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'एमएसएमई देश के विकास का बहुत बड़ा आधार'

भारत के एमएसएमई सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी-प्रधानमंत्री

उद्यमी भारत कार्यक्रम में एमएसएमई की प्रमुख पहलों की शुरूआत

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 1 July 2022 12:22:15 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्यमी भारत कार्यक्रम में 'एमएसएमई प्रदर्शन में सुधार तथा तेजी' यानी रैंप योजना, 'पहलीबार के एमएसएमई निर्यातकों का क्षमता निर्माण' यानी सीबीएफटीई योजना और 'प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम' की नई सुविधाओं जैसी प्रमुख पहलों की शुरूआत की है। उन्होंने 2022-23 केलिए पीएमईजीपी के लाभार्थियों को डिजिटल रूपसे सहायता हस्तांतरित की, एमएसएमई आइडिया हैकथॉन-2022 के परिणाम घोषित किए, राष्ट्रीय एमएसएमई पुरस्कार-2022 वितरित किए और आत्मनिर्भर भारत फंड में 75 एमएसएमई को डिजिटल इक्विटी सर्टिफिकेट भी जारी किए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहाकि एमएसएमई के उद्यम से ही आत्मनिर्भर भारत अभियान को सिद्धि मिलेगी, भारत सशक्त होगा। उन्होंने कहाकि 21वीं सदी में भारत जो भी ऊंचाइयां हासिल करेगा, वह एमएसएमई क्षेत्र की सफलता पर निर्भर करेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि भारत का एक्सपोर्ट लगातार बढ़े, भारत के प्रॉडक्ट्स नए बाजारों में पहुंचें, इसके लिए देश के एमएसएमई सेक्टर का सशक्त होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहाकि हमारी सरकार आपके इसी सामर्थ्य इस सेक्टर की असीम संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए निर्णय ले रही है, नई नीतियां बना रही है। उन्होंने कहाकि जब हम एमएसएमई कहते हैं तो तकनीकी भाषा में इसका विस्तार होता है-माइक्रो स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज, लेकिन ये सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भारत की विकास यात्रा का बहुत बड़ा आधार हैं। उन्होंने कहाकि भारत की अर्थव्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी एमएसएमई सेक्टर की है, एमएसएमई क्षेत्र को सशक्त करने का मतलब है-पूरे समाज को सशक्त करना, सबको विकास के लाभ का भागीदार बनाना, सबको आगे बढ़ाना, इसलिए एमएसएमई सेक्टर सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। प्रधानमंत्री ने कहाकि एमएसएमई सेक्टर को मजबूती देने केलिए पिछले आठ साल में बजट में 650 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी की गई है। उन्होंने कहाकि हमारे लिए एमएसएमई का मतलब है-सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अधिकतम समर्थन।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि एमएसएमई रोज़गार सृजन केलिए महत्वपूर्ण है, कोविड महामारी के दौरान हमने अपने छोटे उद्यमों को बचाने केसाथ ही उन्हें नई ताकत देने केलिए कई अहम फैसले लिए हैं और ले रहे हैं। उन्होंने कहाकि केंद्र सरकार ने इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम केतहत साढ़े 3 लाख करोड़ रुपए की मदद एमएसएमई उद्यमों केलिए सुनिश्चित की है, एक रिपोर्ट के मुताबिक इससे करीब 1.5 करोड़ रोजगार खत्म होने से बच गए। उन्होंने कहाकि आजादी के इस अमृतकाल में हमारे एमएसएमई भारत की आत्मनिर्भरता के विराट लक्ष्य की प्राप्ति का भी एक बहुत बड़ा माध्यम हैं। नरेंद्र मोदी ने उस समय को याद किया जब पहले की सरकारों ने इस क्षेत्र के महत्व को नहीं पहचाना और छोटे उद्यमों को छोटा रखने वाली नीतियों को अपनाकर इस क्षेत्र को जकड़ लिया था, इससे निपटने केलिए एमएसएमई की परिभाषा में बदलाव किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अगर कोई उद्योग आगे बढ़ना चाहता है, विस्तार करना चाहता है तो सरकार न केवल उसे सहयोग दे रही है, बल्कि नीतियों में जरूरी बदलाव भी कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहाकि जीईएम में एमएसएमई को सरकार को सामान और सेवाएं प्रदान करने केलिए एक बहुत ही मजबूत मंच मिला है। उन्होंने प्रत्येक एमएसएमई को जीईएम पोर्टल पर पंजीकृत होने केलिए कहा, इसी तरह 200 करोड़ से कम की परियोजनाओं केलिए वैश्विक निविदाओं पर रोक लगाने से भी एमएसएमई को मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहाकि सरकार निर्यात बढ़ाने में एमएसएमई की मदद केलिए कदम उठा रही है, विदेश स्थित भारतीय मिशन को इसपर काम करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री ने कहाकि मिशनों का मूल्यांकन तीन मापदंडों यानी व्यापार, प्रौद्योगिकी और पर्यटन पर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहाकि प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम को 2014 के बाद नया रूप दिया गया था, क्योंकि यह 2008-2012 के बीच की अवधि में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम नहीं था, 2014 से अबतक इस कार्यक्रम के तहत 40 लाख से अधिक रोज़गार का सृजन किया गया है। इस अवधि के दौरान इन उद्यमों को 14 हजार करोड़ रुपये की मार्जिन मनी सब्सिडी प्रदान की गई। उन्होंने बतायाकि इस योजना में आनेवाले उत्पादों की लागत सीमा भी बढ़ा दी गई है।
