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'भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है'

'भारतीय डेयरी उद्योग का सहकारी मॉडल अद्वितीय है'

प्रधानमंत्री ने किया विश्व डेयरी सम्मेलन का उद्घाटन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 12 September 2022 06:37:40 PM

pm at the inauguration of the international dairy federation world dairy summit

ग्रेटर नोएडा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ग्रेटर नोएडा के इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन-2022 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहाकि डेयरी सेक्टर के विश्वभर के गणमान्य व्यक्ति आज भारत में एकत्रित हुए हैं और विश्व डेयरी शिखर सम्मेलन विचारों के आदान-प्रदान का एक बड़ा माध्यम बनने जा रहा है। उन्होंने कहाकि डेयरी सेक्टर का सामर्थ्य ना सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देता है, बल्कि ये दुनियाभर में करोड़ों लोगों की आजीविका का भी प्रमुख साधन है। प्रधानमंत्री ने भारत के सांस्कृतिक परिदृश्य में 'पशु धन' और दूध से संबंधित व्यवसाय के महत्व केबारे में बताया और कहाकि इसने भारत के डेयरी क्षेत्र को कई अनूठी विशेषताएं दी हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि विश्व के अन्य विकसित देशोंसे अलग भारतमें डेयरी सेक्टर की असली ताकत छोटे किसान हैं। उन्होंने कहाकि भारत के डेयरी सेक्टर की पहचान ‘मास प्रोडक्शन’ से ज्यादा ‘प्रोडक्शन बाय मासेस’ की है, एक-दो या तीन मवेशियों वाले इन छोटे किसानों के प्रयासों से भारत सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। उन्होंने बतायाकि यह क्षेत्र देशमें 8 करोड़ से अधिक परिवारों को रोज़गार प्रदान करता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय डेयरी प्रणाली की दूसरी अनूठी विशेषता केबारे में कहाकि आज भारतमें डेयरी कोऑपरेटिव का एक ऐसा विशाल नेटवर्क है, जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में मिलना मुश्किल है। उन्होंने कहाकि ये डेयरी कॉपरेटिव्स देशके दो लाख से ज्यादा गांव में, करीब-करीब दो करोड़ किसानों से दिन में दो बार दूध जमा करती हैं और उसे ग्राहकों तक पहुंचाती हैं। प्रधानमंत्री ने सभी का ध्यान इस बात की ओर दिलायाकि इस पूरी प्रकिया में बीचमें कोई मिडिल मैन नहीं होता और ग्राहकों से जो पैसा मिलता है, उसका 70 प्रतिशत से ज्यादा किसानों की जेब मेही जाता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि विश्व में इतना ज्यादा अनुपात किसी और देशमें नहीं है। उन्होंने डेयरी क्षेत्रमें भुगतान की डिजिटल प्रणाली की दक्षता के बारेमें भी बताया और कहाकि इससे अन्य देशों को सीखना चाहिए। एक और अनूठी विशेषता प्रधानमंत्री के अनुसार स्वदेशी नस्लें हैं, जो कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर सकती हैं। उन्होंने गुजरात के कच्छ क्षेत्र की बन्नी भैंस की उन्नत नस्ल का उदाहरण दिया। उन्होंने अन्य भैंस की नस्लों जैसे मुर्राह, मेहसाणा, जाफराबादी, नीली रवि और पंढरपुरी के बारेमें भी बताया। प्रधानमंत्री ने गाय की नस्लों में गिर, साहिवाल, राठी, कांकरेज, थारपारकर और हरियाणा के बारे में चर्चा की।
