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बिना निर्यात के ही आईटीसी का बड़ा फर्जीवाड़ा

फर्जी फर्मों से सरकारी खजाने को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया

फर्जी आपूर्तिकर्ता शिमला के एक फाइव स्टार होटल से पकड़ा गया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Friday 9 October 2020 05:02:42 PM

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नई दिल्ली। डीजीजीआई के अधिकारियों ने खुफिया तौरपर पता लगाया है कि कुछ निर्यातक कंपनियां ग़ैरमौजूदा और फर्जी फर्मों या ऐसी फर्मों, जिन्‍होंने स्‍वयं किसी भी किस्‍म की खरीदारी नहीं की है के चालानों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी आईटीसी का लाभ उठाने में लगी हुई हैं। इस प्रकार प्राप्‍त किए गए आईटीसी का निर्यात वस्‍तुओं पर आईजीएसटी का भुगतान करने में उपयोग किया गया था, जिसका बाद में नकद वापसी के रूपमें दावा किया गया था। इस प्रकार सरकारी खजाने को दोहरा नुकसान पहुंचाया जा रहा था। एक तरफ बिना निर्यात की गई वस्‍तुओं पर आईटीसी लिया गया और दूसरी ओर ऐसे धोखाधड़ीपूर्ण तरीके से आईटीसी भी नकद वापसी के रूप में प्राप्‍त की। इस प्रकार प्राप्‍त की गई आईजीएसटी की नकद वापसी राशि लगभग 61 करोड़ रुपये है।
डीजीजीआई मुख्‍यालय ने इन निर्यातक कंपनियों और इनके मालिक के निवास स्‍थानों के साथ-साथ विभिन्न आपूर्तिकर्ता कंपनियों पर 6 मार्च 2020 को छापे मारे थे, जिनकी जांच में यह पाया गया कि इन आपूर्तिकर्ता कंपनियों ने माल की आपूर्ति किये बिना ही इन निर्यातकों को केवल बिल प्रदान कर दिए थे। निर्यातकों ने इन फर्जी बिलों पर आईटीसी ले लिया था और माल का निर्यात दिखाकर उस पर रिफंड भी ले लिया था। इन निर्यातक फर्मों के नियंत्रकों को डीजीजीआई ने उसी दिन गिरफ्तार भी किया था। हालांकि सप्‍लाई करने वाली फर्मों का लुधियाना में रहने वाला मालिक भगौड़ा था और उसे पकड़ा नहीं जा सका था। अनेक समन देने के बावजूद वह जांच के लिए भी हाजिर नहीं हो रहा था। डीजीजीआई की नज़र में यह फर्जी आपूर्तिकर्ता आदतन आर्थिक अपराधी लगता है और उसके तथा उसकी कंपनियों के खिलाफ अनेक मामले दर्ज हैं।
डीजीजीआई को एक विश्वसनीय जानकारी प्राप्‍त हुई थी कि यह व्यक्ति शिमला के एक प्रसिद्ध फाइव स्टार होटल में छिपा हुआ है। अधिकारियों का एक दल शिमला भेजा गया, जिसने इसे उस होटल से इस सात अक्टूबर की सुबह गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उसे सक्षम न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जिसने इसे 14 दिन की न्‍यायिक हिरासत में नई दिल्‍ली तिहाड़ जेल में भेज दिया है। डीजीजीआई अधिकारियों ने बताया है कि इससे पहले भी इस व्यक्ति को डीजीआरआई की जांच-पड़ताल के बाद एक वाणिज्यिक धोखाधड़ी के मामले में कोफेपोसा के तहत निवारक नज़रबंदी में रखा गया था। इस मामले में आगे की जांच अभी जारी है।

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