एक बड़ा नेटवर्क बनाने के दौरान इन बड़ी कंपनियों को हमारे एमएसएमई द्वारा समर्थित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहाकि इस क्षेत्र में इतने बड़े पैमाने पर निवेश से उन क्षेत्रों में युवाओं केलिए रोज़गार के बड़े अवसर पैदा होंगे, जिनके बारेमें पहले सोचा भी नहीं गया था। प्रधानमंत्री ने डिफेंस एक्सपो में मौजूद सभी कंपनियों का आह्वान किया कि वे भविष्य के भारत को केंद्र में रखते हुए इन अवसरों को आकार दें, आप नवोन्मेष कीजिए, दुनियामें सर्वश्रेष्ठ बनने का संकल्प लीजिए और एक मजबूत विकसित भारत के सपने को आकार दीजिए, आप हमेशा मुझे वहां आपका समर्थन करते हुए पाएंगे। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेनाध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेनाध्यक्ष एडमिरल आर हरिकुमार और भारत सरकार के रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार भी मौजूद थे।

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