समावेशी विकास की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि ट्रांसजेंडर उद्यमियों को उनके लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान की जा रही है। प्रधानमंत्री ने कहाकि पहलीबार खादी और ग्रामोद्योग का टर्नओवर 1 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंचा है, ये इसलिए संभव हुआ है, क्योंकि गांवों में हमारे छोटे-छोटे उद्यमियों, हमारी बहनों ने बहुत परिश्रम किया है, इन 8 वर्ष में खादी की बिक्री 4 गुणा बढ़ी है। प्रधानमंत्री ने कहाकि बिना गारंटी के ऋण प्राप्त करने में कठिनाई समाज के कमजोर वर्गों केलिए उद्यमशीलता के मार्ग पर चलने में एक बड़ी बाधा है। उन्होंने कहाकि वर्ष 2014 केबाद सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के माध्यम से उद्यमशीलता के दायरे को बढ़ाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहाकि उद्यमशीलता को हर भारतीय केलिए सहज बनाने में मुद्रा योजना की बहुत बड़ी भूमिका है, बिना गांरटी के बैंक लोन की इस योजना ने महिला उद्यमियों, दलित, पिछड़े, आदिवासी उद्यमियों का एक बहुत बड़ा वर्ग देश में तैयार किया है, योजना के तहत अब तक करीब 19 लाख करोड़ रुपये कर्ज के रूप में दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहाकि कर्जदारों में करीब 7 करोड़ ऐसे उद्यमी हैं, जिन्होंने पहलीबार उद्यम शुरू किया है, जो नए उद्यमी बने हैं।
नरेंद्र मोदी ने कहाकि उद्यम पोर्टल पर पंजीकृत लोगों में से 18 प्रतिशत से अधिक महिला उद्यमी हैं, उद्यमशीलता और आर्थिक समावेशन में यह समावेश सही मायने में सामाजिक न्याय है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज इस कार्यक्रम के माध्यम से मैं एमएसएमई क्षेत्र से जुड़े अपने सभी भाइयों और बहनों को आश्वस्त करता हूंकि सरकार ऐसी नीतियां बनाने केलिए प्रतिबद्ध है, जो आपकी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं और आपके लिए सकारात्मक हो। उन्होंने कहाकि एक उद्यमी भारत की हर उपलब्धि हमें आत्मनिर्भर भारत की ओर ले जाएगी। उन्होंने कहाकि उद्यमी भारत एमएसएमई के सशक्तिकरण केलिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, सरकार ने समय-समय पर एमएसएमई क्षेत्र को आवश्यक और समय पर सहायता प्रदान करने केलिए मुद्रा योजना, आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना, पारंपरिक उद्योगों के उत्थान केलिए कोष योजना आदि कई पहलों की शुरुआत की है, जिससे देशभर में करोड़ों लोगों को लाभ हुआ है। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नारायण राणे और भानुप्रताप सिंह वर्मा, देशभर के एमएसएमई हितधारक और विभिन्न देशों के राजनयिक उपस्थित थे।
गौरतलब हैकि लगभग 6000 करोड़ रुपये के परिव्यय केसाथ रैंप योजना का उद्देश्य मौजूदा एमएसएमई योजनाओं के प्रभाव में वृद्धि केसाथ राज्यों में एमएसएमई की कार्यांवयन क्षमता और कवरेज को बढ़ाना है। यह नवाचार को बढ़ावा देने, विचार को प्रोत्साहित करने, गुणवत्तापूर्ण मानकों को विकसित करके नए व्यवसाय और उद्यमिता को बढ़ावा देने, प्रथाओं और प्रक्रियाओं में सुधार करने, बाजार पहुंच बढ़ाने तथा तकनीकी उपकरण और उद्योग 4.0 के जरिए आत्मनिर्भर भारत अभियान को पूरक समर्थन प्रदान करेगा एवं एमएसएमई उद्यामों को प्रतिस्पर्धी और आत्मनिर्भर बनाएगा। सीबीएफटीई योजना का उद्देश्य एमएसएमई को वैश्विक बाजार केलिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करने केलिए प्रोत्साहित करना है, इससे वैश्विक मूल्य श्रृंखला में भारतीय एमएसएमई की भागीदारी बढ़ेगी और उन्हें अपनी निर्यात क्षमता का लाभ प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
पीएमईजीपी की नई विशेषताओं में विनिर्माण क्षेत्र केलिए अधिकतम परियोजना लागत को बढ़ाकर 50 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र में 20 लाख रुपये करने तथा अधिक सब्सिडी का लाभ उठाने केलिए आकांक्षी जिलों और ट्रांसजेंडर समुदाय के आवेदकों को विशेष श्रेणी के आवेदकों में शामिल करना शामिल हैं। इसके साथही आवेदकों या उद्यमियों को बैंकिंग, तकनीकी और विपणन विशेषज्ञों केसाथ परामर्श के माध्यम से भी सहायता प्रदान की जा रही है। एमएसएमई आइडिया हैकथॉन-2022 का उद्देश्य व्यक्तियों की रचनात्मकता को बढ़ावा देना और समर्थन करना, एमएसएमई केबीच नवीनतम तकनीकों को अपनाना तथा नवाचार को बढ़ावा देना है। चयनित अवधारणा युक्त विचारों को 15 लाख रुपये प्रति स्वीकृत अवधारणा तककी वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। राष्ट्रीय एमएसएमई पुरस्कार-2022 भारत के मजबूत एमएसएमई क्षेत्र के विकास में उत्कृष्ट प्रदर्शन केलिए एमएसएमई, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों, आकांक्षी जिलों और बैंकों के योगदान की मान्यता है।

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