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हमसे ही राष्ट्र और राष्ट्र से ही हम हैं-प्रधानमंत्री

'आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर' समारोह

प्रधानमंत्री ने किया ब्रह्मकुमारी संस्था की पहलों का शुभारंभ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Thursday 20 January 2022 03:56:13 PM

pm delivering the keynote address at the 'azadi ke amrit mahotsav se swarnim bharat ke ore'

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा हैकि राष्ट्र की प्रगति में ही हमारी प्रगति है, हमसे ही राष्ट्र का अस्तित्व है और राष्ट्र से ही हमारा अस्तित्व है और ये भाव ये बोध नए भारत के निर्माण में हम भारतवासियों की सबसे बड़ी ताकत बन रहा है। प्रधानमंत्री ने आज कॉंफ्रेंसिंग से 'आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर' के राष्ट्रीय शुभारंभ समारोह में मुख्य वक्तव्य देते हुए ब्रह्मकुमारी संस्था की सात पहलों का भी शुभारंभ किया। प्रधानमंत्री ने कहाकि आजादी के अमृत महोत्सव समारोहों के क्रम में ब्रह्मकुमारी संस्था का यह कार्यक्रम स्वर्णिम भारत की भावना, प्रेरणा और साधना का परिचायक है। उन्होंने कहाकि एक तरफ निजी आकांक्षाएं और सफलताएं हैं तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय आकांक्षाएं और सफलताएं हैं, जिनके बीच कोई अंतर नहीं है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मकुमारी जैसे संगठनों से मांग करते हुए कहाकि वे लोगों को भारत आने तथा देश केबारे में जानने केलिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहाकि ऐसी संस्थाएं जिनकी एक अंतर्राष्ट्रीय उपस्थिति है, वो दूसरे देशों के लोगों तक भारत की सही बात को पहुंचाएं, भारत के बारेमें जो अफवाहें फैलाई जा रही हैं, उनकी सच्चाई वहां के लोगों को बताएं, उन्हें जागरुक करें, ये भी हम सबका कर्तव्य है। प्रधानमंत्री ने कहाकि आज देश में जो कुछ हो रहा है, उसमें सबका प्रयास शामिल है और सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास देश का दिग्दर्शक मूलमंत्र बन रहा है। नए भारत की नवोन्मेषी और प्रगतिशील सोच एवं नई दृष्टि का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहाकि हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं, जिसमें भेदभाव की कोई जगह न हो, हम एक ऐसा समाज बना रहे हैं, जो समानता और सामाजिक न्याय की बुनियाद पर मजबूती से खड़ा हो।
प्रधानमंत्री ने उपासना की भारतीय परंपरा और महिलाओं के महत्व के बारे में बताया। उन्होंने कहाकि दुनिया जब अंधकार के गहरे दौर में थी, महिलाओं को लेकर पुरानी सोच में जकड़ी थी, तब भारत मातृशक्ति की पूजा देवी के रूपमें करता था, हमारे यहां गार्गी, मैत्रेयी, अनुसूया, अरुंधति और मदालसा जैसी विदुषियां समाज को ज्ञान देती थीं। उन्होंने भारतीय इतिहास के विभिन्न युगों में महिलाओं के उल्लेखनीय योगदान की चर्चा करते हुए कहाकि कठिनाइयों से भरे मध्यकाल में भी इस देश में पन्नाधाय और मीराबाई जैसी महान नारियां हुई हैं और स्वाधीनता संग्राम के दौरान कितनी ही महिलाओं ने अपने बलिदान दिए हैं। उन्होंने कहाकि कित्तूर की रानी चेनम्मा, मतंगिनी हाजरा, रानी लक्ष्मीबाई, वीरांगना झलकारीबाई से लेकर सामाजिक क्षेत्र में अहल्याबाई होल्कर और सावित्रीबाई फुले तक ने भारत की पहचान बनाए रखी है।
प्रधानमंत्री ने सशस्त्र बलों में महिलाओं के प्रवेश, मातृत्व अवकाश में बढ़ोतरी, अधिक संख्या में मतदान के रूपमें बेहतर राजनीतिक भागीदारी और मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व जैसे सुधार को महिलाओं केबीच नए आत्मविश्वास का प्रतीक बताया। उन्होंने कहाकि यह आंदोलन समाज के नेतृत्व में हुआ है और देश में महिला-पुरुष के अनुपात में सुधार हुआ है। प्रधानमंत्री ने आह्वान कियाकि हमें अपनी संस्कृति, सभ्यता, संस्कारों को जीवंत रखना है, आध्यात्मिकता, विविधता को संरक्षित और संवर्धित करना है, साथ ही टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, एजुकेशन, हेल्थ की व्यवस्थाओं को निरंतर आधुनिक भी बनाना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि अमृतकाल का ये समय सोते हुए सपने देखने का नहीं, बल्कि जागृत होकर अपने संकल्प पूरे करने का है, आने वाले 25 साल परिश्रम की पराकाष्ठा, त्याग, तप-तपस्या के 25 वर्ष हैं। प्रधानमंत्री ने कहाकि हमें ये भी मानना होगाकि हमारे समाज, हमारे राष्ट्र में एक बुराई सबके भीतर घर कर गई है, ये बुराई है अपने कर्तव्यों से विमुख होना, अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि ना रखना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहाकि बीते 75 वर्ष में हमने सिर्फ अधिकारों की बात की, अधिकारों केलिए झगड़े, जूझे, समय खपाते रहे, अधिकार की बात कुछ हदतक कुछ समय केलिए किसी एक परिस्थिति में सही हो सकती है, लेकिन अपने कर्तव्यों को पूरी तरह भूल जाना, इस बात ने भारत को कमजोर रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने कहाकि हम सभी को, देश के हर नागरिक के हृदय में एक दीया जलाना है-कर्तव्य का दीया, हम देश को कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ाएंगे तो समाज में व्याप्त बुराइयां भी दूर होंगी और देश नई ऊंचाई पर भी पहुंचेगा। प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय स्तरपर भारत की छवि खराब करने की प्रवृत्ति पर दुख जताया और कहाकि भारत की छवि को धूमिल करने केलिए अलग-अलग प्रयास चलते रहते हैं, इससे हम ये कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि ये सिर्फ राजनीति है, ये राजनीति नहीं है, ये हमारे देश का सवाल है। उन्होंने कहाकि जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो ये भी हमारा दायित्व हैकि दुनिया भारत को सही रूपमें जाने। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला, राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, भूपेंद्र यादव, अर्जुनराम मेघवाल, पुरुषोत्तम रुपाला एवं कैलाश चौधरी भी उपस्थित थे।

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