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विश्व में बाघ संरक्षण में भारत अग्रणी-भूपेंद्र

चंद्रपुर फॉरेस्ट अकादमी में वैश्विक बाघ दिवस समारोह मनाया

पर्यावरण और वन मंत्रियों का ताडोबा अंधारी टाइगर का दौरा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 29 July 2022 06:59:38 PM

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पुणे। केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव और राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे आज महाराष्ट्र के चंद्रपुर फॉरेस्ट अकादमी में वैश्विक बाघ दिवस 2022 समारोह में शामिल हुए। दोनों मंत्रियों ने अन्य प्रतिनिधियों केसाथ ताडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व का दौरा किया और वहां के परिदृश्य, फूल-पौधों, जीव-जंतुओं की विविधता की सराहना की। उन्होंने वन स्टाफ और बाघ अभयारण्य प्रबंधन के लोगों से बातचीत की ताकि मैदानी स्तरपर बाघ संरक्षण के विषयों का जायजा लिया जा सके। ताडोबा अंधारी टाइगर रिज़र्व में बाघों की संख्या अधिक है, जो स्थानीय आबादी के साथ-साथ रहते हैं। भूपेंद्र यादव ने एम-स्ट्राइप्स नामक मोबाइल एप्लीकेशन की मदद से गश्त लगाने और कानूनी गतिविधियां चलाने केलिए वहां के स्टाफ की समर्पण भावना की प्रशंसा की। उन्होंने अनोखे समुदाय-आधारित इको-पर्यटन आदर्श की भी सराहना की, जिससे स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलता है और अभयारण्य के लिए लोगों का समर्थन प्राप्त होता है।
चंद्रपुर फॉरेस्ट अकादमी में वैश्विक बाघ दिवस समारोह में मंत्रियों को स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स ने सलामी गारद पेश की। यह विशेष बल महाराष्ट्र के बाघ अभयारण्यों और केरल वन विभाग के लोगों को मिलाकर बना है, जो निश्चित प्रकार के अपराधों को रोकने केलिए तैयार किया गया है। भूपेंद्र यादव ने बाघ अभयारण्यों वाले सभी देशों को बधाई दी। उन्होंने कहाकि विश्व में बाघों की कुल संख्या का 70 प्रतिशत से अधिक हिस्से का संरक्षण और बचाव करने में भारत ने मानक स्थापित किया है। उन्होंने कहाकि 1973 में जहां बाघों के अभयारण्यों की शुरुआती संख्या नौ थी, उसे बढ़ाकर अब 52 कर दिया गया है, इसमें सबसे नया अभयारण्य राजस्थान का रामगढ़ विषधारी अभयारण्य है, इससे भारत सरकार के संकल्प का पता चलता है। भूपेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार उन लोगों के कल्याण के प्रति संकल्पित है, जो बाघों के क्षेत्रों के आसपास रहते हैं, उनके लिए आजीविका के विभिन्न अवसर बनाए जा रहे हैं।
भूपेंद्र यादव ने महाराष्ट्र की सराहना करते हुए कहाकि राज्य ने एक अनोखी श्यामा प्रसाद मुखर्जी जन वन विकास योजना शुरू की है, जो बाघों के अभयारण्यों के आसपास रहने वाले लोगों के कल्याण की योजना है, जिसका अनुसरण अन्य राज्यों को भी करना चाहिए। उन्होंने बतायाकि किसीभी चूक से बचने केलिए चार वर्ष में एकबार निष्पक्ष, स्वतंत्र, प्रबंधन आधारित कारगर मूल्यांकन किया जाता है, जिसमें वन्यजीव संरक्षण के बाहरी विशेषज्ञों का सहयोग लिया जाता है, इसके अलावा चार वर्ष में एकबार अखिल भारतीय बाघ आकलन भी किया जाता है, इसबार वह पांचवीं बार किया जा रहा है। उन्होंने हर्ष व्यक्त करते हुए कहाकि यह अनोखी गतिविधि 2018 में हुई थी, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है। उन्होंने बतायाकि भारत चीते को वापस लाने और उसके संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दे रहा है, चीता 1952 में भारत से विलुप्त हो चुका है, अब इस कार्य को चीता कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है, जो कार्यांवयन के उन्नत चरण में पहुंच चुका है।
पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहाकि नामीबिया केसाथ एक द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर हो चुके हैं और दक्षिण अफ्रीका के साथ जल्दही एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। उन्होंने बाघ संरक्षण केलिए प्रतिबद्ध क्षेत्रीय स्टाफ की प्रशंसा की, जिसकी वजह से भारत विश्व में पहले स्थान पर आ गया है। अश्विनी कुमार चौबे ने कहाकि बाघ शक्ति का प्रतीक है और वह जैव-विविधता संरक्षण, वन, जल तथा जलवायु सुरक्षा में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहाकि यह गौरव की बात हैकि भारत बाघ संरक्षण में विश्व में अग्रणी है तथा वह कम्बोडिया, चीन, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, म्यांमार और रूस जैसे देशों के साथ बाघ संरक्षण कार्य में सहयोग कर रहा है। अश्विनी कुमार चौबे ने कहाकि हमें मनुष्य, पशु और प्रकृति केबीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के भविष्य की परिकल्पना करनी चाहिए।
चंद्रपुर फॉरेस्ट अकादमी में अग्रिम पंक्ति के स्टाफ को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके तहत दो वन-कर्मियों, दो फॉरेस्ट गार्डों और दो वॉचरों/ सुरक्षा सहायकों/ टाइगर ट्रैकरों को एक-एक लाख रुपये दिए गए। ये पुरस्कार लोगों को बाघ संरक्षण में शानदार काम करने पर दिए गए। पुरस्कार कार्यक्रम भी समारोह का हिस्सा था। कार्यक्रम में स्थानीय जनप्रतिनिधि, देश के बाघ अभयारण्यों के क्षेत्र निदेशक, महाराष्ट्र सरकार के वरिष्ठ वन अधिकारी तथा महाराष्ट्र और केरल की स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का दल भी उपस्थित था। वैश्विक बाघ दिवस मनाने की घोषणा सेंट पीटर्सबर्ग में 29 जुलाई 2010 को की गई थी, ताकि बाघ अभयारण्यों वाले सभी देशों को साथ लाया जाए तथा विश्वस्तर पर बाघों के संरक्षण तथा उनका प्रबंधन किए जाए, इसके बाद से वैश्विक बाघ दिवस के रूपमें इसे प्रतीकात्मक तौपपर मनाया जाता है।

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