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'भ्रष्टाचार देश की प्रगति में एक बड़ी बाधा'

दंडात्मक सतर्कता से बेहतर है निवारक सतर्कता-प्रधानमंत्री

सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक राष्ट्रीय सम्मलेन हुआ

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Wednesday 28 October 2020 01:23:38 PM

vigilance and anti-corruption national conference held

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से 'सतर्क भारत-समृद्ध भारत' थीम पर सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधक राष्ट्रीय सम्मेलन में सतर्कता से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल संयुक्त भारत के साथ-साथ देश की प्रशासनिक प्रणाली के भी वास्तुकार हैं, देश के पहले गृहमंत्री के रूपमें उन्होंने ऐसी व्यवस्था बनाने का प्रयास किया, जो देश के आम आदमी के लिए हो और जहां नीतियां सत्यनिष्ठा पर आधारित हों। नरेंद्र मोदी ने कहा कि आगामी दशक में एक अलग स्थिति देखी गई, जिसमें हजारों करोड़ रुपये के घोटाले हुए, शेल कंपनियां बनीं, कर उत्पीड़न और कर चोरी की गई। प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 में जब देश ने एक बड़ा बदलाव करने और एक नई दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया, तो इस वातावरण को बदलना एक बड़ी चुनौती थी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद काले धन के खिलाफ समिति का गठन लटका हुआ था, केंद्र में भाजपा सरकार बनने के तुरंत बाद समिति का गठन किया गया, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2014 के बाद से देश में बैंकिंग क्षेत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र, शिक्षा, श्रम, कृषि आदि सहित कई क्षेत्रों में सुधार देखे गए, इन सुधारों से देश आगे बढ़ रहा है, ताकि आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाया जा सके। उन्होंने भविष्य में भारत के दुनिया के अग्रणी देशों में से एक बनने की उम्मीद जताई। प्रधानमंत्री ने प्रशासनिक व्यवस्था को पारदर्शी, जिम्मेदार, जवाबदेह, जनता के प्रति उत्तरदायी बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का कोई भी रूप इसका सबसे बड़ा दुश्मन है, भ्रष्टाचार एक तरफ देश के विकास को नुकसान पहुंचाता है और दूसरी तरफ यह सामाजिक संतुलन और उस भरोसे को खत्म कर देता है, जो लोगों का सिस्टम में होना चाहिए और इसलिए भ्रष्टाचार से निपटना किसी एक एजेंसी या संस्था की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से स्टैंड-अलोन अप्रोच से नहीं निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब देश का सवाल आता है तो सतर्कता का दायरा बहुत विस्तृत हो जाता है, यह भ्रष्टाचार हो, आर्थिक अपराध, ड्रग नेटवर्क, धन शोधन, आतंकवाद या टेरर फंडिंग बहुत बार ऐसा देखा गया है कि ये सभी जुड़े होते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ऐसे में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण के साथ व्यवस्थित जांच, प्रभावी ऑडिट और क्षमता निर्माण व प्रशिक्षण की आवश्यकता है, सभी एजेंसियां तालमेल और सहयोगात्मक भावना से काम करें। उन्होंने सम्मेलन के एक प्रभावी मंच के रूपमें उभरने की कामना की, जो सतर्क भारत, समृद्ध भारत बनाने के नए तरीकों के बारे में सुझाव दे। प्रधानमंत्री ने 2016 के सतर्कता जागरुकता कार्यक्रम में कहीं बातों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमारे देश ग़रीबी से लड़ रहा है, यहां भ्रष्टाचार का कहीं भी स्थान नहीं होना चाहिए, दशकों से गरीबों को उनका हक नहीं मिला, लेकिन अब डीबीटी के कारण गरीबों को सीधे उनका लाभ मिल रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से न तो ज्यादा हस्तक्षेप होना चाहिए और न ही पूरी तरह से दूरी, सरकार की भूमिका उस सीमा तक सीमित होनी चाहिए, जितनी आवश्यकता है, लोगों को यह महसूस नहीं होना चाहिए सरकार अनावश्यक रूपसे हस्तक्षेप कर रही है या जरूरत पड़ने पर सरकार कार्य नहीं कर रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्ष में 1500 से अधिक कानूनों को समाप्त कर दिया गया है और कुछ नियमों को सरल बनाया गया है, आम लोगों की परेशानी को कम करने के लिए पेंशन, छात्रवृत्ति, पासपोर्ट, स्टार्टअप आदि कई आवेदन ऑनलाइन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसी तरह निवारक सतर्कता दंडात्मक सतर्कता से बेहतर है। उन्होंने भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाली परिस्थितियों को दूर करने की जरूरत पर बल दिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे पहले ट्रांसफर और पोस्टिंग की पैरवी करने के लिए एक नापाक इंडस्ट्री काम