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देश का पहला टॉयकैथॉन दुनिया को समर्पित

केंद्रीय बाल विकास मंत्री और शिक्षा राज्यमंत्री ने किया उद्घाटन

'खिलौना क्षेत्र को पर्याप्त और नवीन तकनीकों से सुसज्जित करें'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 23 June 2021 12:19:23 PM

smriti z irani inaugurated toycathon grand finale along with  sanjay dhotre

नई दिल्ली। केंद्रीय कपड़ा और महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में काम कर रहे अनुसंधान निकायों से टिकाऊ खिलौनों की संभावनाओं का पता लगाने का आग्रह किया है। स्मृति इरानी और केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने टॉयकैथॉन-2021 के ग्रैंड फिनाले का वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन किया। उद्घाटन सत्र में शिक्षा मंत्रालय में उच्चशिक्षा सचिव अमित खरे, उपेंद्रप्रसाद सिंह सचिव कपड़ा मंत्रालय और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद-एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल डी सहस्रबुद्धे भी शामिल हुए। टॉयकैथॉन-2021 को शिक्षा मंत्रालय, महिला और बाल विकास मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय, डीपीआईआईटी, कपड़ा मंत्रालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय और एआईसीटीई ने संयुक्त रूपसे 5 जनवरी 2021 को जनभागीदारी से अभिनव खिलौने और खेल के विचार प्रस्तुत करने के लिए शुरु किया था।
देशभर से लगभग 1.2 लाख प्रतिभागियों ने टॉयकैथॉन-2021 केलिए 17000 से अधिक विचारों को पंजीकृत और प्रस्तुत किया, जिनमें से 1567 विचारों को 22 जून से 24 जून तक होनेवाले तीन दिन के ऑनलाइन टॉयकैथॉन ग्रैंड फिनाले केलिए चुना गया है। कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण इस ग्रैंड फिनाले में डिजिटल खिलौने के विचार प्रस्तुत करने वाली टीमें होंगी, जबकि गैर-डिजिटल खिलौना धारणा के लिए एक अलग से वास्तविक रूपसे प्रतियोगिता का आयोजित किया जाएगा। भारत के घरेलू बाजार के साथ-साथ वैश्विक खिलौना बाजार हमारे विनिर्माण क्षेत्र केलिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। टॉयकैथॉन-2021 का उद्देश्य भारत में खिलौना उद्योग को बढ़ावा देना है, ताकि खिलौना बाजार के व्यापक हिस्से पर कब्जा करने में मदद मिल सके। स्मृति जुबिन इरानी ने इस अवसर पर उस क्षण को ऐतिहासिक बताया जब देश का पहला खिलौना हैकैथॉन दुनिया को समर्पित किया जा रहा है।
बाल विकास मंत्री ने टॉयकैथॉन-2021 में विचार प्रस्तुत करने वाली व्यक्तिगत टीमों की सराहना की। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस टॉयकैथॉन ग्रैंड फिनाले में प्रस्तुत किए गए बहुत से विचारों का व्यावसायीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खिलौनों का बच्चों की साइकोमोटर क्षमताओं पर बहुत प्रभाव पड़ता है, उनकी स्मृति कौशल पर प्रभाव पड़ता है और बच्चे की भविष्य की स्वायत्तता सुनिश्चित करने की दिशा में बड़ी जिम्मेदारी पैदा होती है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हमारे बच्चे जिन 85 प्रतिशत खिलौनों के साथ खेल रहे हैं, वे आयातित हैं और मुख्य रूपसे प्लास्टिक से बने हैं। सतत विकास के लिए प्रधानमंत्री की वैश्विक प्रतिबद्धता से प्रेरणा लेते हुए उन्होंने टिकाऊ खिलौने बनाने के लिए अनुसंधान निकायों और खिलौना निर्माताओं को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी अभियांत्रिकी क्षमता केलिए जाना जाता है और हमारे प्रौद्योगिकीविदों को इलेक्ट्रॉनिक खिलौनों के लिए खिलौना क्षेत्र को पर्याप्त और नवीन तकनीकों से सुसज्जित करना चाहिए।
