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सरकारी विज्ञापनों की निगरानी अनिवार्य

उच्चतम न्यायालय की अधिकार प्राप्त समिति ने की बैठक

विज्ञापन निगरानी के लिए कई राज्यों ने समिति गठित की

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 8 September 2020 02:10:06 PM

supreme court

नई दिल्ली। भारत के भूतपूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ओम प्रकाश रावत की अध्यक्षता में सरकारी विज्ञापनों की विषयवस्तु के विनियमन के लिए गठित उच्चतम न्यायालय की अधिकार प्राप्त समिति (एससीसीआरजीए) की 19वीं वर्चुअल बैठक में एशियन फेडरेशन ऑफ एडवरटाइजिंग एसोसिएशन के दो सदस्यों रमेश नारायण, अशोक कुमार टंडन और प्रसार भारती बोर्ड के पार्टटाइम सदस्य भी शामिल हुए। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार राज्यों के लिए भी सरकारी विज्ञापनों की विषयवस्तु की निगरानी के वास्ते अपने यहां तीन सदस्यीय समितियों का गठन अनिवार्य बनाया गया है। कर्नाटक, गोवा, मिजोरम और नागालैंड जैसे राज्य पहले ही इस तरह की समितियों का गठन कर चुके हैं। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार अपने यहां इस समिति को सरकारी विज्ञापनों पर नज़र रखने की सहमति दे चुकी है।
सीसीआरजीए बैठक में इस तथ्य को गंभीरता से लिया गया कि अन्य राज्यों ने अभी तक अपने यहां इस तरह की समितियों का गठन नहीं किया है। सीसीआरजीए का ध्यान इस ओर भी आकर्षित किया गया कि कुछ राज्यों में ऐसी समितियों को मिली शिकायतों के बाद उनकी ओर से जारी किए गए नोटिस का संबंधित पक्षों की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। कोविड महामारी की मौजूदा स्थिति को देखते हुए समिति के पास लंबित शिकायतों के बारे में संबंधित पक्षों को अपना-अपना जवाब भेजने के लिए कुछ और समय देने का फैसला लिया गया। सीसीआरजीए का मानना था कि उसके निर्णयों का पालन न करना एक गंभीर मामला है। यह माना गया कि सीसीआरजीए के आदेशों का पालन न करने की स्थिति में समिति को संबंधित सरकारों की नोडल एजेंसियों द्वारा आगे और विज्ञापन जारी करने पर रोक लगाने के लिए बाध्य किया जा सकता है, जो इस समिति के दायरे में आती हैं। समिति के नोटिस के जवाब में अनुचित देरी की स्थिति में यदि आवश्यक हो तो समिति विज्ञापन जारी करने वाली सरकारी एजेंसी के संबंधित अधिकारी को पेश होने के लिए भी कह सकती है।
उल्लेखनीय है कि 13 मई 2015 को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार भारत सरकार ने सरकारी विज्ञापन एजेंसियों द्वारा सभी मीडिया प्लेटफार्मों पर जारी विज्ञापनों की विषयवस्तु पर निगरानी रखने के लिए 6 अप्रैल 2016 को पूरी तरह से तटस्थत और निष्पक्ष सोच रखने वाले तथा अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर चुके व्यक्तियों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार सरकारी विज्ञापनों की सामग्री सरकार के संवैधानिक और कानूनी दायित्वों के साथ-साथ नागरिक अधिकारों के नजरिए से भी प्रासंगिक होनी चाहिए, विज्ञापनों की सामग्री को एक उद्देश्यपूर्ण, निष्पक्ष और सुलभ तरीके से प्रस्तुत किया जाना चाहिए और इस तरह से डिजाइन किया जाना चाहिए ताकि वह अभियान के उद्देश्यों को पूरा करती हों, विज्ञापन सामग्री उद्देश्यपूर्ण होनी चाहिए और किसी भी प्रकार से सत्ता पक्ष के राजनीतिक हितों को बढ़ावा देने वाली नहीं होनी चाहिए, विज्ञापन अभियानों को न्यायसंगत और कुशल और प्रभावी तरीके से चलाया जाना चाहिए तथा सभी सरकारी विज्ञापन कानूनी नियमों के अनुरूप होना चाहिए और इनके लिए वित्तीय नियमों और प्रक्रियाओं का पालन करना चाहिए।
निगरानी समिति को उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के संबंध में मिली जन शिकायतों को निबटाने तथा इस बारे में आवश्यकतानुसार सुझाव देने का अधिकार दिया गया है। समिति के समक्ष अपनी शिकायतें समिति के सदस्य सचिव के नाम सरकारी विज्ञापनों की विषयवस्तु शीर्षक से रूम नंबर 469, चौथा तल, सूचना भवन, सीजीओ कॉम्पलैक्स, लोदी रोड नई दिल्ली-110003 के पते पर भेजा जा सकता है। इनसे फोन नंबर 011-24367810 तथा व्हाट्सऐप नंबर +91-9599896993 पर या ई-मेल पते ms.ccrga@gmail.com पर भी संपर्क किया जा सकता है।

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