करती थी, अब सरकार ने कई नीतिगत फैसले किए हैं, इस स्थिति को बदलने की इच्छाशक्ति दिखाई है और उच्च पदों पर नियुक्तियों की पैरवी समाप्त हो गई है, सरकार ने ग्रुप बी और सी के पद के लिए साक्षात्कार को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि बैंक बोर्ड ब्यूरो के गठन से बैंकों में वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों में पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कई कानूनी सुधार किए गए हैं और देश की सतर्कता प्रणाली को मजबूत करने के लिए नए कानून पेश किए गए हैं, काले धन, बेनामी संपत्तियों, भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम जैसे कानूनों का जिक्र किया, जिसे सतर्कता प्रणाली को मजबूत करने के लिए बनाया गया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जहां फेस-लेस कर मूल्यांकन प्रणाली लागू की गई है, यहां भ्रष्टाचार रोकने के लिए तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता सतर्कता से संबंधित एजेंसियों को बेहतर प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण, नवीनतम बुनियादी ढांचा और उपकरण उपलब्ध कराना है, ताकि वे अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकें और बेहतर परिणाम दे सकें। प्रधानमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यह अभियान केवल एक दिन या केवल एक सप्ताह का मामला नहीं है।
नरेंद्र मोदी ने पीढ़ीगत भ्रष्टाचार का उल्लेख करते हुए इसे एक बड़ी चुनौती बताया, जो धीरे-धीरे बढ़ रहा है और विकराल रूप धारण कर रहा है। उन्होंने पीढ़ीगत भ्रष्टाचार को समझाया, जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित होता गया। उन्होंने कहा कि जब भ्रष्टाचार करने वाली एक पीढ़ी को सख्त सजा नहीं मिलती तो दूसरी पीढ़ी और ज्यादा भ्रष्टाचार करती है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस वजह से कई राज्यों में तो ये राजनीतिक परंपरा का हिस्सा बन गया है। उन्होंने कहा कि यह भ्रष्टाचार और पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला भ्रष्टाचार का वंशवाद, देश को खोखला कर देता है, यह स्थिति देश के विकास में एक समृद्ध भारत और एक आत्मनिर्भर भारत बनाने में बड़ी बाधा है। प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार से जुड़ी खबरों पर ध्यान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जब भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत समयबद्ध कार्रवाई के उदाहरणों को प्रमुखता से दिखाया जाता है तो इससे लोगों का भरोसा बढ़ेगा और यह संदेश जाएगा कि भ्रष्टाचारियों का बचना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि अगर भ्रष्टाचार को हरा दें तो समृद्ध व आत्मनिर्भर भारत बनाकर सरदार पटेल के सपने को साकार किया जा सकता है। केंद्रीय जांच ब्यूरो राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन सतर्कता जागरुकता सप्ताह के साथ करता है, जो भारत में हर साल 27 अक्टूबर से 2 नवंबर तक मनाया जाता है।
सतर्कता जागरुकता राष्ट्रीय सम्मेलन की गतिविधियां सतर्कता से जुड़े मुद्दों पर केंद्रित रहेंगी, जिसमें जागरुकता बढ़ाने के साथ ही नागरिक भागीदारी के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में अखंडता और ईमानदारी की भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करना शामिल है। तीन दिवसीय सम्मेलन में विदेशी न्यायाधिकार क्षेत्र में जांच की चुनौतियां, भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रणालीगत जांच के रूपमें निवारक सतर्कता, वित्तीय समावेशन और बैंक धोखाधड़ी की रोकथाम के लिए प्रणालीगत सुधार, विकास के एक इंजन के रूपमें प्रभावी ऑडिट, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को तेज करने की दिशा में भ्रष्टाचार रोकथाम कानून में नवीनतम संशोधन, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, तेज और ज्यादा प्रभावी जांच के लिए मल्टी-एजेंसी समन्वय, आर्थिक अपराधों के उभरते रुझान, साइबर अपराधों और अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध पर अंकुश के लिए आपराधिक जांच एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय और आदान-प्रदान पर चर्चा होगी। सम्मेलन के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, सतर्कता ब्यूरो, आर्थिक अपराध शाखा, राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के प्रमुख, सीवीओ, सीबीआई अधिकारी और केंद्रीय एजेंसियों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। उद्घाटन सत्र में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और डीजीपी ने हिस्सा लिया।

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