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युद्ध अभिलेख नीति को मिली मंजूरी

रक्षा मंत्रालय रिकॉर्ड पुस्तक अभिलेख हस्तांतरित करेगा

इतिहास प्रभाग दूसरे विभागों के साथ भी करेगा समन्वय

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 13 June 2021 05:06:07 PM

war and operation (file photo)

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय की युद्ध एवं ऑपेरशन संबंधी इतिहास के संग्रहण, वर्गीकरण और संकलन एवं प्रकाशन संबंधी नीति को मंजूरी दे दी है। नीति में यह परिकल्पना की गई है कि रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला प्रत्येक संगठन जैसे सेना के तीनों अंग, एकीकृत रक्षा कर्मचारी, असम राइफल्स और भारतीय तटरक्षक, उचित रखरखाव, अभिलेखीय और लेखन इतिहास के लिए रक्षा मंत्रालय के इतिहास प्रभाग को युद्ध डायरी, कार्यवाही पत्र और अभियानों से जुड़े रिकॉर्ड पुस्तकों आदि सहित अभिलेखों का हस्तांतरण करेगा। अभिलेखों के वर्गीकरण की जिम्मेदारी संबंधित संगठनों की है जैसाकि लोक अभिलेख अधिनियम-1993 और सार्वजनिक रिकॉर्ड नियम-1997 में निर्दिष्ट है, जिसको समय-समय पर संशोधित किया गया है।
रक्षा मंत्रालय की नीति के अनुसार रिकॉर्ड को आमतौर पर 25 वर्ष में वर्गीकृत किया जाना चाहिए, 25 वर्ष से पुराने अभिलेखीय विशेषज्ञों द्वारा मूल्यांकन किया जाना चाहिए और युद्ध संबंधी इतिहास संकलित किए जाने के बाद भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार को हस्तांतरित किया जाना चाहिए। नीति के तहत इतिहास प्रभाग विभिन्न विभागों के साथ समन्वय के लिए उत्तरदायी होगा, जबकि युद्ध या ऑपेरशन संबंधी इतिहास का संकलन, अनुमोदन और प्रकाशन की मांग की जाएगी। नीति में संयुक्त सचिव रक्षा मंत्रालय की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, जिसमें युद्ध या ऑपेरशन इतिहास के संकलन के लिए सेवाओं, विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय और अन्य संगठनों एवं प्रमुख सैन्य इतिहासकारों के प्रतिनिधि शामिल हैं। नीति में युद्ध या अभियान संबंधी इतिहास के संकलन और प्रकाशन के संबंध में स्पष्ट समयसीमा भी निर्धारित की गई है।
युद्ध या अभियान के बाद अभिलेखों का संग्रहण और संकलन तीन वर्ष में पूरा किया जाए और सभी संबंधित लोगों तक उसका प्रचार-प्रसार किया जाए। के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली कारगिल समीक्षा समिति के साथ-साथ एनएन वोहरा समिति ने युद्ध अभिलेखों के वर्गीकरण पर स्पष्ट नीति के साथ युद्ध इतिहास लिखे जाने की आवश्यकता की सिफारिश की थी, ताकि सीखे गए सबक का विश्लेषण किया जा सके और भविष्य की गलतियों को रोका जा सके। कारगिल युद्ध के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा पर मंत्रिसमूह की सिफारिशों में आधिकारिक युद्ध इतिहास की वांछनीयता का भी जिक्र किया गया था। युद्ध इतिहास का समय पर प्रकाशन लोगों को घटनाओं का सटीक विवरण देगा, अकादमिक अनुसंधान के लिए प्रामाणिक सामग्री प्रदान करेगा और निराधार अफवाहों को रोकेगा।

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