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राष्ट्रपति के भाषणों पर पुस्तक अनावरण

प्रकाश जावड़ेकर ने राष्ट्रपति को भेंट कीं पुस्तक की प्रतियां

भारत की कोरोना के खिलाफ लड़ाई पर भाषणों का संकलन

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 20 November 2020 12:43:36 PM

prakash javadekar presented copies of the book to the president

नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दो ई-बुक्स 'द रिपब्लिकन एथिक वॉल्यूम-III' और 'लोकतंत्र के स्वर' का अनावरण किया। प्रकाश जावड़ेकर ने राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इनकी प्रतियां भी भेंट कीं। उन्होंने पुस्तक लोकार्पण पर बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विभिन्न अवसरों विभिन्न विषयों पर कई प्रेरणादायक भाषण दिए हैं, इन पुस्तकों में भारत के आत्मविश्वास की झलक मिलती है, इसमें राष्ट्रपति के उन भाषणों को प्रकाशित किया गया है, जो भारत की कोरोना के विरुद्ध लड़ाई के दौरान दिए गए हैं। प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस जानलेवा संक्रमण के विरुद्ध भारत ने अन्य राष्ट्रों की तुलना में अपनी सीमाओं को प्रभावी तरीके से सुरक्षित किया है और ये पुस्तकें उन तमाम प्रयासों को चिन्हित करती हैं।
पुस्तक की हार्ड कॉपी का अनावरण रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। उन्होंने कहा था कि किताब में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हद्य की गहराइयों से जो अपने विचार व्यक्त किए हैं, उन्हें जगह दी गई है। ये किताब सभी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर उपलब्ध है। 'द रिपब्लिकन एथिक वॉल्यूम-III' राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के कार्यकाल के तीसरे वर्ष में विभिन्न अवसरों पर दिए गए भाषणों का संकलन है। उन्होंने बताया कि आठ भागों में कुल 57 भाषण इसमें शामिल किए गए हैं, जो राष्‍ट्रपति के विचारों और संवेदनाओं को प्रकट करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की नई सोच और प्रगति की जड़ें ऐतिहासिक और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित हैं, जिन्हें राष्ट्रपति ने अपने अभिवादनों में प्रकट किया है। राजनाथ सिंह ने कहा कि न्याय, समानता, बंधुत्व, अहिंसा, सार्वभौमिक भाईचारा, समावेशी विकास और समाज के कमजोर वर्गों के लिए विशेष चिंता के आदर्श उनके भाषणों की विषयवस्तु हैं। उन्होंने बताया कि पुस्तक में 21वीं सदी के एक जीवंत भारत के बारे में उनकी दृष्टि है, जो भारत के हर एक नागरिक से संचालित है, जिससे हमारी दुनिया एक सुरक्षित, खुशहाल और हरे-भरे भविष्य की ओर अग्रसित होती है।
कोरोना महामारी के कारण जब दुनिया ठहर सी गई थी, ऐसे में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास सार्वजनिक भाषणों के कम अवसर थे, ऐसे समय में उन्होंने एक उदाहरण पेश करते हुए राष्ट्रपति भवन की चारदिवारी से बाहर न जाने का निर्णय लिया। राष्ट्रपति भवन के भीतर रहते हुए ही उन्होंने दिखाया कि कैसे अपने काम को एक जगह रहकर भी प्रकृति के साथ समन्वय करके सादगी से किया जा सकता है। पुस्तक के एक खास भाग में राष्ट्रपति ने दो महान आत्माओं-भगवान गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी के उपदेशों के महत्व का जिक्र किया है। खासतौर पर 21वीं सदी में उनके विचारों की प्रासंगिकता पर राष्ट्रपति ने अपने विचार व्यक्त किए हैं। गांधीवादी आदर्शों में गूढ़ विश्वास रखने वाले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके विचारों की नैतिक परिधि पर भी बात की है। उनके अनुसार महात्मा गांधी ने मानवता को सबसे बड़ा उपहार मुश्किल समय से बाहर निकलने के नैतिक बल के रूपमें दिया। ये भाषण राष्ट्रपति के वैश्विक नजरिए को जानने के लिए एक जरिया है, साथ ही उन सिद्धांतों और विश्वासों में एक अंतर्दृष्टि भी प्रदान करते हैं, जिन मूल्यों में भारत के राष्ट्रपति का विश्वास है।

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