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नए भारत के निर्माण में हो सभीकी सहभागिता-शाह

'लोगों के एंपावरमेंट की जिम्मेदारी सहकार और सरकार दोनों की है'

सहकारिता मंत्रालय और एनएएफसीयूबी का दिल्ली में सम्मेलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 24 June 2022 12:26:38 PM

conference of ministry of cooperation and nafcub in delhi

नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारिता मंत्रालय और एनएएफसीयूबी के अनुसूचित और बहु-राज्य शहरी सहकारी बैंक तथा क्रेडिट सोसाइटीज के राष्ट्रीय सम्मेलन में कहा हैकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सामने लक्ष्य रखा हैकि 25 साल बाद जब राष्ट्र स्वतंत्रता की शताब्दी मनाए, उस समय भारत दुनिया में सभी क्षेत्रों में सर्वोच्च स्थान पर हो और यह तभी संभव हो सकता है, जब नए भारत की निर्माण प्रक्रिया में सभी की सहभागिता एवं सहकार हो एवं सभी क्षेत्रों के लोग अपने-अपने लक्ष्य तय करके 25 साल में इन लक्ष्यों की सिद्धि प्राप्त करें। अमित शाह ने कहाकि हमारे सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है देश का विकास, देश के अर्थतंत्र को दुनियाभर के अर्थतंत्र की तालिका में सबसे ऊपर पहुंचाना। अमित शाह ने कहाकि कुछ लोग सहकारिता को एक अलग दृष्टि से देखते हैं और इसे दक़ियानूसी, कालबाह्य और अप्रासंगिक मानते हैं, मगर आप अमूल, कृभको, इफ्को और लिज्जत पापड़ के मॉडल को देखिए, हमारी सौसाल से ज़्यादा पुरानी 195 से अधिक कोऑपरेटिव बैंकों को देखिए, तब आपको मालूम पड़ेगा कि ये आजभी उतने ही प्रासंगिक हैं।
सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहाकि सौसाल एक बहुत बड़ा कालखंड होता है और देश की सहकारिता ने बहुत ही सफलता केसाथ इस यात्रा को पूरा किया है, परंतु अगले 100 साल की यात्रा हमें बहुत गौरव और सिद्धि केसाथ देश के विकास में योगदान करके पूरी करनी है, अगले सौसाल तक सहकारिता का व्याप और स्वीकृति बढ़ानी है। उन्होंने कहाकि अपने कृत्यों के आधार पर सहकारिता को अप्रासंगिक मानने वालों को थ्योरी नहीं, बल्कि अपनी परफ़ॉर्मेंस पर समझाना होगा और यह हम सबकी ज़िम्मेदारी है। अमित शाह ने कहाकि समाज के छोटे से छोटे तबके को केवल अर्बन स्टेट कोऑपरेटिव बैंक लोन दे सकते हैं और उस तबके को ऊपर उठाना है, विकास की प्रक्रिया में हिस्सेदार बनाना एवं देश के अर्थतंत्र में स्टेक होल्डर बनाने का काम कोऑपरेटिव ही कर सकता है। उन्होंने कहाकि सामान्य व्यक्तियों को रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजों केलिए जब लोन चाहिए तो वह कोऑपरेटिव बैंक की ओर देखता है। उन्होंने कहाकि मैंने तीन ऐसे बड़े-बड़े उद्योगपति देखे हैं, जिन्हें पांच लाख रुपये का पहला लोन अर्बन कोऑपरेटिव बैंक ने दिया था और जो आज देश के सबसे बड़े जीडीपी कंट्रीब्यूटर हैं।
अमित शाह ने कहाकि सर्वस्पर्शीय, सर्वसमावेशी विकास केलिए आर्थिक रूपसे सशक्त नहीं हुए लोगों का एंपावरमेंट करने की जिम्मेदारी सोसाइटी यानि सहकार और सरकार दोनों की है। उन्होंने कहाकि सशक्तिकरण केलिए अर्बन कोऑपरेटिव बैंक और अर्बन कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी से अच्छा जरिया और कोई नहीं हो सकता। उन्होंने कहाकि 10,000 शाखाएं, 5 लाख करोड़ रुपये का डिपॉजिट, 3 लाख करोड़ रुपये का एडवांस देखने में बड़ा अच्छा लगता है, लेकिन बैंकिंग क्षेत्र में हमारी हिस्सेदारी पर भी आत्मचिंतन करने की जरूरत है। अमित शाह ने कहाकि बैंकिंग क्षेत्र में डिपॉजिट के मामले में अर्बन कोऑपरेटिव बैंक की हिस्सेदारी केवल 3.25 प्रतिशत और एडवांस में 2.69 प्रतिशत है, हमें इससे संतुष्ट नहीं होना चाहिए, बल्कि इसका विस्तार करने का संकल्प लेना चाहिए। अमित शाह ने कहाकि अगर हमें विस्तार करना है तो अपने कालखंड और सेक्टर की न सोचें, अब हमें आगे के 100 साल के बारे में सोचना पड़ेगा और उसके लिए अपने अंदर भी कुछ संस्थागत परिवर्तन करने पड़ेंगे, हमें नए और प्रोफेशनल लोगों केलिए जगह बनाकर उन्हें कोऑपरेटिव के क्षेत्र में लाना होगा।