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जैन परंपरा में सेवा प्राथमिकता है-राष्ट्रपति

भगवान महावीर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का शिलान्यास

संतों ने मानव समाज को दिखाई स्वस्थ जीवन जीने की दिशा

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 4 May 2022 12:57:49 PM

ram nath kovind laid the foundation stone for bhagwan mahavir super speciality hospital

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली में भगवान महावीर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का शिलान्यास किया और कहाकि जैन परंपरा में सेवा को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहाकि वर्ष 2023 तक 250 बिस्तरों वाला एक अत्याधुनिक भगवान महावीर सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनकर तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहाकि यह खुशी कीबात हैकि इस सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में समाज के सभी वर्गों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं किफायती दरों पर और गरीबों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएंगी। उन्होंने कहाकि यह जानकर प्रसन्नता हुईकि महामारी के दौरान इस अस्पताल ने कोविड केयर अस्पताल के रूपमें भी अपनी सेवाएं प्रदान की हैं। उन्होंने सचेत किया कि कोविड अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, सभी नागरिकों से सतर्क रहने और सरकार के सभी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है।
राष्ट्रपति ने फेस मास्क के महत्व पर कहाकि हम जानते हैंकि आधुनिक इतिहास में सर्जिकल मास्क लगाने की शुरुआत 1897 में की गई जब शल्य चिकित्सकों ने ऑपरेशन के दौरान बैक्टीरिया से स्वयं को बचाने केलिए मास्क का उपयोग करना शुरू किया, लेकिन जैन संतों ने सदियों पहले ही मास्क के महत्व को समझ लिया था, अपने मुंह और नाक को ढक्कर वे न सिर्फ जीव-हिंसा से बचते थे, बल्कि वे अपने शरीर में सूक्ष्म जीवों के प्रवेश को रोकने में भी सक्षम थे। उन्होंने कहाकि कोविड-19 महामारी के दौरान मास्क का उपयोग वायरस से सुरक्षा के प्रभावी उपाय के रूपमें किया गया। उन्होंने कहाकि जैन संतों ने भी शारीरिक व्यायाम के महत्व को रेखांकित करते हुए पैदल चलने पर बहुत जोर दिया। उन्होंने भरोसा जतायाकि वैज्ञानिक परंपराओं के आधार पर मानव समाज को स्वस्थ जीवन की जो दिशा संतों ने दिखाई है, उसपर चलने का प्रयास इस अस्पताल द्वारा किया जाएगा।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहाकि जैन परंपरा हमें संतुलित और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली अपनाना सिखाती है। उन्होंने कहाकि मौजूदा समय में रहन-सहन और खान-पान प्रकृति के अनुकूल नहीं है, हम जानते हैंकि जैन संत और उनके अनुशासित अनुयायी अपना भोजन सूर्योदय और सूर्यास्त केबीच ही करते हैं। राष्ट्रपति ने कहाकि सूर्य की दैनिक गति के अनुसार जीवनशैली को अपनाना स्वस्थ रहने का एक आसान तरीका है और जैन संतों की आदर्श जीवनशैली से हमें यही शिक्षा मिलती है। उन्होंने कहाकि अस्पतालों में आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों केसाथ ऐसी वैज्ञानिक परंपराओं का समन्वय स्वस्थ जीवन केलिए सहायक होगा।

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