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कोविडकाल में ऑनलाइन विवाद समाधान प्रभावी

ऑनलाइन विवाद समाधान समय की जरूरत है-न्यायाधीश चंद्रचूड़

न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने किया ओडीआर पर पुस्तक विमोचन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Monday 12 April 2021 02:03:11 PM

online dispute resolution's role critical during covid-19 pandemic

नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि ऑनलाइन विवाद समाधान (ओडीआर) में न्याय प्रदान करने की व्यवस्था के विकेंद्रीकरण, विविधता, लोकतंत्रीकरण और जटिलता को सुलझाने की क्षमता है। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ नीति आयोग के साथ आगामी और ओमिद्यार इंडिया की ओडीआर पर तैयार की गई पुस्तिका के विमोचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पुस्तिका तैयार करने में आईसीआईसीआई बैंक, अशोका इनोवेटर्स फॉर द पब्लिक, ट्राइलीगल, डालबर्ग, ट्रस्ट और एनआईपीएफपी ने भी सहयोग किया है। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कोरोना महामारी ने हमारे जीवन को अकल्पनीय रूपसे बदल दिया है, जिसमें अनिवार्य रूपसे कोर्ट के कामकाज का तरीका भी शामिल है-प्रत्यक्ष सुनवाई से हटकर वर्चुअल हियरिंग शुरु हो गई है। न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह बदलाव सभी के लिए-वकीलों, वादियों और यहां तककि कोर्ट स्टाफ के लिए भी मुश्किल था, हालांकि यह प्रक्रिया शुरू में धीमी थी पर वर्चुअल सुनवाई की अवधारणा ने आखिरकार न्यायिक पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी जगह बना ही ली।
न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने महामारी के बाद प्रत्यक्ष सुनवाई की तरफ वापस लौटने के अनुरोध और प्रतिरोध के बावजूद जोर देकर कहा कि ऑनलाइन विवाद समाधान समय की जरूरत है, इसके कई लाभ हैं। उन्होंने कहा कि ओडीआर पुस्तिका में इस बात का उल्लेख किया गया है कि भारत में पारंपरिक तौरपर मुकद्मेबाजी लंबे समय तक चलने वाली महंगी और दूभर होती है, वैसे न्यायपालिका इन मसलों को हल करने की दिशा में काम कर रही है, ओडीआर इस स्थिति में सहायता प्रदान कर सकता है-उन विवादों को सीमित करके जो अक्सर अदालतों में पहले स्थान पर आते हैं। न्यायाधीश ने कहा कि उनका दृढ़ विश्वास है कि ओडीआर आज की डिजिटली दुनिया में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रक्रिया के वर्चुअल होने के कारण नहीं है, बल्कि सभी प्रकार के उपलब्ध डिजिटल समाधान को अपनाने की अपनी दृढ़ इच्छा के कारण भी है। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल से वर्चुअल सुनवाई के दौरान सबसे महत्वपूर्ण सीख में से एक यह है कि बहुत आसान परिवर्तनों के कारण भी अक्सर प्रक्रिया ज्यादा दक्ष हो सकती है जैसे सभी पक्षों द्वारा डिजिटल फाइलों का उपयोग, डिजिटल नोट बनाने की क्षमता और सभी दस्तावेज एक ही स्थान पर उपलब्ध होना।
डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इसके अलावा सभी विवादों की ऑनलाइन सुनवाई से बहुत अधिक डेटा जुटाने में मदद मिलती है, जो भविष्य में ओडीआर की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक जानकारी उपलब्ध करा सकता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में इस डेटा का सार्थक रूपसे इस्तेमाल अदालतों के वर्चुअल अनुभव को बेहतर बनाने में किया जा सकता है, सस्ती ओडीआर सेवाओं का प्रभावी उपयोग विवाद में शामिल पक्षों की धारणा में-इस प्रक्रिया को और अधिक सुलभ, सस्ती और सहभागी बनाकर एक बड़ा बदलाव ला सकता है, इससे सभी पक्षों को यह ज्यादा मैत्रीपूर्ण और समाधान-उन्मुख लगेगा और यह आखिर में अधिक दक्ष विवाद समाधान की ओर ले जाएगा। उन्होंने कहा कि यह तीन महत्वपूर्ण कारकों के बारे में बताती है, पहला-देश में सभी वर्गों के लोगों के बीच डिजिटल पैठ में तेजी से बढ़ोतरी, दूसरा-उच्च न्यायपालिका का मुखर समर्थन और तीसरा-महामारी के कारण सभी अदालतों में वर्चुअल सुनवाई की ओर रुख के साथ ही डिजिटल भुगतान जैसे क्षेत्रों में ओडीआर को शामिल करने के लिए आरबीआई और एनपीसीआई के प्रयास।
न्यायाधीश ने कहा कि इस तरह की प्रणाली की प्रभावकारिता को लेकर सवाल अब सैद्धांतिक नहीं हैं, वैसे सुधार करने के लिए चीजें और हल करने के लिए मुद्दे हमेशा होते हैं, सिस्टम जैसा है काम करता है, ओडीआर की कहानी भी समान है, वैसे महत्वपूर्ण तरीके से संगठन इसके लिए जोर दे रहे हैं और वर्चुअल अदालतों की तुलना में लंबे समय तक इसका उपयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ओडीआर पर जोर देने का मतलब हर विवाद समाधान प्रक्रिया को ओडीआर पर प्रतिस्थापित करना नहीं हो सकता है, जब तककि हम भारत में हर जगह डिजिटल पहुंच और साक्षरता हासिल नहीं कर लेते, तबतक यह दूर की कौड़ी है। न्यायाधीश ने कहा कि मैं इसे ओडीआर के लिए नकारात्मक पहलू के रूपमें नहीं देखता हूं, दूसरी ओर इसकी उपयोगिता सशक्त डिजिटल पहुंच और साक्षरता को आगे बढ़ाने में एक कारक बन सकती है। उन्होंने कहा कि ओडीआर पुस्तिका बताती है कि अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए ओडीआर क्यों फायदेमंद हो सकता है, व्यवसायों के लिए त्वरित और कुशल समाधान और यहां तककि उन लोगों को भी फायदा हो सकता है, जिनके लिए विवाद के पारंपरिक साधन पहुंच से बाहर और दूभर हैं।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि ओडीआर पुस्तिका कई योगदानकर्ताओं के सहयोगात्मक कार्य का परिणाम है, यह भारत में ओडीआर को अपनाने की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने और ओडीआर को अपनाने की इच्छा रखने वाले व्यवसायों के लिए कार्रवाई योग्य प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी देती है। उन्होंने कहा कि अदालतों के समक्ष विवादों में तेजी की संभावना के साथ कोविड-19 ने ओडीआर की जरूरत पर बल दिया है, विशेष रूपसे उधार, क्रेडिट, संपत्ति, वाणिज्य और खुदरा क्षेत्र में। उदाहरण के लिए भारत के व्यवसायों और दुकानदारों के सबसे बड़े प्लेटफॉर्म, उड़ान ने एक ओडीआर सेवा प्रदाता का उपयोग करके एक महीने में 1800 से ज्यादा विवादों को हल किया है, हर विवाद में औसतन 126 मिनट लगे। उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में ओडीआर वह व्यवस्था हो सकती है, जो व्यवसायों को जल्दी से समाधान प्राप्त करने में मदद करेगी एवं ओडीआर पुस्तिका व्यवसायों को ऐसा करने में सक्षम बनाती है। अधिक जानकारी के लिए disputeresolution.online पर जाएं।

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