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न्यायाधीशों पर निशाना दुर्भाग्यपूर्ण-उपराष्ट्रपति

जगदीप धनखड़ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन में सम्मानित किए गए

'निष्पक्ष एवं स्वतंत्र न्याय व्यवस्था लोकतंत्र की सबसे सुरक्षित गारंटी'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 23 August 2022 02:00:48 PM

jagdeep dhankhar honored in supreme court bar association

नई दिल्ली। भारत के नए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा हैकि कानून तभी हमारी रक्षा करता है, जब हम उसकी पवित्रता को बरकरार रखते हैं, यह लोकतंत्र और कानून के राज का 'अमृत वचन' है। उन्होंने इसकी पुष्टि केलिए शास्त्रों में प्रमुख रूपसे उल्लेखित सूक्ति 'धर्मो रक्षति रक्षितः' का उल्लेख किया। प्रख्यात अधिवक्ता रहे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ केलिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने सम्मान कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें जगदीप धनखड़ पेशेवर संस्मरण और सार्वजनिक जीवन में अनुभूतियों एवं जिम्मेदारियों के भाव प्रकट कर रहे थे। उन्होंने कहाकि मौजूदा दौर में व्यापक और प्रचलित धारणा बन गई हैकि कानून का यह महत्वपूर्ण सिद्धांत दबाव में है, जबकि देशमें सभी लोगों को यह महसूस करने की जरूरत हैकि थॉमस फुलर ने तीन शताब्दी पहले किस ओर इशारा किया था और कई मौकों पर न्यायालय ने भी जोर दिया थाकि 'चाहे आप कितने भी ऊंचे हो जाओ, कानून हमेशा आपसे ऊपर है', इसलिए अधिकारियों और उच्च पदों पर बैठे लोगों को व्यापक जनहित में इसका संज्ञान लेने और लोकतांत्रिक परिवेश को बेहतर करने की आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि ढांचागत तौर पर मजबूत, निष्पक्ष एवं स्वतंत्र न्याय व्यवस्था ही लोकतांत्रिक मूल्यों के फलने-फूलने और उसमें निखार लाने की सबसे सुरक्षित गारंटी है। उन्होंने कहाकि न्यायाधीशों की गरिमा एवं न्यायपालिका का सम्मान अपरिहार्य है, क्योंकि ये कानून के शासन और संवैधानिकता की बुनियाद हैं। उन्होंने कहाकि हालमें सार्वजनिक तौरपर न्यायाधीशों पर व्यक्तिगत निशाना साधने की प्रवृत्ति का उदय दुर्भाग्यपूर्ण है और इसकी रोकथाम की आवश्यकता है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहाकि बार और बेंच के एक सैनिक के तौरपर मैं संवैधानिक संस्थाओं में सद्भाव और कामकाज में एकजुटता की भावना लाने का प्रयास करूंगा। उन्होंने कहाकि भारत में संवैधानिक अध्यादेश की मूल भावना को देखते हुए सभी संस्थानों को अपने प्रतिनिधियों के जरिये लोगों की आकांक्षाओं को प्रमुखता से समझने और महसूस करने की आवश्यकता है और मैं आगे भी बार और बेंच के साथ बेहतर लगाव की उम्मीद करता हूं।
जगदीप धनखड़ ने कहाकि हमें अमेरिका के सुप्रीमकोर्ट के जस्टिस जोसेफ स्टोरी की बातें याद रखने की जरूरत है, जिन्होंने 1829 में कहा थाकि 'कानून एक ईर्ष्यालु मालकिन है और उसे लंबे एवं निरंतर प्रेम भाव की आवश्यकता होती है, इसे महज एहसानों से नहीं, बल्कि उदार निष्ठा से जीतना है।' जगदीप धनखड़ ने कहाकि मैं पूरी गंभीरता से इस ईर्ष्यालु मालकिन को शांत करने में लगा हुआ था, दूसरे शब्दों में-30 जुलाई 2019 को राज्यपाल पद की शपथ लेने केबाद मुझे उस 'ईर्ष्यालु मालकिन' की अनुपस्थिति महसूस हुई। जगदीप धनखड़ ने कहाकि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के तीन साल के कार्यकाल के दौरान मुझे वाकपटुता, हास्य, अदालत में कभी कभार होने वाली नोक-झोंक और दोस्तों के कटाक्ष की याद आई, मैं बेंच और बार से समझ और ज्ञान हासिल करने केलिए प्राप्त असाधारण अवसर केलिए हमेशा ऋणी रहूंगा, जिसका मैंने इन वर्षों के दौरान लाभ उठाया, लेकिन तीन वर्ष से महरूम रहा।
जगदीप धनखड़ ने सम्मानित करने केलिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहाकि उन्हें पहलीबार अदालत में अपनी उपस्थिति के दौरान हुई घबराहट की कईबार याद आती है। उन्होंने उन न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनके शुरुआती दिनों में उन्हें पेशेवर प्रैक्टिस में प्रोत्साहित किया था। जगदीप धनखड़ ने कहाकि वे वक्ताओं के उद्गारों में परिलक्षित गर्मजोशी और सम्मान से विनम्र अभिभूत हैं, इससे अधिक सम्मान और क्या हो सकता है। उन्होंने कहाकि लोगों की जीवन यात्रा में इस तरह के क्षण दुर्लभ होते हैं, इससे अधिक संतोषजनक, स्फूर्तिदायक और प्रेरक कुछ नहीं हो सकता। जगदीप धनखड़ ने कहाकि वरिष्ठ अधिवक्ता के रूपमें इसी अदालत के परिसर में बिताए गए तीन दशक से अधिक का समय काफी आनंददायक था और आज मैं जो कुछ भी हूं, वह इसी के बदौलत हूं। उन्होंने कहाकि यहां हमें न्यायाधीशों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं, अधिवक्ताओं, अदालत और साथी कर्मचारियों सहित तमाम लोगों से सीखने का अवसर मिला।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि वे राजस्थान उच्च न्यायालय में प्रैक्टिस के दौरान बार के सदस्यों की सिखाई गई प्रभावशाली नैतिकता एवं पेशेवर कुशलता को कृतज्ञता से याद करना चाहेंगे, पूर्व मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा, सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जीएस सिंघवी, न्यायमूर्ति टिबरेवाल और न्यायमूर्ति विनोद शंकर दवे ने उनके पेशेवर व्यक्तित्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनके वे सदैव ऋणी रहेंगे। उन्होंने कहाकि यहां तककि उस समय बार के युवा सदस्यों ने भी स्वस्थ अदालती परिवेश और पेशेवर शिष्टाचार का उदाहरण पेश किया है। इनमें से दो न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी सम्मान कार्यक्रम में मौजूद थे। सम्मान समारोह में केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू, भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारी एवं सदस्य शामिल हुए।

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