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एकनाथ शिंदे हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री!

उद्धव आदित्य राउत सोनिया पवार के सिंडिकेट से महाराष्ट्र आज़ाद

शिव सेना के नेता एकनाथ शिंदे बने नई गठबंधन सरकार के कारक

Thursday 30 June 2022 06:39:05 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

eknath shinde appointed as chief minister of maharashtra

मुंबई। महाराष्ट्र की राजनीति में भारतीय जनता पार्टी ने आज कर दिखाया है बड़ा राजनैतिक और ऐतिहासिक चमत्कार! भाजपा ने शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर सिद्ध किया हैकि उसकी राजनीति में कोई भेदभाव नहीं है, बल्कि उसके उद्देश्य के पीछे पहले राष्ट्र है, सामाजिक न्याय, विकास और वंचितों का कल्याण है। महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम में केवल चालीस शिवसेना विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाना भाजपा का एक मास्टर स्ट्रोक है। एकनाथ शिंदे ने भाजपा के सहयोग से उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत, सोनिया गांधी, शरद पवार के महा सिंडिकेट से महाराष्ट्र आज़ाद कराया है यह बात बिल्कुल साफ है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे नई गठबंधन सरकार के कारक बने हैं और महाराष्ट्र में हिंदुत्व का फिरसे परचम लहरा गया है। मीडिया कह रहा थाकि नई भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में भाजपा नेता देवेंद्र फड़नवीस मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री होंगे। ऐसा हो सकता था, लेकिन भाजपा ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद का अवसर दिया, जिसमें महाराष्ट्र का ढाई साल का राजनीतिक सिंडिकेट एक ही झटके में ज़मीदोज़ हो गया।
भारतीय जनता पार्टी नेतृत्व की एक शिवसैनिक एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने की हर तरफ प्रशंसा हो रही है, जबकि शिवसेना के 'महाप्रभु' उद्धव ठाकरे के मातोश्री में मातम छाया हुआ है। महाराष्ट्र के तथाकथित चाणक्य शरद पवार के सारे दांव महाअघाड़ी सरकार को बचाने में विफल गए। उद्धव ठाकरे सोच रहे थेकि कुछ नहीं होगा, सारे बागी विधायक उनके चरणों में आ जाएंगे। उद्धव ठाकरे के सत्यानाशी सलाहकार संजय राउत ने बागी विधायकों और उनके परिवारों को बहुत जानलेवा धमकियां दीं और दिलवाईं। ये लोग जिस तरह से महाराष्ट्र में आग लगवा रहे थे, वह शिवसेना के 'महाप्रभु' उद्धव ठाकरे को बहुत महंगा साबित हुआ है। नहीं लगता कि कोई शिवसैनिक उद्धव ठाकरे के बारेमें पहले जैसी भावना रखेगा, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में बैठकर शिवसैनिक नेताओं, कार्यकर्ताओं एवं हिंदुत्व का जनाजा निकाला है। आज शाम जब देवेंद्र फड़नवीस और एकनाथ शिंदे की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की सूचना आई तो सभी सोच रहे थेकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस तय हैं, मगर देवेंद्र फड़नवीस ने प्रेस कॉंफ्रेंस में यह बताकर सबको चौंका दियाकि इस नए शिवसेना-भाजपा गठबंधन में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री होंगे। उन्होंने उन कारणों की चर्चा की, जिनसे एकनाथ शिंदे को उद्धव ठाकरे से अलग होना पड़ा और वह कारण थे हिंदुत्व का अपमान।
एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद केलिए उनको समर्थन देने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फड़नवीस का धन्यवाद ज्ञापित किया। गठबंधन में भाजपा के भी मंत्री होंगे और कदाचित महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष भाजपा का होगा। महाराष्ट्र में इस समय शिवसैनिकों में उमंग है, जश्न है और पिछले दिनों से जो विरोध दिखाई दे रहा था, वह पलक झपकते ही खुशियों में बदल गया है। एनसीपी और कांग्रेस में अफरा-तफरी मची है। हालात ये हैंकि महाराष्ट्र में अभीतक जो विघटनकारी शक्तियां, दूसरे राज्यों के भगोड़े अपराधी और माफिया यहां के कांग्रेस, एनसीपी नेताओं के यहां शरण लिए हुए थे, उनमें एकनाथ शिंदे सरकार की अपने विरुद्ध संभावित कड़ी कार्रवाई के भय से भगदड़ है। कोई पश्चिम बंगाल में शरण केलिए भाग निकला है तो कोई पंजाब में भगवंत सिंह मान की सरकार में शरण केलिए भाग रहा है और कोई नेपाल भाग रहा है। अंडरवर्ल्ड के भी पांव फूल रहे हैं, जिन्हें शिवसेना के 'महाप्रभु' उद्धव ठाकरे के सिंडिकेट में पूरा संरक्षण प्राप्त था। इन सबको मालूम हैकि महाराष्ट्र में अब बड़े पैमाने पर अपराधियों के खिलाफ बड़ा पुलिस एक्शन शुरू होने वाला है। महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना गठबंधन की नई सरकार में उन फैसलों की भी समीक्षा होनी है, जो उद्धव सरकार में हालही में लिए गए हैं।
