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राष्ट्रीय जल जीवन कोष में योगदान दें-मोदी

प्रधानमंत्री ने जल जीवन मिशन ऐप का भी शुभारंभ किया

प्रधानमंत्री ने कहा कि हितधारक और अधिक जागरुक हों

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 2 October 2021 06:43:21 PM

narendra modi launches the jal jeevan mission app and rashtriya jal jeevan kosh

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए जल जीवन मिशन पर ग्राम पंचायतों, पानी समितियों, ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियों से बातचीत और हितधारकों को और अधिक जागरुक बनाने तथा मिशन की योजनाओं की अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही के लिए जल जीवन मिशन ऐप का शुभारंभ किया, राष्ट्रीय जल जीवन कोष की शुरुआत की, जिसमें कोई भी व्यक्ति, संस्था, निगम या परोपकारी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, प्रत्येक ग्रामीण घर, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, आश्रमशाला और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में नल से जल पहुंचाने में मदद करने केलिए योगदान दे सकता है। प्रधानमंत्री ने उत्तरप्रदेश के बांदा जिले के उमरी गांव के गिरिजाकांत तिवारी से उनके गांव में जल जीवन मिशन के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि अब उन्हें साफ और स्वच्छ पानी उपलब्ध है, इस कारण गांव की महिलाओं के स्वास्थ्य और जीवन में भी सुधार आया है। गिरिजाकांत तिवारी ने बताया कि अबतो गांव के हर घर में शौचालय बन गए हैं और सभी उनका इस्तेमाल करते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुंदेलखंड के ग्रामीणों की उनके समर्पण के लिए सराहना की और कहा कि महिलाएं शक्तिमान हो रही हैं, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला और जल जीवन मिशन जैसी योजनाओं के जरिए उन्हें वह सम्मान मिल रहा है, जिसकी वे हकदार हैं। प्रधानमंत्री ने गुजरात के पिपली गांव के रमेशभाई पटेल से भी उनके गांव में पानी की उपलब्धता के बारे में सवाल किया। रमेशभाई ने उन्हें बताया कि पानी की गुणवत्ता बढ़िया है, गांव की महिलाएं खुद पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए प्रशिक्षित हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री ने उनसे पूछा कि लोगों को पेयजल के लिए भुगतान करना पड़ता है या नहीं, रमेशभाई ने बताया कि पानी के मूल्य के बारे में गांवों को स्पष्ट जानकारी है और उसके लिए भुगतान करने को सब राजी हैं। प्रधानमंत्री ने पानी बचाने के लिए स्प्रिंक्लरों और पानी की बूंद-बूंद से सिंचाई के बारे में जानकारी ली। प्रधानमंत्री को बताया गया कि गांव में सिंचाई के लिए अभिनव तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों ने स्वच्छता अभियान को अत्यधिक समर्थन दिया है और उन्हें उम्मीद है कि जल जीवन मिशन को भी यही सफलता मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की कौशल्या रावत से जल जीवन मिशन के पहले और बाद में पानी की उपलब्धता के बारे में सवाल किया। कौशल्या रावत ने बताया कि जल जीवन मिशन के जरिए पानी उपलब्ध होने से पर्यटकों ने उनके गांव में आना शुरू कर दिया है और वहां घरों में ठहरने भी लगे हैं। उन्होंने बताया कि उनके गांव का पूरी तरह टीकाकरण हो चुका है। प्रधानमंत्री ने वन-संवर्धन, पर्यटन में सुधार और होम-स्टे जैसी गतिविधियों को अपनाने के लिये कौशल्या रावत और गांवों की प्रशंसा की। प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु के वेल्लेरी की सुधा से जल जीवन मिशन के प्रभाव के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि मिशन के शुरू होनेके बादसे सभी घरों में नलसे पीने का पानी मिलने लगा है। प्रधानमंत्री ने उनके गांव की विश्व-प्रसिद्ध अरनी सिल्क साड़ी के बारे में भी पूछा। प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या पानी का कनेक्शन मिलने से घर के दूसरे कामों के लिए उन्हें समय मिलता है? सुधा ने बताया कि पानी की उपलब्धता ने उन सबके जीवन में सुधार किया है और उनके पास अन्य रचनात्मक गतिविधियों के लिये समय रहता है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में कच्चे बांधों, पोखरों आदि के निर्माण के जरिये बरसात के पानी को बचाने जैसी गतिविधियां चल रही हैं।
मणिपुर की लैथन्थेम सरोजिनी देवी से बातचीत में प्रधानमंत्री को यह जानकारी मिली कि पहले पानी काफी दूरी पर और लंबी कतारों में ही उपलब्ध होता था, लेकिन अब स्थिति में सुधार है, क्योंकि सभी घरों में पाइप से पानी की आपूर्ति हो रही है। सरोजिनी देवी ने बताया कि खुले में शौच से मुक्त और पानी से पूर्ण कवरेज वाला गांव बनने से यहां के लोगों का स्वास्थ्य बेहतर हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके गांव में पानी की गुणवत्ता का नियमित परीक्षण एक मानक बन गया है, इसके लिए पांच महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि पूर्वोत्तर में वास्तविक परिवर्तन हो रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी और लालबहादुर शास्त्री के ह्रदय में भारत के गांव ही बसे थे और आज इस बात पर प्रसन्नता हैकि देशभर के लाखों गांवों के लोग ‘ग्राम सभाओं’ के रूपमें जल जीवन संवाद का आयोजन कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि जल जीवन मिशन का विजन सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाना नहीं है, यह विकेंद्रीकरण का भी एक बड़ा आंदोलन है। उन्होंने कहा कि यह एक गांव में महिलाओं से संचालित आंदोलन है, इसका मुख्य आधार जनआंदोलन और जनभागीदारी है।