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि नए और प्रोफेशनल लोग कोऑपरेटिव को आगे बढ़ाएंगे, जो नया आया है, वह आपके अनुभव से सीखेगा और जो पुराना है, वह नए को सिखाएगा, हमें यही अप्रोच अपनानी चाहिए, हमें अपने स्पर्धा वाले प्राइवेट बैंकों और नेशनलाइज बैंकों केसाथ अपने मानव संसाधन की भी तुलना करनी चाहिए। उन्होंने कहाकि भर्ती की प्रोफेशनल प्रक्रिया अकाउंट सिस्टम के पूरी तरह कंप्यूटराइजेशन और सारे मानकों केलिए अकाउंट सॉफ्टवेयर में स्वयं अलर्ट जैसी बहुत सारी चीजों पर भी आत्मचिंतन करना चाहिए। उन्होंने कहाकि देश में 40 प्रतिशत अर्बनाइजेशन है, लेकिन इसमें सहकारिता की भागीदारी काफी कम है, अगर हमें इसमें अपना हिस्सा बढ़ाना तो स्पर्धा में रहने पर ध्यान देना पड़ेगा। उन्होंने कहाकि एनएफसीयूबी को क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी के क्षेत्र पर भी ज्यादा थ्रस्ट देने की जरूरत है, सहकारिता की भावना और संस्कृति दोनों को आगे ले जाना चाहिए, देश के गरीब तबके के विकास केलिए यह क्षेत्र बहुत जरूरी है, हम आधुनिक बैंकिंग पद्धति को भी स्वीकार करें, तभी हम स्पर्धा में टीके रह पाएंगे।
अमित शाह ने कहाकि शहरी कोऑपरेटिव क्रेडिट क्षेत्र की भविष्य की भूमिका पर सेमिनार में बहुत सारे टेक्निकल सेशन भी हैं, इसमें शहरी सहकारी बैंकों के भविष्य की भूमिका, आरबीआई एक्सपर्ट कमिटी रिपोर्ट की सिफारिश, मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी और टैक्सेशन आदि के बारेमें चर्चा होगी। सहकारिता मंत्री ने कहाकि हमारा व्याप काफी विशाल है, लगभग 1534 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक, 10,000 से ज्यादा शाखाएं, 54 शेड्यूल बैंक, 35 मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव बैंक, 580 मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटीज और 22 राज्य संघ हैं। उन्होंने कहाकि हर टाउन में एक अच्छी अर्बन कोऑपरेटिव बैंक होना समय और देश की जरूरत है। उन्होंने कहाकि एनएफसीयूबी को कोऑपरेटिव बैंकों की समस्याओं को उठाना और उनका समाधान तो करना ही चाहिए, परंतु साथही एक समान विकास केलिए भी और अच्छे ढंग से काम करना चाहिए। उन्होंने कहाकि कोऑपरेटिव का एक समान विस्तार करना हम सबका दायित्व है, क्योंकि आनेवाले समय में यही हमें स्पर्धा में टिका सकता है, इसके लिए सफल बैंकों को भी समय निकालकर आगे आना पड़ेगा।
सहकारिता मंत्री ने कहाकि अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों से जुड़े बहुत सारे मुद्दे हैं और इनके समाधान केलिए आप सहकारिता मंत्रालय को अपनी कल्पना से दो कदम आगे पाओगे। उन्होंने कहाकि सहकारिता मंत्रालय बनने केबाद टैक्सेशन, चीनी मीलों के टैक्सेशन और असेसमेंट के मुद्दों सहित ढेर सारे परिवर्तन हुए हैं। उन्होंने कहाकि पूरी कोआपरेटिव का एक डेटा बैंक बना रहे हैं, भारत सरकार कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना का मार्ग प्रशस्त कर रही है और केंद्रीय कैबिनेट ने बड़ी सहकारी समितियों में जैम से खरीदने की मंजूरी भी दी है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी संस्थाओं के अलावा जैम से खरीदी की अनुमति देने का काम सिर्फ कोऑपरेटिव केलिए किया है, पारदर्शिता केलिए यह बहुत जरूरी है। इस अवसर पर सहकारिता राज्यमंत्री बीएल वर्मा, सहकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, नेशनल फेडरेशन ऑफ अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स एंड क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता भी उपस्थित थे।

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