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी केसाथ विधानसभा चुनाव लड़कर सत्ता केलिए बेईमान हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी से गठबंधन करके महाराष्ट्र में ढाई साल जो हिंदुत्व विरोधी खेल खेला, कांग्रेस एवं एनसीपी के नेताओं और सांप्रदायिक शक्तियों से शिवसैनिकों और हिंदुओं का जो उत्पीड़न एवं अपमान कराया, उसका हस्र यही होना थाकि उद्धव ठाकरे को सब तरफ से जलील होकर मुख्यमंत्री पदसे इस्तीफा देना पड़ा है। वह विधानसभा में बहुमत का सामना करने से ही भाग खड़े हुए। शरद पवार ने अपनी कुटिल चालों में उद्धव ठाकरे को अपनी सारी फाइलें निपटाने तक फंसाए रखा, जबकि शरद पवार जान गए थेकि महाअघाड़ी सरकार का जाना तय है। उद्धव ठाकरे की सलाहकार मंडली पंद्रह दिन से महाराष्ट्र में अराजकता मचाए हुए थी और प्यादा संजय राउत भाजपा और बाकी शिवसैनिकों को धमकी की भाषा इस्तेमाल कर रहा था। जिस प्रकार वह कह रहा थाकि गुवाहाटी से विधायक लाशों में आएंगे, जिनका विधानसभा में पोस्टमार्टम होगा, जिस तरह वह शिवसैनिकों को हिंसा केलिए उकसा रहा था, आग़जनी करा रहा था, संकटमोचक श्री हनुमान की हनुमान चालिसा का अपमान करा रहा था, श्री हनुमान के भक्तों पर गंभीर आपराधिक धाराएं लगवाकर जेल भिजवा रहा थातो उसका परिणाम यही होना था।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे, शरद पवार और सोनिया गांधी के सारे षडयंत्रों और अनैतिक मंसूबों पर पानी फेर दिया। उद्धव ठाकरे के दिग्गज वकील सुप्रीमकोर्ट में उद्धव सरकार को बचाने केलिए जितनी अनैतिक दलीलें दे रहे थे, सुप्रीमकोर्ट ने उन्हें सुना तो, लेकिन किया वही जो न्याय की आवाज़ थी। महाराष्ट्र में उन लोगों के सीने में ठंडक पड़ी होगी, जो उद्धव सरकार के गुंडों से त्रस्त थे और वे भी शिवसैनिक विधायक जो इस बेमेल गठबंधन के कारण खून का घूंट पी रहे थे, उद्धव ठाकरे जिनपर कुंडली मारकर अजगर की तरह से बैठे हुए थे। उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र आदित्य ठाकरे और उनके सलाहकार संजय राउत ने शिवसैनिक विधायकों का घोर अपमान किया, जिस कारण उद्धव ठाकरे को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी है और फ्लोर टेस्ट से पहले ही इस्तीफा देना पड़ा। उद्धव ठाकरे इस्तीफे से पहले अपने संबोधन में कह रहे थेकि उनसे जो गलतियां हुई हैं, उन्हें क्षमा कर दिया जाए। उन्होंने न केवल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, बल्कि उन्होंने विधान परिषद की सदस्यता को भी त्याग करने की घोषणा करते हुए कहाकि वह कभीभी इस तरफ मुड़कर नहीं देखेंगे और शिवसैनिक भवन में बैठेंगे। उद्धव ठाकरे को ये नैतिक बातें तब याद आ रही हैं, जब उनको अपने कृत्य और कुकर्म का आईना देखना पड़ा है। एकनाथ शिंदे इस पूरे घटनाक्रम में महाराष्ट्र के नए हिंदुत्व के हीरो बनकर सामने आए हैं।
एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे के नापाक गठबंधन में अंतिम कील साबित हुए हैं, जिसका असर पूरे महाराष्ट्र में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में देखने को मिलेगा। ऐसी कई घटनाएं उद्धव सरकार ने बेशर्मी से ढक दीं, जिन्हें कांग्रेस और एनसीपी के दबाव में अंजाम दिया गया, निका अब पर्दाफाश होगा। उन्होंने हिंदुत्व का दमन किया और शिवसेना को कमजोर किया। वास्तव में उन्होंने एनसीपी और कांग्रेस केलिए जमीन तैयार की। मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देते हुए उद्धव ठाकरे ने सोनिया गांधी और शरद पवार की प्रशंसा करते हुए उनका विशेष धन्यवाद दिया। उद्धव ठाकरे को जब लगाकि उनकी सरकार जा रही है तो उन्होंने मुख्यमंत्री आवास वर्षा को छोड़ा, मगर इसके बावजूद उन्होंने इस दौरान करीब साढ़े तीनसौ से ज्यादा आदेश भी पारित कर दिए, जो इस बात के प्रमाण हैंकि इन्होंने पद की नैतिकता को छोड़कर बेईमानी से फैसले लिए। उद्धव ठाकरे का एनसीपी और कांग्रेस से ये बेमेल गठबंधन ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार का एक बड़ा सिंडिकेट था, जिसकी एकनाथ शिंदे सरकार समीक्षा करेगी। कहने वाले कह रहे हैंकि उद्धव ठाकरे और उनके सलाहकार शेर की खाल में एक ऐसा भेड़िया निकले, जो लंबे समय तक अपने मंसूबों में कामयाब रहे, मगर अब उद्धव ठाकरे खुद कह रहे हैंकि उनको उनके पापों की सजा मिली है।

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