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'आतंकवाद पाकिस्तान की राष्ट्रीय नीति है'

भारत की सुरक्षा पर रक्षामंत्री का एक महत्वपूर्ण व्याख्यान

राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज की हीरक जयंती पर हुआ वेबिनार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 6 November 2020 04:10:33 PM

defense minister rajnath singh

नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज के हीरक जयंती समारोह में 'भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा-एक दशक आगे' विषय पर आयोजित वेबिनार में एक महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया। रक्षामंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय नीति के रूपमें आतंकवाद के उपयोग को लेकर पाकिस्तान अडिग है, हालांकि हमने प्रगतिशील और समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर न केवल पाकिस्तान की प्रतिगामी नीतियों को उजागर किया है, बल्कि उसके लिए एक आम रवैये के रूपमें अपनी पिछली गतिविधियों को जारी रखना भी कठिन बना दिया है। रक्षामंत्री ने साझा हितों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से समान विचार वाले मित्र देशों और इस क्षेत्र एवं उससे परे देशों के साथ भारत के करीबी रिश्तों और भागीदारी को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी पहले की अपेक्षा कहीं अधिक मजबूत है, भारत की मित्रता जापान, ऑस्ट्रेलिया और रूस से भी काफी बढ़ी है। उन्होंने कहा कि फ्रांस और इजरायल जैसे भरोसेमंद मित्रों से भारत की बहुत ही ख़ास साझेदारी है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत की विदेश और सुरक्षा नीति के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक पहले पड़ोस पहल है। उन्होंने कहा कि सिर्फ युद्ध को रोकने की क्षमता के जरिए ही शांति सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राष्ट्रों के उत्थान और पतन का शायद सबसे बुनियादी सबक यह है कि सिर्फ शांति की कामना से ही आवश्यक रूपसे शांति हासिल नहीं की जा सकती, बल्कि इसे युद्ध को रोकने की क्षमता के जरिए सुनिश्चित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से महज शांति की कामना दूसरों की पहल के अभाव में सुरक्षा, संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों के परस्पर विरोधी विचारों से घिरी इस दुनिया में एक समरस वातावरण बनाने में आवश्यक रूपसे सफल नहीं होती। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चार व्यापक सिद्धांतों को रेखांकित किया, जो संभावित रूपसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के भविष्य के प्रयासों का मार्गदर्शन करेंगे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि पहला सिद्धांत बाहरी खतरों और आंतरिक चुनौतियों से भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को सुरक्षित करने की क्षमता है, दूसरा-भारत के आर्थिक विकास को प्रेरित करने वाली सुरक्षित और स्थिर परिस्थिति बनाने की क्षमता, ताकि राष्ट्र निर्माण और व्यक्तिगत आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जरूरी संसाधनों का सृजन किया जा सके और तीसरा-सीमाओं से परे उन क्षेत्रों में अपने हितों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहां हमारे लोग निवास करते हैं और हमारे सुरक्षा संबंधी हित निहित होते हैं। उन्होंने कहा कि हम भी यह मानते हैं कि एक वैश्वीकृत और परस्पर जुड़ी दुनिया में किसी देश के सुरक्षा संबंधी हित साझा और सुरक्षित उभयनिष्ठ हितों के जरिए आपस में जुड़े होते हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने यह साबित कर दिया है कि आतंकवाद को अपनी राष्ट्रीय नीति के एक साधन के रूपमें अपनाने वाले देशों को उन विकल्पों के माध्यम से भी रोका जा सकता है, जिन्हें अतीत में कार्यांवित नहीं किए जाने योग्य समझा जाता था। रक्षामंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2014 से ही यह सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त व्यक्तिगत प्रयास किया है कि यह रिश्ता सकारात्मक और प्रगतिशील साझेदारी के उद्देश्य से निर्मित व मजबूत हो।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस पहल के परिणाम हैं कि आतंकवाद को बढ़ावा देने के पाकिस्तान के एजेंडे को देखते हुए उसे छोड़कर भारत ने अन्य सभी पड़ोसियों के साथ अपने संबंधों में सुधार किया है। उन्होंने कहा कि भारत ने पारस्परिक सम्मान और पारस्परिक हित पर आधारित संबंध बनाने के उद्देश्य से अपने दोस्तों को काफी मदद और समर्थन दिया है। रक्षामंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्व और पूर्वी एशिया के सहयोगी देशों साथ संपर्क बढ़ाने में विशेष रुचि ली है, इसी पहल का यह परिणाम है कि हमने पश्चिम में सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान और पूर्व में इंडोनेशिया, वियतनाम व दक्षिण कोरिया के साथ अपने संबंधों के दायरे और उसकी गुणवत्ता में विस्तार किया है। भारत के क्षमता विकास और स्वदेशीकरण की दीर्घकालिक नीति के बारे में उन्होंने कहा कि हमारी हाल की रक्षा खरीद नीतियां उन प्रमुख ओईएम के साथ साझेदारी करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जो भारत में निवेश और निर्माण के इच्छुक हैं। रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में मेक इन इंडिया दृष्टिकोण को भारत को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने की दीर्घाकालिक नीति के साथ लागू किया गया है।
युद्ध के उभरते और बदलते चरित्र पर रक्षामंत्री ने कहा कि इस संबंध में हाल के दिनों में हमारी ओर से बड़ी संख्या में पहल की गई हैं, संरचनात्मक स्तरपर भारत के पास अधिक बारीकी से परस्पर जुड़ा और समन्वित सुरक्षा नेटवर्क है, हमने न केवल चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना की है, बल्कि हम थिएटर और कार्यात्मक कमांड दोनों के माध्यम से सशस्त्र बलों को और अधिक एकीकृत करने की प्रक्रिया में भी हैं। उन्होंने कहा कि एक त्रि-आयामी दृष्टिकोण अपनाया गया है, इसमें पीड़ितों को न्याय के प्रावधान के साथ-साथ आतंकवाद से प्रभावित क्षेत्रों का विकास शामिल है, इसमें राजनीतिक समाधान को संभव बनाने के उद्देश्य से असंतुष्ट समूहों के साथ समझौतों पर बातचीत करने की क्षमता और इच्छा भी शामिल है। रक्षामंत्री ने कहा कि आर्थिक सुरक्षा के मुद्दे पर सरकार ने भूमि, श्रम, पूंजी और उद्योग के क्षेत्र में विकास के सभी पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया है। रक्षा सचिव डॉ अजय कुमार और एनडीसी के कमांडेंट एयर मार्शल डी चौधरी ने भी वेबिनार में भाग लिया।

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