डेयरी सेक्टर की एक और विशेषता के रूपमें डेयरी क्षेत्रमें महिलाशक्ति पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के डेयरी सेक्टर में विमेन पावर 70 प्रतिशत वर्कफोर्स का प्रतिनिधित्व करती है। उन्होंने कहाकि भारत के डेयरी सेक्टर की असली कर्णधार महिलाएं हैं, इतना ही नहीं भारत के डेयरी कॉपरेटिव्स मेभी एक तिहाई से ज्यादा सदस्य महिलाएं ही हैं। उन्होंने कहाकि डेयरी क्षेत्रमें साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का उत्पादन होता है, जो गेहूं और चावल के कुल उत्पादन की तुलना में अधिक है, यह सब भारत की नारी शक्ति द्वारा संचालित है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 2014 केबाद से हमारी सरकार ने भारत के डेयरी सेक्टर के सामर्थ्य को बढ़ाने केलिए निरंतर कार्य किया है, आज इसका परिणाम दूध उत्पादन से लेकर किसानों की बढ़ी आय में नज़र आ रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि 2014 में भारतमें 146 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता था, अब ये बढ़कर 210 मिलियन टन तक पहुंच गया है, यानी करीब-करीब 44 प्रतिशत की वृद्धि। उन्होंने कहाकि विश्वमें दूध का उत्पादन 2 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है, जबकि भारत में यह 6 प्रतिशत से अधिक की वार्षिक दर से बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि सरकार एक संतुलित डेयरी इको-सिस्टम विकसित करने पर काम कर रही है, जहां उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने केसाथ क्षेत्रों की चुनौतियों का समाधान किया जा रहा है, किसानों के लिए अतिरिक्त आय, गरीबों का सशक्तिकरण, स्वच्छता, रसायन से मुक्त खेती, स्वच्छ ऊर्जा और मवेशियों की देखभाल इस इको-सिस्टम में परस्पर जुड़ी हुई है। उन्होंने कहाकि गांवों में हरित और सतत विकास के एक शक्तिशाली माध्यम के रूपमें पशुपालन और डेयरी को बढ़ावा दिया जा रहा है, राष्ट्रीय गोकुल मिशन, गोवर्धन योजना, डेयरी क्षेत्र का डिजिटलीकरण और मवेशियों के सार्वभौमिक टीकाकरण केसाथ-साथ सिंगल-यूज वाली प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने जैसी योजनाएं इस दिशा में कारगर प्रयास हैं। आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत डेयरी पशुओं का सबसे बड़ा डेटाबेस तैयार कर रहा है, डेयरी सेक्टर से जुड़े हर पशु की टैगिंग हो रही है। उन्होंने कहाकि आधुनिक टेक्नोलॉजी की मदद से हम पशुओं की बायोमीट्रिक पहचान कर रहे हैं, हमने इसे पशु आधार नाम दिया है। उन्होंने एफपीए और महिला स्वयं सहायता समूहों एवं स्टार्टअप जैसे बढ़ते उद्यमशील ढांचे पर भी जोर दिया। उन्होंने कहाकि इस क्षेत्र ने हाल के दिनों में 1000 से अधिक स्टार्टअप देखे हैं।
नरेंद्र मोदी ने गोवर्धन योजना में प्रगति की बात की और कहाकि उद्देश्य ऐसी स्थिति तक पहुंचना है, जहां डेयरी संयंत्र गोबर से अपनी जरूरत केलिए अधिकांश बिजली का उत्पादन करें, इस प्रकार बनी ऑर्गेनिक खाद से किसानों को भी मदद मिलेगी। खेती का उदाहरण देते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि खेती में मोनोकल्चर ही समाधान नहीं है, बल्कि विविधता बहुत आवश्यकता है, ये पशुपालन पर भी लागू होता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसलिए आज भारतमें देसी नस्लों और हाइब्रिड नस्लों दोनों पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहाकि यह जलवायु परिवर्तन से होनेवाले नुकसान के जोखिम को भी कम करेगा। प्रधानमंत्री ने एक बड़ी समस्या की चर्चा की, जो किसानों की आय को प्रभावित कर रही है, जोकि पशुओं की बीमारी है। उन्होंने कहाकि जब पशु बीमार होता है तो यह किसान के जीवन को प्रभावित करता है, उसकी आय को प्रभावित करता है, यह पशु की क्षमता, उसके दूध की गुणवत्ता और अन्य संबंधित उत्पादों को भी प्रभावित करता है। प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत में हम पशुओं के यूनिवर्सल वैक्सीनेशन पर जोर दे रहे हैं, हमने संकल्प लिया हैकि 2025 तक शत-प्रतिशत पशुओं को फुट एंड माउथ डिजीज और ब्रुसलॉसिस की वैक्सीन लगाएंगे, हम इस दशक के अंततक इन बीमारियों से पूरी तरह से मुक्ति का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहाकि भारत के अनेक राज्यों में लम्पी नाम की बीमारी से पशुधन की क्षति हुई है। उन्होंने आश्वासन दियाकि विभिन्न राज्य सरकारों केसाथ मिलकर केंद्र सरकार इसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमारे वैज्ञानिकों ने लम्पी स्किन डिजीज की स्वदेशी वैक्सीन भी तैयार कर ली है। उन्होंने बतायाकि प्रकोप को नियंत्रण में रखने केलिए पशुओं की आवाजाही पर नज़र रखने के प्रयास किए जा रहे हैं, पशुओं का टीकाकरण हो या कोई अन्य आधुनिक तकनीक, भारत हमेशा अपने सहयोगी देशों से सीखने का प्रयास करते हुए डेयरी के क्षेत्र में योगदान देने केलिए उत्सुक है। उन्होंने कहाकि भारत ने अपने खाद्य सुरक्षा मानकों पर तेजीसे काम किया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि यह शिखर सम्मेलन ऐसी कई तकनीकों को लेकर दुनियाभर में हो रहे कार्यों को प्रस्तुत करेगा। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र से संबंधित विशेषज्ञता को साझा करने के तरीके सुझाने का भी आग्रह किया। उन्होंने वैश्विक स्तरपर डेयरी उद्योग की अग्रणी हस्तियों को भारतमें डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाने के अभियान में शामिल होने केलिए आमंत्रित किया और अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ के उत्कृष्ट कार्य और योगदान केलिए सराहना भी की। गौरतलब हैकि भारतीय डेयरी उद्योग अनूठा है, क्योंकि यह एक सहकारी मॉडल पर आधारित है, जो छोटे और सीमांत डेयरी किसानों विशेषकर महिलाओं को सशक्त बनाता है।
प्रधानमंत्री के विजन से प्रेरित होकर सरकार ने डेयरी क्षेत्र की बेहतरी केलिए कई कदम उठाए हैं, जिसके परिणामस्वरूप आठ वर्ष में दूध उत्पादन में 44 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है। भारतीय डेयरी उद्योग की सफलता की कहानी, जो वैश्विक दूध का लगभग 23 प्रतिशत हिस्सा है, सालाना लगभग 210 मिलियन टन का उत्पादन करती है और 8 करोड़ से अधिक डेयरी किसानों को सशक्त बनाती है को आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 में प्रदर्शित किया जाएगा। शिखर सम्मेलन से भारतीय डेयरी कोभी मदद मिलेगी। किसानों को वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के बारेमें जानकारी प्राप्त करने मेभी मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला, राज्यमंत्री डॉ एल मुरुगन, केंद्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री संजीव कुमार बालियान, सांसद सुरेंद्र सिंह नागर और डॉ महेश शर्मा, अंतर्राष्ट्रीय डेयरी फेडरेशन के अध्यक्ष पी ब्रेजाले और अंतर्राष्ट्रीय डेयरी महासंघ की महानिदेशक कैरोलिन एमोंड भी सम्मेलन में उपस्थित थे। प्रौद्योगिकी के माध्यम से 75 लाख किसान भी आयोजन से जुड़े। चार दिवसीय आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 'डेयरी फॉर न्यूट्रिशन एंड लाइवलीहुड' विषय पर केंद्रित उद्योग जगत के दिग्गजों, विशेषज्ञों, किसानों और नीति योजनाकारों सहित वैश्विक एवं भारतीय डेयरी हितधारकों का एक समूह है। आईडीएफ डब्ल्यूडीएस 2022 में 50 देशों के लगभग 1500 प्रतिभागियों के भाग लेने की उम्मीद है। इस तरह का पिछला शिखर सम्मेलन भारत में लगभग आधी सदी पहले 1974 में हुआ था।

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