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि गांधीजी कहा करते थे कि 'ग्राम स्वराज' का वास्तविक अर्थ आत्मबल से परिपूर्ण होना है। प्रधानमंत्री ने कहाकि इसलिए मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि ग्राम स्वराज की यह सोच सिद्धियों की ओर बढ़े। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूपमें ग्राम स्वराज के उपायों जैसे कि खुले में शौच से मुक्त गांवों के लिए निर्मल गांव, गांवों में पुरानी बावड़ियों और कुओं को पुनर्जीवित करने के लिए जल मंदिर अभियान, गांवों में चौबीस घंटे बिजली के लिए ज्योति ग्राम,गांवों में सौहार्द के लिए तीर्थ ग्राम, गांवों में ब्रॉडबैंड के लिए ई-ग्राम की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के रूपमें भी उन्होंने विभिन्न योजनाओं के नियोजन और प्रबंधन में स्थानीय समुदायों को शामिल करने का काम किया। उन्होंने बताया कि इसके लिए विशेष रूपसे पानी और स्वच्छता के लिए ढाई लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे ग्राम पंचायतों को प्रदान की गई है। उन्होंने यह भी कहा कि पंचायतों की शक्तियों के साथ-साथ उनके कामकाज की पारदर्शिता पर भी कड़ी नज़र रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन और पानी समितियां ग्राम स्वराज के प्रति केंद्र सरकार की वचनबद्धता का एक प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानी की समस्या को लेकर प्रचलित धारणाओं का उल्लेख करते हुए फिल्मों, कहानियों एवं कविताओं का संदर्भ दिया और कहा के हमने बहुत सी ऐसी फिल्में देखी हैं, कहानियां पढ़ी हैं, कविताएं पढ़ी हैं, जिनमें ये विस्तार से बताया जाता है कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों दूर चलकर जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के मन में गांव का नाम लेते ही यही तस्वीर उभरती है, लेकिन बहुत कम ही लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को हर रोज किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता है, आखिर क्यों नहीं पानी इन लोगों तक पहुंचता? उन्होंने कहाकि मैं समझता हूं, जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति निर्धारण की जिम्मेदारी थी, उन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था। प्रधानमंत्री ने कहा कि शायद पूर्व के नीति नियंताओं को इस वजह से पानी का महत्व समझ में नहीं आया कि वे पानी की प्रचुरता वाले क्षेत्रों से आते थे। नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह गुजरात जैसे राज्य से हैं, जहां उन्होंने अधिकतर सूखे की स्थिति देखी है। उन्होंने यह भी देखा है कि पानी की एक-एक बूंद का कितना महत्व होता है।
नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए और आजतक लोगों तक जल पहुंचाना और जल संरक्षण उनकी प्राथमिकताओं में है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी से लेकर 2019 तक देश में सिर्फ तीन करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। सन 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से पांच करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है और आज देश के लगभग 80 जिलों के करीब सवा लाख गांवों के हर घर में नल से जल पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि आकांक्षी जिलों में नल के पानी के कनेक्शन की संख्या 31 लाख से बढ़कर 1.16 करोड़ हो गई है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले सात दशक में जो काम हुआ था, आज के भारत ने सिर्फ दो साल में उससे ज्यादा करके दिखाया है। उन्होंने कहा कि मैं देश के हर उस नागरिक से कहूंगा जो पानी की प्रचुरता में रहते हैं कि उनको पानी बचाने के ज्यादा प्रयास करने चाहिएं और निश्चित तौरपर इसके लिए लोगों को अपनी आदतें भी बदलनी ही होंगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बीते वर्षों में देश की बेटियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है, घर और स्कूल में टॉयलेट्स, सस्ते सैनिटेरी पैड्स से लेकर गर्भावस्था के दौरान पोषण के लिए हजारों रुपए की मदद तथा टीकाकरण अभियान से ‘मातृशक्ति’ और मजबूत हुई है। उन्होंने बताया कि गांवों में बने ढाई करोड़ घरों में से अधिकतर महिलाओं के नाम पर हैं, उज्ज्वला योजना ने महिलाओं को धुएं से भरी जिंदगी से मुक्ति दिलाई है, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर मिशन से जोड़ा जा रहा है और पिछले सात वर्ष में इन समूहों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है। नरेंद्र मोदी ने बताया कि 2014 से पहले के पांच वर्षों की तुलना में राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को प्रदान की जाने वाली सहायता में पिछले सात वर्ष में 13 गुना वृद्धि हुई है। इस अवसर पर ग्राम पंचायतों एवं पानी समितियों के सदस्य, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, प्रहलाद सिंह पटेल, बिश्वेश्वर टुडू, राज्यों के मुख्यमंत्री एवं मंत्री उपस्थित थे।

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