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कृषि संस्थान अच्छे किसान तैयार करें-कृषिमंत्री

कृषि मंत्री ने की खेती को व्यवसाय के रूपमें अपनाने की अपील

आईसीएआर के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों को पुरस्कार व डिग्रियां

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Saturday 12 February 2022 02:23:00 PM

awards and degrees to postgraduate students of icar

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 60वें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए और आईसीएआर के स्नातकोत्तर विद्यालय के 284 विद्यार्थियों को पुरस्कार और डिग्रियां प्रदान कीं। इन विद्यार्थियों में 8 विदेशी छात्र भी शामिल हैं। कृषिमंत्री ने इस अवसर पर फलों और सब्जियों की 6 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया, जिनमें आम की दो किस्में पूसा लालिमा, पूसा श्रेष्ठ, बैगन की पूसा वैभव किस्म, पालक की पूसा विलायती किस्म, ककड़ी किस्म पूसा गाइनोशियस ककड़ी हाइब्रिड-18 और पूसा गुलाब की अल्पना किस्म शामिल हैं। सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग की विकसित जैव उर्वरक पूसा संपूर्ण का भी विमोचन किया गया। नरेंद्र सिंह तोमर ने सभी कृषि संस्थानों से अच्छे किसान तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करने की अपील की है।
कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने कहाकि कृषि संस्थान बहुत प्रतिभाशाली शिक्षक और वैज्ञानिक तैयार कर रहे हैं, जोकि सराहनीय कार्य है, लेकिन ज्ञान और प्रौद्योगिकी केवल संस्थानों तक ही सीमित है। उन्होंने कहाकि अगर संस्थान किसानों को तैयार करते हैं तो वे इस ज्ञान को जमीनी स्तर पर पहुंचा सकते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को उद्यमिता विकास केलिए भी प्रेरित किया और खेती को व्यवसाय के रूपमें अपनाने की अपील की। उन्होंने कहाकि भारत को शीर्ष 10 कृषि उत्पाद निर्यातक देशों में शामिल करावाया है। किसानों के लाभ केलिए ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग और विभिन्न हितधारकों केलिए रोज़गार सृजन पर कृषिमंत्री ने कहाकि सरकार कृषि संस्थानों को ड्रोन की खरीद केलिए 100 प्रतिशत अनुदान दे रही है, ताकि इस प्रौद्योगिकी को संस्थानों में पढ़ाया जा सके। उन्होंने कहाकि कृषि स्नातक भी ड्रोन खरीद केलिए अनुदान सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। कृषिमंत्री ने नए स्नातकों को इसे ड्रोन प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक बड़े अवसर के रूपमें देखने की सलाह दी।
कृषि मंत्री ने कृषि क्षेत्र में उन्नत किस्मों और प्रौद्योगिकियों के विकास से खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने केलिए संस्थान का योगदान सराहा। उन्होंने पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं से आत्मनिर्भर कृषि बनाकर आत्मनिर्भर भारत की विकास गाथा में योगदान की अपील की। इससे पूर्व संस्थान के निदेशक डॉ एके सिंह ने संस्थान की महत्वपूर्ण उपलब्धियों को प्रस्तुत किया। उन्होंने बतायाकि संस्थान की विकसित गेहूं की किस्में देश के अन्न भंडार में सालाना 80,000 करोड़ रुपए धनराशि के लगभग 60 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती हैं, इसी तरह संस्थान की विकसित बासमती की किस्में भारत में बासमती की खेती में प्रमुख रूपसे योगदान करती हैं, जो बासमती चावल के निर्यात से अर्जित होने वाली कुल विदेशी मुद्रा 32,804 करोड़ रुपए का 90 प्रतिशत (29524 करोड़ रुपये) है। उन्होंने कहाकि देश में लगभग 48 प्रतिशत भू-भाग में सरसों की खेती आईएआरआई किस्मों से की जाती है, पूसा सरसों 25 से उत्पन्न कुल आर्थिक अधिशेष पिछले 9 वर्ष के दौरान 14323 करोड़ रुपये (2018 की कीमतों पर) होने का अनुमान है।
नाबार्ड-प्रोफेसर वीएल चोपड़ा गोल्ड मेडल और एमएससी एवं पीएचडी केलिए सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी का पुरस्कार देबारती मंडल और डॉ सिद्धरूद मरगल को प्रदान किया गया। प्रोफेसर आरबी सिंह पूर्व निदेशक आईएआरआई नई दिल्ली को डीएससी मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। छठा डॉ एबी जोशी स्मृति पुरस्कार डॉ डीके यादव एडीजी (बीज) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली को मिला। दूसरा सर्वश्रेष्ठ कृषि विस्तार वैज्ञानिक पुरस्कार डॉ आरएन पडरिया प्रमुख और प्रोफेसर कृषि विस्तार प्रभाग आईएआरआई नई दिल्ली को दिया गया। बाईसवां श्रीहरिकृष्ण शास्त्री स्मृति पुरस्कार डॉ एडी मुंशी प्रधान वैज्ञानिक सब्जी विज्ञान प्रभाग भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली को प्रदान किया गया। बाईसवां सुकुमार बसु स्मृति पुरस्कार डॉ राजन शर्मा प्रधान वैज्ञानिक डेयरी रसायन विभाग एनडीआरआई करनाल को प्रदान किया गया और आईएआरआई सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार डॉ सीएम परिहार कृषि विज्ञान विभाग आईएआरआई नई दिल्ली को दिया गया। कार्यक्रम में कृषि और किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी, डॉ त्रिलोचन महापात्रा, सचिव डीएआरई और महानिदेशक आईसीएआर और डॉ रश्मी अग्रवाल डीन और संयुक्त निदेशक (शिक्षा) भी उपस्थित थे।

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