स्मृति इरानी ने यह भी सुझाव दिया कि शिक्षा मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय निमहंस के सहयोग से बच्चों के न्यूरोलॉजिकल विकास पर खिलौनों के प्रभाव पर एक शोध पत्र तैयार कर सकते हैं, विशेष रूपसे उन बच्चों को जो कुछ विकारों से पीड़ित हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए भी कि खिलौनों को एक प्रभावी पद्धति के रूपमें उपयोग किया जाता है, ताकि उन बच्चों को इन चुनौतियों से बाहर निकालने के लिए मिलनसार समाधान की दिशा में मदद मिल सके। स्मृति इरानी ने कहा कि हमारी खिलौनों की विरासत में हस्तशिल्प की छाप है। उन्होंने कहा कि टॉयकैथॉन के माध्यम से जो विचार सामने आए हैं, उनका हस्तशिल्प क्षेत्र पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि भारतीय खिलौना बाजार लगभग 1.5 बिलियन अमरीकी डॉलर का है और वर्तमान में हम विदेशों से एक बड़ा हिस्सा आयात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैश्विक खिलौना बाजार 100 बिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक होने का अनुमान है, हमें इन क्षेत्रों में अपना हिस्सा बनाये रखने के लिए अपनी रचनात्मक, नवीन और विनिर्माण शक्ति को दिशा प्रदान करना चाहिए।
शिक्षा राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने कहा कि यह टॉयकैथॉन युवा नवोन्मेषी लोगों को दुनिया के लिए भारत में खिलौने बनाने का मार्ग प्रशस्त करने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने सुझाव दिया कि खिलौनों के उपयोग से विज्ञान और अन्य विषयों को सीखने में आनेवाली परेशानी का बोझ भी कम हो सकता है। कपड़ा मंत्रालय के सचिव ने कहा कि खिलौना उद्योग के व्यावसायिक पहलू के साथ-साथ हमारे इतिहास की कला और संस्कृति के बारे में युवा मन में मूल्यों और लोकाचार को विकसित करने के लिए शिक्षाशास्त्र का हिस्सा बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि खिलौना उद्योग में अपार संभावनाएं हैं और टॉयकैथॉन भी खिलौना मेला-2021 का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने बताया कि 27 फरवरी 2021 से 4 मार्च 2021 तक वर्चुअल माध्यम से आयोजित इंडिया टॉय फेयर में विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 26 खिलौना समूहों के लगभग 1226 प्रदर्शकों ने भाग लिया। सौ से अधिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं के साथ 41 ज्ञान सत्र आयोजित किए गए। इस दौरान www.theindiatoyfair.in पोर्टल पर 26 लाख से अधिक पंजीकरण दर्ज किए गए। यूपी सिंह ने कहा कि देश-विदेश में बदलते परिवेश के अनुरूप खिलौना उद्योग में नवोन्मेष समय की मांग है।
सचिव उपेंद्रप्रसाद सिंह ने आशा व्यक्त की कि टॉयकैथॉन में प्रस्तुत विचार खिलौना उद्योग को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेंगे। उन्होंने बताया कि कपड़ा मंत्रालय 12 स्थानों पर भौतिक रूपसे क्षेत्रीय खिलौना मेले की योजना बना रहा है। शिक्षा मंत्रालय में उच्चशिक्षा सचिव अमित खरे ने चिंता व्यक्त की कि आयातित खिलौनों का किफायती मूल्य बहुत अधिक है और यह आत्मनिर्भर भारत के लिए एक बाधा है। उन्होंने कहा कि खिलौनों के आयात पर अंकुश लगाने से हमारे कारीगरों के लिए नए अवसर पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 5+3+3+4 प्रणाली की वकालत करती है और यह खिलौनों और खेलों के माध्यम से बच्चों केलिए गतिविधि आधारित सीखने की ज़रूरत पर बल देती है, यहां क्षेत्रीय भारतीय खिलौनों की भूमिका युवा मस्तिष्क को हमारे इतिहास और संस्कृति से जोड़ने में बहुत महत्वपूर्ण है।

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